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Bonds : एक नहीं 7 तरीके के होते हैं, ऐसे कराते हैं फायदा

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7 Types of Bonds : बॉन्ड डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स हैं। इसका मतलब है कि निवेशक अपना पैसा बॉन्ड जारी करने वालों को उधार के तौर पर देते हैं और फिर उधार लेने वाला इसे आगे निवेश करता है। बांड जारी करने वाला नियमित और तय समय पर आपको ब्याज देता है। पर पैसा बांड अवधि के अंत में शानदार रिटर्न के साथ मिलता है। बांड कम जोखिम वाले निवेश ऑप्शन हैं। कोई भी पब्लिक कंपनी, एक बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी, या यहां तक कि सरकार (केंद्र या राज्य) भी बॉन्ड जारी कर सकते हैं। पर बॉन्ड एक नहीं कई तरह के होते हैं। जानते हैं सबकी डिटेल।

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गवर्मेंट सिक्योरिटीज बॉन्ड

गवर्मेंट सिक्योरिटीज बॉन्ड

ये बॉन्ड केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा जारी किए जाते हैं। ये सरकारी सिक्योरिटीज (जी-सेक) कैटेगरी में आते हैं। ये बॉन्ड आम तौर पर 5 से 40 साल तक की लंबी अवधि के होते हैं। कुछ सामान्य सरकारी बॉन्ड में ट्रेजरी बिल, कैश मैनेजमेंट बिल, फिक्स्ड-रेट बॉन्ड, फ्लोटिंग रेट बॉन्ड, जीरो कूपन बॉन्ड, कैपिटल इंडेक्स बॉन्ड, इन्फ्लेशन-इंडेक्स्ड बॉन्ड, कॉल या पुट ऑप्शन वाले बॉन्ड और सॉवरेन गोल्ड बांड शामिल हैं।

कॉर्पोरेट और कंवर्टिबल बॉन्ड

कॉर्पोरेट और कंवर्टिबल बॉन्ड

कॉर्पोरेट बॉन्ड कंपनियों द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए जारी किए जाते हैं। बदले में, वे पूरी अवधि के दौरान एक विशिष्ट ब्याज दर देते हैं। कम जोखिम क्षमता वाले निवेशकों के लिए बेहतर हैं। कंवर्टिबल बॉन्ड डेट और इक्विटी फंड दोनों के फीचर्स ऑफर करते हैं। मगर ये ऐसा एक साथ नहीं करते। इन्हें शेयरों की पहले से तय संख्या में कंवर्ट किया जा सकता है।

जीरो कूपन बॉन्ड

जीरो कूपन बॉन्ड

चौथे हैं जीरो कूपन बॉन्ड। ये कोई ब्याज नहीं दिलाते। ये बॉन्ड मैच्योरिटी अवधि तक पहुंचने तक रेगुलर ब्याज दर की पेशकश नहीं करते। पर निवेशकों को निवेश राशि पर सालाना रिटर्न मिलता है। बॉन्ड के मैच्योर पर ये सारा पैसा मिलता है।

ये हैं बाकी तीन कैटेगरी

ये हैं बाकी तीन कैटेगरी

इंफ्लेशन लिंक्ड : इंफ्लेशन लिंक्ड बॉन्डों में, केंद्रीय बैंक द्वारा तय मुद्रास्फीति की दर के साथ मूलधन और ब्याज दरें बढ़ती-घटती हैं।
आरबीआई बॉन्ड्स (फ्लोटिंग रेट बॉन्ड) : 2020 में फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड आरबीआई ने कुल 7 वर्षों के लिए जारी किए। इनकी ब्याज दर बदली रहती है। ये आर्थिक स्थितियों पर निर्भर करती है, और हर छह महीने में रीसेट की जाती है।
सॉवरेन गोल्ड बांड : सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड फिजिकल गोल्ड के ऑप्शन के रूप में भारत सरकार की ओर से आरबीआई द्वारा जारी किए जाते हैं। इन्हें पहली बार 2015 में भारत सरकार ने शुरू किया था। इनके लिए लॉक-इन अवधि 8 वर्ष है।

कैसे करें निवेश

कैसे करें निवेश

बॉन्ड खरीदने के या इनमें निवेश के तीन तरीके हो सकते हैं। आप फाइनेंशियल ब्रोकर से संपर्क कर सकते हैं और शेयरों की तरह बॉन्ड खरीद सकते हैं। म्यूचुअल फंड या ईटीएफ के जरिए भी बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं। जब कोई निवेशक बॉन्ड म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) खरीदता है, तो वे इनका टाइप तय नहीं करता है। फंड या ईटीएफ प्रोवाइडर अपने पैसे का निवेश करने में मदद करता है। रिटेल डायरेक्ट स्कीम के जरिए सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश किया जा सकता है। इस सिस्टम के तहत, आप आरबीआई के साथ गिल्ट सिक्योरिटीज खाते के लिए रजिस्टर करा सकते हैं जिसे रिटेल डायरेक्ट गिल्ट (आरडीजी) कहा जाता है।

English summary

Bonds There are not one but 7 types this is how they make profit

Corporate bonds are issued by companies for a fixed period of time. In return, they pay a specific interest rate during the entire tenure. Better for investors with a low risk appetite.
Story first published: Thursday, December 1, 2022, 16:00 [IST]
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