दिव्यांग है किसान, करता है 90 लाख की कमाई
गांधीनगर। कहते हैं कि जहां वहां राह। ऐसा ही कुछ गुजरात के इस दिव्यांग किसान ने कर दिखया है। आज यह किसान हर साल 90 लाख रुपये तक अनार की खेती से कमा रहा है। इस किसान की देखादेखी गांव के करीब 150 किसानों में 1500 बीघा खेती योग्य जमीन पर अनान की खेती शुरू कर दी है और लाखों रुपये कमा रहे हैं। ये महनती और प्रयोगधर्मी किसान हैं गुजरात के बनासकांठा जिले में गेनाभाई दरगाभाई पटेल।
अनार के लिए जाना जाता है बनासकांठा
आज बनासकांठा अनार की खेती के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर पैदा किया जाने वाला अनार श्रीलंका, मलेशिया, दुबई और यूएई जैसे देशों को निर्यात किया जाता है। इस निर्यात में काफी बड़ा योगदान गेनाभाई का भी है। अब स्थिति यह है कि यहां पर पिछले 12 सालों में करीब 35 हजार हेक्टेयर जमीन पर अनार की खेती की जा रही है। बागवानी में यह जिला लगातार अव्वल है। अनार की खेती में यहां के ज्यादातर किसान ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करते हैं।
ये है अनार से आमदनी का गणित
गेनाभाई को 2010 में अनार खेती से 9 टन का उत्पादन मिला। अनार, जो 161 रुपये प्रति किलो के भाव से बेचा गया और उन्हें 14.49 लाख रुपये की आय हुई। अनार की खेती में करीब प्रति हेक्टेयर 1.20 लाख रुपये की लागत आई थी। इस लागत को निकाल कर बाद में उन्हें 13.29 लाख रुपये की आय हुई। इस प्रकार गेनाभाई को 2010 में अनार से 5 हेक्टेयर की खेती कर करीब 66.45 लाख रुपये की आमदनी हुई। ऐसे ही 2011 में गेनाभाई पटेल को प्रति हेक्टेयर 12 टन उत्पादन मिला। इस प्रकार इस साल उन्हें करीब 37 लाख रुपये की आय हुई। वहीं 2012 में अनार का उत्पादन बढकर 26 टन हो गया। इससे उन्हें प्रति हेक्टेयर 15.16 लाख रुपये की कमाई और कुल कमाई 75.80 लाख रुपये की रही।
ऐसे बढ़ती गई आमदनी
2012 में उनके अनार की उपज में करीब 26 टन की वृद्धि हुई। लेकिन इस साल उन्हें केवल 66 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपने अनार को बेचना पड़ा। इससे उन्हें 17.16 लाख प्रति हेक्टेयर के मुकाबले 20 लाख रुपये की आमदनी हुई। इस प्रकार प्रति हेक्टेयर 15.16 लाख रुपये कमाने वाले किसान ने 75.80 लाख रुपये का शुद्ध लाभ कमाया। 2018 में गेनाभाई की आय बढ़कर करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
7 सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार अभी तक मिल चुके हैं
गेनाभाई दरगाभाई पटेल बनासकांठा के लाखणी के सरकारी गोरिया गांव के रहते हैं। उनकी उम्र 53 वर्ष और पढ़ाई एसएससी तक है। वह 15 साल से खेती में सक्रिय हैं, लेकिन 9 सालों से ही अनार की खेती कर रहे हैं। 2009 में उन्हें अनार की खेती के लिये ही सर्वश्रेष्ठ किसान का पहला पुरस्कार मिला। 2012 में उनको राज्य का सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार दिया गया। अब तक उनको 7 बार सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार मिल चुका है।
ऐसे हुई अनार की खेती की शुरुआत
गेनाभाई बताने हैं कि मैंने पहली बार 2004 में अनार की खेती करने के बारे में सोचा। अपनी महाराष्ट्र की यात्रा के दौरान मैंने अनार की खेती करने का निर्णय लिया था। जमीन अपनी ही थी, किंतु थोड़ी हिचकिचाहट थी। इस झिचक का कारण बचपन से दिव्यांग होना था। लेकिन उन्होंने अपनी दृढ़ता से खेती करने का फैसला किया और महाराष्ट्र से 15 रुपये प्रति पेड़ के हिसाब से 6,000 पौधे लाए। इसमें उन्होंने शुरुआत में 1.5 लाख रुपये खर्च किया। अनार बोने के बाद गेनाभाई दरगाभाई पटेल ने 1 साल बाद 5 हेक्टेयर में अनार के पौधों को ड्रीप सिचांई से सींचना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने की पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज सफल किसान और मिसाल माने जाते हैं।
पद्मश्री पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित
गेनाभाई पटेल को पद्मश्री सम्मान मिल चुका है। उन्होंने बताया कि मुझे एक दिन दिल्ली से फोन आया। जैसे ही मैंने फोन उठाया, मुझे बताया गया कि आपको पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। पहले मैं समझ नहीं पाया और बाद में मैंने अपने भाई से यह जानकारी साझा की। उनका कहना है कि मैं दोनों पैरों से विकलांग हूं और अवॉर्ड लेने दिल्ली गया था। अवॉर्ड लेते समय मेरी खुशियों का ठिकाना नहीं था।