वसीयत लिखने जा रहे हैं तो ये पढ़ें
बदलते वक्त के साथ काफी कुछ बदलाव देखने को मिल रहा। ज्यादातर देखा गया हैं कि रिटायरमेंट (Retirement) आने बाद लोग वसीयत (Will) बनाने के बारे में सोचना शुरु कर देते है।
नई दिल्ली: बदलते वक्त के साथ काफी कुछ बदलाव देखने को मिल रहा। ज्यादातर देखा गया हैं कि रिटायरमेंट (Retirement) आने बाद लोग वसीयत (Will) बनाने के बारे में सोचना शुरु कर देते है। जी हां उम्र के एक पड़ाव पर आकर अक्सर लोग अपनी वसीयत (will) बनवा ही लेते हैं। ऐसा कर वो अपनों को लेकर निश्चिंत हो सकते हैं। यानी उनके न रहने पर भी उनकी पत्नी और बच्चों को आर्थिक रुप से कमजोर नहीं होना पड़े इस बात का ध्यान रखते है। साथ ही बच्चों को आर्थिक रूप से सक्षम (Financially competent) बनाने के लिए आमतौर पर लोग अपनी वसीयत तैयार करवाते हैं। यदि आप वसीयत लिखने की योजना बना रहे हैं तो आपको निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
क्या होती है वसीयत
मृत्यु के बाद किसी व्यक्ति की संपत्ति पर किसका हक होगा, इसके लिए वसीयत बनाई जाती है। समय रहते इसे बनवाने से मृत्यु के बाद संपत्ति के बंटवारे (Property sharing) को लेकर पारिवारिक झगड़ों की गुंजाइश नहीं रहती है। अमूमन रिटायरमेंट (Generally retirement) लेने के बाद ही वसीयत बनवा लेनी चाहिए। अगर कोई शख्स कम उम्र में किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, तो समय रहते वसीयत (will) बनवा लेनी चाहिए।
वसीयत लिखने के लिए कोई उम्र निर्धारित नहीं है। जिसकी उम्र 21 साल से अधिक हो, वह व्यक्ति अपनी वसीयत लिख सकता है। इस बात की भी जानकारी दें कि अगर किसी व्यक्ति कि मृत्यु बिना विल बनाए हो जाती है तो उस स्थिति में उसकी संपत्ति सक्सेशन लॉ के आधार पर परिवार के सभी सदस्यों में बांट दी जाती है।
विल से जुड़ी कुछ अहम बातें
• विल हाथ से लिखी हुई, ऑनलाइन तैयार की या लीगल प्रोफेशनल (Legal professional) से बनवाई जाती है। बता दें कि हाथ से लिखी हुई और टाइप की गई, दोनों तरह की वसीयत कानूनी तौर पर स्वीकार्य (Willful legally acceptable) है।
• इस बात से भी अवगत करा दें कि बिना रजिस्ट्रेशन (without registration) के भी सामान्य कागज (General paper) पर लिखी गई विल भी 100 फीसद कानूनी रुप ये मान्य होती है।
• जानकारी दें कि भारत सरकार ने विल पर से स्टांप ड्यूटी (Stamp duty) हटा दी है।
• इतना ही नहीं विल में सभी एसेट जिसमें आर्टीफैक्ट, पेटेंट और कॉपीराइट (Artifact, patent and copyright) शामिल होते हैं।
वसीयत अपडेट भी किया जा सकता है
इस बात की जानकारी दें कि आपको समय-समय पर अपनी वसीयत को पढ़ना चाहिए और अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति (current financial condition)और वरीयताओं के अनुसार (According to preferences) उसे अपडेट (update) करना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपने वसीयत बनाने के बाद कोई संपत्ति या शेयर (property and share) खरीदा है तो वसीयत को उसी हिसाब से अपडेट कर लेना चाहिए। लेकिन, इस वाक्य 'यह वसीयत पिछली सभी वसीयतों की जगह लेती है' के साथ वसीयत को अपडेट करने की तारीख का उल्लेख करें।
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गवाह वसीयत के लाभार्थी नहीं होने चाहिए
वसीयत को रजिस्टर (registered) कराना जरूरी नहीं है लेकिन धोखाधड़ी या छेड़छाड़ से बचने के लिए अपनी वसीयत को रजिस्टर करा लेना बेहतर होता है। वसीयत को रजिस्टर कराना एक आसान प्रक्रिया है जहाँ आप एक निर्धारित फीस (Fixed fee) देकर रजिस्ट्रार या उप रजिस्ट्रार के पास अपनी वसीयत रजिस्टर करा सकते हैं। इसके लिए आपको दो गवाहों (The witnesses) के साथ उपस्थित रहना पड़ता है। इस बात को भी ध्यान में रखना अनिवार्य हें कि दोनों गवाह, आपकी वसीयत के लाभार्थी नहीं होने चाहिए, और वे भरोसेमंद और विश्वसनीय (Trustworthy) होने चाहिए। वसीयत में एक तारीख का होना बहुत जरूरी है क्योंकि क़ानून की दृष्टि से इसका होना जरूरी है और इससे पता चलता है कि यह नवीनतम वसीयत (Latest will) है।
ऑनलाइन वसीयत लिख सकते
ये भी जानना जरुरी हैं कि अपनी वसीयत बनवाने के लिए वकील (advocate) की जरूरत नहीं होती। लेकिन एक अनुभवी वकील की मदद से आप एस्टेट प्लानिंग (Estate Planning) कर सकते हैं। भारत में, किसी कागज के टुकड़े पर लिखी वसीयत जिसपर दो गवाहों के हस्ताक्षर हों, को वैध माना जाता है। आजकल ऐसे कई प्लेटफौर्म्स हैं जहां पर आप ऑनलाइन वसीयत (online will) लिख सकते हैं।