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Gold : जानिए क्यों सभी को सोने में निवेश करना चाहिए

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नई दिल्ली। दुनिया में हर जगह सोना को बहुत मूल्यवान माना जाता है। राजाओं के दौर से लेकर देशों के केंद्रीय बैंकों तक, हर दौर में इस कीमती धातु की वैल्यू निर्विवाद रूप से मान्य है। गोल्ड को वैल्यू के लिहाज से दुनिया में सबसे ज्यादा लिक्विड यानी तरल माना जाता है। सोने की वैल्यू पर कोई दायित्व नहीं होता है और इसके मूल्य पर किसी भी देश के आर्थिक प्रदर्शन से फर्क नहीं पड़ता है। सोना खरीदने के इन स्पष्ट कारणों के बावजूद, यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि गोल्ड एक रणनीतिक संपत्ति माना जाता है, जो निवेश में विविधता लाने के लिए जरूरी माना जाता है। जहां तक भारत की बात है तो यहां पर परिवारों में, सोना खरीदना परंपरा है, और यह किसी भी तरह के आर्थिक संकट के समय में मदद भी करता है।

Gold : जानिए क्यों सभी को सोने में निवेश करना चाहिए

यही कारण है कि आपको अपने निवेश में इस कीमती धातु के बारे में पुनर्विचार करना चाहिए, क्यों कि यहा जोखिम-समायोजित रिटर्न देने में भी सक्षम है।

ऐसे करें अपने निवेश पोर्टफोलियो के रिस्क को बैलेंस करें

इतिहास इस बात का गवाह है कि इस कीमती धातु ने अन्य सभी संपत्ति वर्गों की तुलना में आर्थिक संकट के समय सबसे ज्यादा सुरक्षा दी है। अगर, यदि आप पिछले 10 वर्षों में सोने के रेट के प्रदर्शन को देखें, तो इसने 2010, 2011 और यहां तक ​​कि 2019 में भी भारतीय शेयर बाजार की तुलना में बहुत ही बेहतर रिटर्न दिया है। जहां तक 2020 में सोने की कीमतों में रैली बात है तो यह कमाल की है। इसी साल अगस्त में भारत के साथ-साथ विदेशों में भी सोने के रेट ने एक नया उच्चस्तर बना दिया था।

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सोने के रेट और स्टॉक बाजार में एक निगेटिव कोरिलेशन होता है। जब भी आर्थिक दृष्टिकोण सुस्त दिखाई देता है (उदाहरण के लिए 2019 में यूएस-चीन व्यापार युद्ध के कारण और 2020 में कोविड-19 के कारण), उस वक्त सोने को एक सुरक्षित निवेश के रूप में लिया जाता है। इसके चलते सोने के रेट में बढ़त आती है। जबकि दूसरी ओर, कारोबारियों की कमाई में कमी के चलते निवेशक शेयर बाजार से पैसा निकालने लगते हैं।

यही कारण है कि निवेश को ऐसा नहीं करना चाहिए जो एक समय में एक सा ही रिटर्न दें। उदाहरण के लिए, यदि आपने शेयर बाजार के साथ ही इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश कर रखा है तो यह दोनों एक ही समय में गिरेंगे या बढ़ेंगे, क्योंकि दोनों ही निवेश इक्विटी से जुड़े हुए हैं। इसी प्रकार केवल सोने में निवेश भी समझदारी नहीं है। ऐसे में जरूरी है कि अपने निवेश के पोर्टफोलियो में सोने का विविधता लाने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।

गोल्ड में कितना निवेश करना चाहिए?

विशेषज्ञों की राय पर अगर ध्यान दिया जाए तो निवेशकों को अपने पोर्टफोलियों में 2 फीसदी से लेकर 10 फीसदी तक निवेश सोने में करना चाहिए। जब भी इक्विटी बाजारों में गिरावट आती है, तो सोना में मिलने वाला लाभ पोर्टफोलियो के घाटे को संतुलित कर देता है।

अगर आप पोर्टफोलियो में गोल्ड रखने पर सहमत हों तो यह जरूरी नहीं है कि सोने को फिजिकल रूप में रखा जाए। अगर आप गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड म्यूचुअल फंड या डिजिटल गोल्ड खरीदते हैं तो यह भी अच्छा तरीका है। साथ ही यह गोल्ड बेचने ने भी आसान है।

गोल्ड को किसी भी निवेश पोर्टफोलियो का एक अहम हिस्सा माना गया है, क्योंकि जब भी किसी कारण से शेयर बाजार या बॉड मार्केट में गिरावट आती है तो यह अच्छा रिटर्न देकर नुकसान से बचाता है। वहीं छोटी अवधि में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है, लेकिन लॉगटर्म में इसके रेट में हमेशा वृद्धि ही होती रही है। इसका सबसे बड़ा कारण सोना एक सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है और इसकी मांग काफी है। जेवर बनाने के अलावा, सोने का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में किया जाता है। वहीं देशों के केंद्रीय बैंकों इसे अपने फॉरेक्स रिजर्व में भी रखते हैं। इसके चलते सोने के ईटीएफ की भारी मांग रहती है। वहीं इसका इसका इस्तेमाल मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव और करेंसी की वैल्यूएशन में गिरावट को रोकने में भी महत्वपूर्ण माना जाता है। यही कारण है कि इसे लंबी अवधि में निवेश के लिए अच्छा माना जाता है।

English summary

know Why Everyone Needs To Invest In Gold

Investment in gold is considered the safest in the world, and it has always given good returns in the long run.
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