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Gold : कीमतों में आ रही गिरावट, खरीदें या बेचें, जानिए कैसे होगा फायदा

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नई दिल्ली, अगस्त 29। 2022 में निवेशकों को तीन तरफ से नुकसान हुआ है। इनमें मुद्रास्फीति में तेजी, बढ़ती ब्याज दरों और अस्थिर शेयर बाजार शामिल हैं। ऐसे में निवेशकों को पैसों का नुकसान हुआ है। इस तरह के मौकों पर अक्सर सोने को सेफ हेवन (सुरक्षित निवेश ऑप्शन) के तौर पर देखा जाता है। मगर इस साल वैश्विक बाजारों में सोने की कीमतें अन्य जोखिम वाली एसेट्स की तरह ही गिर रही हैं। ये निवेशकों के लिए चिंता खड़ी करने वाला है। इसका मतलब यह है कि सोना अब सुरक्षित ऑप्शन नहीं रहा? इस सवाल का जवाब इतना आसान नहीं है। सही जवाब जानने के लिए खबर को अंत तक पढ़ें।

 

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सोना एक अस्थिर एसेट क्लास

सोना एक अस्थिर एसेट क्लास

सोना एक अस्थिर एसेट क्लास है। इसकी कीमत कुछ ही समय में एक तेज उछाल प्राप्त कर सकती है। हाल के समय में दो बार ऐसा देखने को भी मिला है। यह मुश्किल समय में एक सुरक्षित आश्रय साबित हुआ। सोने की कीमत मार्च 2020 में 1,471 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर अगस्त 2020 में 2,063 डॉलर हो गई थी। तब दुनिया कोविड के कारण लगे लॉकडाउन को लेकर चिंतित थी। फिर इसी साल फरवरी में जब रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया तो ये 1,797 डॉलर से मार्च 2022 में 2,050 डॉलर तक चढ़ गया। यानी ये बात तो यह सोना बुरे समय का साथी है।

कई बार ली निवेशकों के सब्र की परीक्षा
 

कई बार ली निवेशकों के सब्र की परीक्षा

निश्चित तौर पर गोल्ड कई बार निवेशकों के धैर्य की परीक्षा भी ले चुका है। उदाहरण के लिए, 1980 में 711 डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद, यह नीचे चला गया और 2006 में फिर से इसी स्तर तक गिर गया। इस अस्थिर व्यवहार से सोने की कीमत का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है। इस समय देखें तो 8 मार्च 2022 को 2,050 डॉलर के उच्च स्तर की तुलना में सोना अब 1,744 डॉलर पर कारोबार कर रहा है। ये बीते 5 महीनों में 14.3 प्रतिशत की गिरावट है। मजे की बात यह है कि इसी अवधि में सोने की कीमत रुपये में केवल 3.4 प्रतिशत गिरी है।

क्यों आ रही गिरावट

क्यों आ रही गिरावट

आम तौर पर देखा गया है कि सोने की कीमतें बुरी खबरों पर जल्दी प्रतिक्रिया देती हैं। जैसा कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंकरों ने स्वीकार किया था कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मुद्रास्फीति बरकरार रहेगी। इस खबर से सोने की कीमतें बढ़ जानी चाहिए थी। मगर हुआ ये कि डॉलर के लिहाज से कीमतों में गिरावट आई। ऐसा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरों के चलते हुआ। मजबूत डॉलर सोने की कीमतों के लिए नकारात्मक होता है।

शेयरों से भी उलटा चलता है गोल्ड

शेयरों से भी उलटा चलता है गोल्ड

सोने का शेयरों के साथ भी नकारात्मक संबंध होता है। अगर ये एक दिशा में भी चलें तो गति का अंतर काफी रहता है। जैसे कि 2017 में, जब निफ्टी 50 और एसएंडपी 500 इंडेक्स ने रुपये के संदर्भ में क्रमशः 29 प्रतिशत और 22 प्रतिशत रिटर्न दिया, तो सोने ने केवल 6 प्रतिशत का रिटर्न दिया।

अब क्या करें

अब क्या करें

मौजूदा स्थिति के मद्देनजर जानकार कहते हैं कि निवेशकों के लिए सोना अहम है। यह मुद्रास्फीति और करेंसी के गिरने से बचाव का एक प्रभावी ऑप्शन है। जहां तक सोने में निवेश की बात है तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (जो मैच्योरिटी पर कर-मुक्त रिटर्न के साथ-साथ 2.5 प्रतिशत की दर से ब्याज दिलाते हैं) एक अच्छा तरीका हो सकता है। उच्च मुद्रास्फीति के दौरान एक मल्टी-एसेट पोर्टफोलियो बेहतर काम कर सकता है। मगर इसे नियमित समय पर रीबैलेंस करते रहें।

English summary

Gold Falling in prices buy or sell know how to profit

Gold is now trading at $1,744 as compared to a high of $2,050 on March 8, 2022. This is a decline of 14.3 percent in the last 5 months. Interestingly, the price of gold has fallen by only 3.4 per cent in the rupee during the same period.
Story first published: Monday, August 29, 2022, 13:51 [IST]
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