Parents Day : बच्चे को सिखाएं पैसों का 50-30-20 रूल, फ्चूयर में बनेगा अमीर
नई दिल्ली, जुलाई 24। हर माता-पिता अपने बच्चों का फ्यूचर सेफ करना चाहते हैं। माता-पिता बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं। इसलिए उनकी यह जिम्मेदारी कि वे कम उम्र से ही बच्चों को पैसों से जुड़ें महत्वपूर्ण सबक दें। इनमें पैसे बचाना शामिल है। पैसे बचाने की क्षमता उनके जीवन के लिए एक अहम नींव रखेगी, जिससे उन्हें अपना भविष्य सुरक्षित करने में मदद मिलेगी। माता-पिता पॉकेट मनी के रूप में अपने बच्चों को कुछ पैसे देते हैं। ये पैसा अक्सर साप्ताहिक या मासिक होता है। इसी से बच्चों के लिए बजट का पाठ पढ़ाएं। ये उनके लिए पहला कदम होगा। एक लेटेस्ट स्टडी के अनुसार, भारतीय बच्चों की पॉकेट मनी औसतन 52 देशों की जीडीपी के बराबर है।
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पैसा कैसे खर्च करें
पैसा कैसे खर्च किया जाए, बच्चों की इसकी जानकारी होनी चाहिए। वरना उन्हें भविष्य में कई वित्तीय मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। पैसा असल में हर लेन-देन के लिए आवश्यक है। खाना, कपड़ा, घर आदि सभी कुछ खरीदने के लिए आपको पैसे की आवश्यकता है। इसलिए यहां हम आपको बताएंगे कि कैसे आप अपने बच्चों को पैसे बचाना कैसे सिखा सकते हैं।
पैसे कमाने के लिए उकसाएं
सबसे पहले बच्चे को बचत शुरू करनी है तो उसे पैसे कमाने के लिए उकसाएं और अवसर दें। यहां घर के काम के बदले पैसे देना शामिल है। ये उसके लिए एक प्रोत्साहन होगा। अपने बच्चे को कमाए गए और ऐसे ही दिए गए पैसे के बीच के अंतर को समझाना आवश्यक है। उनके द्वारा किए गए सभी कामों के लिए उन्हें पैसा दें। इससे उन्हें कुछ नये आइडिया मिल सकते हैं।
क्या होगा फायदा
इससे बच्चे को अपने पैसे को बैलेंस करने का तरीका आएगा। वे बहुत कम उम्र में पैसा कमाएंगे और इसे बचाएंगे। लगभग 22,000 करोड़ रु भारतीय बच्चों को पॉकेट मनी के रूप में दिए जाते हैं, और इसमें से सभी अपना पैसा खर्च नहीं करते हैं। लगभग 50 प्रतिशत बच्चे अपनी पॉकेट मनी बचाते हैं।
50/30/20 रूल है काम का
इस रूल का मतलब है प्राप्त पैसे का पचास प्रतिशत 'जरूरतों' को पूरा करने में चला जाता है, जिसे बच्चों को चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि वे जरूरतों को समझ सके। कमाई का तीस प्रतिशत हिस्सा फोन और गेम जैसी 'इच्छाओं' को पूरा करने में जाता है। बच्चों को इन चीजों को खरीदने के बजाय, उन्हें अपनी इनसे बड़ी इच्छा (खासकर जब वे वयस्क होते हैं) के लिए बचाने में मदद करना बहुत ही जरूरी है। इनमें पढ़ाई के लिए खुद खर्च करना शामिल है। अंत में बचा 20 फीसदी जो हर हाल में बचाना है।
पैसे की अहमियत सीखना जरूरी
माता-पिता के मार्गदर्शन में बच्चों का पैसे की अहमियत सीखना सबसे अधिक जरूरी है। आप कुछ समय के बाद देखेंगे कि वे पैसे के मामले में सही निर्णय लेने लगेंगे। बच्चों को पर्सनल फाइनेंस के बारे में शिक्षित करना एक लंबी प्रक्रिया है, और यह समय के साथ और धीरे-धीरे होगी। इसलिए इसे बच्चे की आयु के हिसाब से ही समझाएं। मगर यकीनन इसके पॉजिटिव नतीजे निकलेंगे। पैसे की अहमियत समझ कर वे बचत करेगा और निवेश, जिससे यकीनन फ्यूचर में वे मालामाल रहेगा।