गोल्ड लोन : ये 5 गलतियां पड़ती हैं भारी, हरदम बचें
कई बार हमें इमरजेंसी में पैसों की जरूरत होती है। ऐसे में घर में रखा सोना काफी काम आ सकता है। सरकारी और निजी क्षेत्र के कुछ बैंक भी गोल्ड लोन देते हैं।
नई दिल्ली: कई बार हमें इमरजेंसी में पैसों की जरूरत होती है। ऐसे में घर में रखा सोना काफी काम आ सकता है। सरकारी और निजी क्षेत्र के कुछ बैंक भी गोल्ड लोन देते हैं। इसमें सोने के गहनों, सिक्कों आदि गिरवी रखकर आप कैश ले सकते हैं। यह पैसा चुकाने के बाद गिरवी रखी ज्वेलरी या सोना ग्राहक को वापस कर दिया जाता है। लोन की रकम पर ब्याज देना पड़ता है। पर्सनल लोन के मुकाबले गोल्ड लोन में ब्याज दर कम होती है। पर्सनल लोन के मुकाबले गोल्ड लोन फटाफट मिल जाता है। ये बात भी सच है कि गोल्ड लोन का चलन भारतीयों में तेजी से बढ़ रहा है। यदि आप भी अपनी वित्तीय जरूरतों के लिए गोल्ड लोन का प्लान बना रहे हैं, तो इन खास बातों पर जरूर ध्यान दें। ज्यादातर गोल्ड लोन लेने के दौरान कई छोटी-छोटी गलतियां हो जाती हैं। आज हम आपको 5 आम गलतियों के बारे में, जिससे गोल्ड लोन लेने वक्त आपको परेशानी न हो।
ब्याज दरों की तुलना अवश्य करें
मालूम हो कि गोल्ड लोन में ब्याज दर कम होती है। गोल्ड लोन की ब्याज दरें 8.85% से 29% फीसदी सालाना के बीच हो सकती हैं। यह रेट लोन लेने वाले व्यक्ति की जोखिम क्षमता के आधार पर तय होता है। वहीं आरबीआई के अनुसार, एलटीवी रेशियो यानी लोन टू वैल्यू अनुपान गोल्ड की कीमत का 75 फीसदी तक हो सकता है। ब्याज दरें भी एलटीवी के आधार पर निर्धारित होती हैं। लेंडर यानी कर्जदाता अधिक एलटीवी रेशियो होने की स्थिति में गोल्ड लोन पर ऊंची ब्याज दरें वसूल सकता है। एलटीवी रेशियो ऊंची होने का मतलब लोन में जोखिम में अधिक है। ऐसे में ऊंची ब्याज दरों से बचने के लिए उस लेंडर को चुनें जो ऊंचे एलटीवी रेशियो पर कम ब्याज दर वसूलता है। कुछ ही कर्जदाता गोल्ड लोन पर फिक्स्ड रेट लेते हैं जबकि अन्य फ्लोटिंग दरों पर गोल्ड लोन देते हैं।
निर्धारित प्रोसेसिंग फीस की तुलना अनिवार्य
गोल्ड लोन देने वाले कुछ कर्जदाता एक फ्लैट प्रोसेसिंग फीस वसूलते हैं जो कि 10 रुपये से शुरू होता है। वहीं अन्य दूसरे कर्जदाता लोन की रकम के आधार पर प्रोसेसिंग फीस वसूलते हैं। हालांकि यह लोन की रकम का 0.10%-2% होता है। वहीं त्योहारी सीजन के दौरान आमतौर पर लेंडर प्रोसेसिंग फीस माफ कर देते हैं। लोन की रकम बड़ी होने पर प्रोसेसिंग फीस भी अधिक हो जाती है। इसलिए अलग-अलग लेंडर्स की ओर से निर्धारित प्रोसेसिंग फीस की तुलना जरूर करनी चाहिए।
शून्य प्री-पेमेंट फीस पर ध्यान दें
गोल्ड लोन के मामले में अधिकांश लेंडर प्री-पेमेंट फीस नहीं वसूलते हैं। जबकि कुछ लेंडर शेष लोन की रकम का 2.25 फीसदी तक प्री-पेमेंट फीस वसूलते हैं। प्री-पेमेंट से मतलब लोन की अवधि पूरी होने से पहले ही इसका पूरा भुगतान करने से है। प्री-पेमेंट का अहम मकसद ब्याज का खर्च बचाना होता है। जबकि, प्री-पेमेंट पेनल्टी से इसका फायदा कम हो जाता है। इसलिए गोल्ड लोन लेते समय ऐसे लेंडर को चुनें जो कम से कम या शून्य प्री-पेमेंट फीस वसूलता हो।
रिपेमेंट स्ट्रक्चर का विकल्प चुनें
गोल्ड लोन में भुगतान के लिए सबसे ज्यादा सहूलियत मिलती है। ईएमआई रिपेमेंट मोड के अलाव कर्जदार कस्टमाइज्ड पेमेंट विकल्प चुन सकता है। इसमें आप हर महीने ब्याज की रकम का भुगतान करने और मूलधन का भुगतान मैच्योरिटी तारीख पर करने का विकल्प चुन सकते हैं। जबकि कुछ लेंडर लोन की मंजूरी के समय ही ब्याज रिपेमेंट और लोन अवधि के अंत में मूलधन रिपेमेंट का विकल्प देते हैं। बुलेट रिपेमेंट विकल्प के तहत ब्याज दर और मूलधन दोनों का भुगतान लोन अवधि की समाप्ति पर कर सकते हैं। ऐसे में गोल्ड लोन लेते समय रिपेमेंट का वही विकल्प चुने जो आपके कैश फ्लो के लिहाज से बेहतर हो।
लोन की अवधि छोटी रखें
इस बात से भी अवगत करा दें कि गोल्ड लोन की अवधि सात दिन से चार साल तक की हो सकती है। अपनी रिपेमेंट क्षमता के आधार पर लोन की अवधि का चयन करना चाहिए। यदि आप ईएमआई का विकल्प चुनते हैं तो अन्य दूसरी वित्तीय लक्ष्यों के लिए जरूरी रकम का आकलन अवश्य कर लें। यदि आप तय तारीख पर गोल्ड लोन ईएमआई का भुगतान कर सकते हैं तो लोन की अवधि छोटी रखें।
क्रेडिट स्कोर कम होने पर भी गोल्ड लोन आसानी से मिलता
गोल्ड लोन शीघ्र जारी होने और भुगतान के सरल विकल्प होने के चलते एक आकर्षक विकल्प बन रहा है। एसेट आधारिक लोन विकल्प होने के चलते लेंडर इसमें लोन मंजूर करते समय क्रेडिट स्कोर पर गौर नहीं करता है। इसलिए क्रेडिट स्कोर कम होने पर भी गोल्ड लोन आसानी से मिल जाता है। वहीं प्रतिष्ठित संगठन में काम करने वाले वेतनभोगी कर्मचारियों, जिनका क्रेडिट प्रोफाइल अच्छा है, उन्हें सस्ती दरों पर पर्सनल लोन या अन्य दूसरे लोन लंबी अवधि के लिए मिल सकता है।