Zero Coupon Bonds : ब्याज नहीं मिलता, फिर भी होती है कमाई
नयी दिल्ली। भारत में बॉन्ड या तो सरकार जारी करती है या फिर कोई कंपनी, जो निवेशकों को समय-समय पर ब्याज का भुगतान करती है, जिसे कूपन रेट कहा जाता है। निवेश बॉन्ड डेब्ट इंस्ट्रूमेंट होते हैं जिसमें अधिकृत जारीकर्ता बॉन्डधारकों का कर्जदार होता है। बॉन्ड के प्रकार की शर्तों के आधार पर अधिकृत जारीकर्ता को ब्याज का भुगतान करने और मैच्योरिटी पर मूलधन चुकाना होता है। जैसा कि नाम से पता चलता है ज़ीरो-कूपन बॉन्ड पर निवेशक को कोई ब्याज नहीं मिलता है। फिर कोई निवेशक इनमें क्यों निवेश करे? दरअसल इन बॉन्ड पर भी निवेशकों को लाभ मिलता है, जिसके बारे में हम आपको आगे बताने जा रहे हैं।
क्या होता है फायदा
जीरो कूपन बॉन्ड फेस वैल्यू (अंकित मूल्य) के मुकाबले छूट पर उपलब्ध होते हैं और हमेशा अंकित मूल्य से कम रेट पर ट्रेड करते हैं। हालांकि अगर कोई निवेशक मैच्योरिटी तक इन बॉन्डों को अपने पास रखता है, तो वे उन्हें अंकित मूल्य पर बेच सकता है। आपको बॉन्ड मिलेगा अंकित मूल्य से कम रेट पर और आप उन्हें बेच सकेंगे अंकित मूल्य पर। इन दोनों मूल्यों के बीच का अंतर ही आपका मुनाफा यानी निवेश पर रिटर्न होगा।
तीन तरीकों से होता है लाभ
जीरो कूपन बॉन्ड निवेशक को निवेश किए गए मूलधन, मूलधन पर ब्याज और मैच्योरिटी के समय अर्जित चक्रवृद्धि ब्याज की भरपाई करते हैं। जीरो कूपन बॉन्ड की मूल्य संवेदनशीलता (Price Sensitivity) मैच्योरिटी पर निर्भर करती है। इन बॉन्ड को वे कुशल निवेशक पसंद करते हैं जो अपनी जरूरतों के हिसाब से निवेश के लिए तैयार रहते हैं।
यील्ड का रहता है प्रभाव
यदि समय के साथ यील्ड (यील्ड एक ऐसा आंकड़ा है जो किसी बॉन्ड पर मिलने वाले रिटर्न को दिखाता है) स्थिर रहती है तो जीरो कूपन बॉन्ड की कीमत बढ़ जाती है। अगर यील्ड में गिरावट आती है तो रिटर्न अधिक होगा। जीरो कूपन बॉन्ड का मूल्य ब्याज दरों के विपरीत बढ़ता-घटता है। ब्याज दरों में गिरावट के साथ ये बॉन्ड सैकंडरी मार्केट में बढ़ता है। इसका मतलब है कि बॉन्ड की अवधि जितनी अधिक होगी, ब्याज दर में बदलाव के लिए इसकी संवेदनशीलता उतनी ही अधिक होगी।
निवेश के लिए बेहतर
ये उन निवेशकों के लिए बढ़िया ऑप्शन हैं, जो एक निश्चित अवधि के बाद एक बड़ी राशि चाहते हैं। जैसे कि शादी के लिए, बच्चों की उच्च शिक्षा या ऐसे ही किसी अन्य समय-निर्धारित लक्ष्य के लिए इन बॉन्ड में निवेश करना बेहतर रहेगा। डेब्ट इंस्ट्रूमेंट होने के कारण इनमें जोखिम नहीं है।
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