कोरोना इफेक्ट : लोगों को नकद पैसे देने की तैयारी, अमेरिका में भी ऐसा होने की तैयारी
नई दिल्ली/न्यूयार्क। कोरोना वॉयरस यानी कोविड-19 के चलते न सिर्फ लोगों की जान जा रही है, बल्कि देशों और लोगों की आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही है। जहां तक कोरोना से बचाव की बात है, तो सरकार की स्वास्थ्य एजेंसियां काम कर रही हैं। जहां तक लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने की बात है, तो सरकार जरूरतमंद लोगों को सीधे पैसे देकर मदद करने पर विचार कर रही है। ऐसा विचार जहां भारत में हो है, वहीं अमेरिका में इस मुद्दे पर काम आगे भी बढ़ चुका है। अमेरिका में सरकार अपने सभी नागरिकों को 1000 डॉलर (करीब 75,000 रुपये) तक नगद देने पर विचार कर रही है।
आइये जानते हैं भारत में इस मामले को लेकर क्या विचार हो रहा है।
पहले जानते हैं अमेरिका के बारे में
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ज्यादातर अमेरिकियों को सीधे नकद सहायता भेजने की एक अभूतपूर्व योजना के बारे में खुलासा किया है। इस योजना के जरिए अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मुश्किल में लाने वाले और बेरोजगारी बढ़ाने वाले कोरोनावायरस महामारी के इस संकट के समय में अमेरिकियों को वित्तीय समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। यह प्रस्ताव मंगलवार को वित्तीय सहायता पैकेज के एक हिस्से के रूप में सामने आया है, जिसमें एक ट्रिलियन डॉलर तक जोड़ा जा सकता है और इस प्रस्ताव को दोनों पार्टियों रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन हासिल है। ट्रम्प और ट्रेजरी सचिव स्टीवन मनुचिन ने अभी इस बारे में बारीकियों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन वॉशिंगटन में एक प्रेस ब्रीफिंग में एक सवाल के जबाव में संकेत दिया है कि यह राशि 1000 डॉलर की सीमा में हो सकती है। मनुचिन ने कहा कि कुछ करोड़पति जैसे लोगों को इस योजना से बाहर रखा जा सकता है। सरकार द्वारा व्यवसायों को बंद रखने के आदेशों और ग्राहकों की कमी के कारण हजारों-लाखों अमेरिकियों को कम से कम अस्थायी तौर पर अपनी नौकरियां जाने का खतरा है। मनुचिन ने कहा, "ट्रम्प चाहते हैं कि दो हफ्तों के अंदर लोगों तक चेक पहुंच जाएं।" उन्होंने कहा कि प्रशासन नकद भुगतान करना चाहेगा बजाय कि अप्रत्यक्ष तरीके से करों में छूट या अन्य तरीकों से सहायता देने के, लिहाजा दो हफ्तों में पैसा भेजा जा सकता है। अब इस बारे में काम किया जा रहा है कि कितना पैसा भेजा जाएगा और लोग कैसे ये पैसा प्राप्त करेंगे।
ये है भारत में तैयारी
कोरोना वायरस यानी कोविड-19 के चलते भारत में कंपनियों को बंद करने को कहा जा रहा है। ताकि लोगों को वायरस से बचाया जा सके। नौकरीपेशा लोगों से कहा जा रहा है कि वह हो सके तो घर से ही काम करें। लेकिन कई काम ऐसे भी हैं, जिन्हें घर बैठे करना मुश्किल है। जिससे इस तरह के कारोबार को नुकसान होगा लाजमी है। ऐसे में लोगों को नौकरी खोने का डर भी सता रहा है। मोदी सरकार ऐसे लोगों की पैसे देकर मदद करना चाहती है।
यूबीआई बन सकता है पैसे देने का माध्यम
ऐसा माना जा रहा है कि सरकार कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों की मदद यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) के जरिए मदद कर सकती है। लाइव मिंट की रिपोर्ट की मानें तो सूत्रों का कहना है कि अगर यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी स्कीम की शुरुआत भारत में होती है तो ये प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का रूप ले सकती है। बता दें प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत किसानों के खाते में पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं। इस योजना का जिन लोगों ने इसका समर्थन किया है, उनमें प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की पूर्व सदस्य और ब्रुकिंग्स इंडिया में डायरेक्टर ऑफ रिसर्च शमिका रवि शामिल हैं, जिन्होंने मंगलवार को भारत में यूवीआई की महत्ता को लेकर ट्वीट किया है।
क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम
लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गाय स्टैंडिंग ने सबसे पहले 'यूनिवर्सल बेसिक इनकम' का सुझाव दिया था। उन्होंने देश से गरीबी हटाने के लिए अमीर-गरीब, सबको निश्चित अंतराल पर तय रकम देने का विचार पेश किया। उनका मानना है था कि इसका लाभ लेने के लिए किसी भी व्यक्ति को अपनी कमजोर सामाजिक और आर्थिक स्थिति एवं बेरोजगारी का सबूत नहीं देना पड़ेगा। यूनिवर्सल बेसिक इनकम वो निश्चित आय होती है, जो देश के सभी नागरिकों (गरीब, अमीर, नौकरीपेश, बेरोजगार) को सरकार से मिलती है। इस तरह की आय के लिए ना कोई पात्रता और ना ही किसी तरह के काम की शर्त होती है। इसके तहत समाज के हर सदस्य के लिए जीवनयापन के लिए न्यूनतम आय का प्रावधान होना चाहिए।
करोड़ों लोगों की हो सकती है मदद
इस मामले में कई अर्थशास्त्रियों का ये मानना है कि यूबीआई से करोड़ों लोगों को इस वक्त मदद मिल सकती है। वो लोग इसका लाभ उठा सकते हैं, जो कोरोना के कारण बिना सैलरी से रहने को मजबूर हैं। जिन्हें खुद को घर पर आइसोलेशन में रखना पड़ रहा है। ये हर राज्य में सभी व्यस्कों के लिए बिना शर्त नियमित भुगतान का एक विकल्प है।
इन तरीकों से भी मदद की तैयारी
उत्तर प्रदेश सरकार दिहाड़ी मजदूरों की मदद करने की योजना लेकर आई है। कोरोना वायरस के कारण दिहाड़ी मजदूर भी प्रभावित हो रहे हैं, जो दिनभर मेहनत करते हैं ताकि रात को खाना नसीब हो सके। लेकिन वायरस के कारण अधिकतर जगहों पर काम ठप पड़े हुए हैं। जिसके चलते इन लोगों का जीवनयापन पूरी तरह प्रभावित हो रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मंगलवार को कैबिनेट की बैठक हुई है। जिसमें सरकार ने दिहाड़ी मजदूरों के लिए ऐलान करते हुए कहा कि उनके भरण-पोषण के लिए निश्चित धनराशि मुहैया करवाई जाएगी।
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