Loan लेना चाहते हैं, तो Loan Eligibility के बारें में जानें
बैंक (bank) आपको कितना लोन (loan) देगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप हर महीने कितना लोन अमाउंट (loan amount) ईएमआई (EMI) के जरिए चुकाने की क्षमता रखते हैं।
नई दिल्ली : बैंक (bank) आपको कितना लोन (loan) देगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप हर महीने कितना लोन अमाउंट (loan amount) ईएमआई (EMI) के जरिए चुकाने की क्षमता रखते हैं। लोन देने के प्रोसेस में सबसे महत्वपूर्ण आपकी 'लोन चुकाने की क्षमता' (Loan eligibility) ही होती है। बैंक लोन देने से पहले इसी को आंकता है। हांलाकि सबसे पहले बैंक आपकी सैलरी (salary) और आपकी आय के स्रोतों की जानकारी लेते हैं। इसके लिए वह आपकी सैलरी स्लिप (salary slip), टैक्स रिटर्न्स (tax return), बैंक स्टेटमेंट (bank statement) वगैरह देखते हैं। इसके जरिए आपकी सैलरी या बिजनेस के जरिए आय, रेंटल इनकम (retail income), ब्याज (intrest) से मिलने वाली आय आदि को जोड़ा जाता है।
लोन लेने के लिए बैंक सेविंग्स भी करता चेक
इसके बाद आपकी सेविंग्स (savings) को देखा जाता है। जिसके जरिए आप ट्रैवल, लाइफस्टाइल वगैरह पर कितना खर्च करते हैं, इस बात का भी पूरी तरह जायजा लिया जाता है। बता दें कि बैंक (bank) आमतौर पर 30 पर्सेंट का थमरूल (First rule) लेकर चलते हैं, जिसके तहत आपकी कुल आय के 30 फीसदी हिस्से को आपकी बचत मान लिया जाता है।
इस बात पर भी गौर किया जाता हैं कि क्या आप पहले से कोई ईएमआई (EMI) दे रहे हैं या नहीं। इस ईएमआई के अमाउंट (EMI amount) को आपकी कुल बचत में से निकाल दिया जाता है। इसके बाद बैंक ताजा ब्याज दर (intrest rate) के हिसाब से वह मिनिमम अमाउंट (minimum amount) निकालता है, जो आप अपनी बचत में से हर महीने निकाल सकने में सक्षम हों।
पर्सनल लोन देते वक्त भी बैंक आपकी क्षमता देखता
वहीं दूसरी ओर बता दें कि पर्सनल लोन (personal loan) के लिए आपकी योग्यता (eligibility) कैसे चेक की जाती है। किसी गंभीर समस्या या जरूरत की स्थिति में आप पर्सनल लोन (personal loan) लेकर अपना काम पूरा कर सकते हैं। लेकिन कोई भी बैंक (bank) या फाइनेंशियल कंपनी (financial company) आपको पर्सनल लोन (personal loan) इस आधार पर देती है कि उसे चुकाने की 'आपकी क्षमता' क्या है? अगर आपकी पर्सनल लोन चुकाने की क्षमता होगी तभी कोई आपको लोन देने के लिए तैयार होगा।
पर्सनल लोन (Loan) के जरूरी डॉक्यूमेंट्स
. पहचान का सबूत (पासपोर्ट की कॉपी/ वोटर आईडी कार्ड/ड्राइविंग लाइसेंस/आधार)
. पते का सबूत (address proof) (पासपोर्ट की कॉपी/ वोटर आईडी कार्ड/ड्राइविंग लाइसेंस/आधार)
. नई सैलरी स्लिप (salary slip) /फॉर्म 16 के साथ करेंट डेट का सैलरी सर्टिफिकेट
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आय स्रोत:
लोन देने के दौरान सबसे पहले तो बैंक या कंपनी यह देखती है कि आपकी इनकम का सोर्स (income source) क्या है और कितना स्थायी है। इसके लिए आपकी सैलरी स्लिप, टैक्स रिटर्न्स (tax return), बैंक स्टेटमेंट (bank statement) वगैरह देखे जाते हैं। वहीं दूसरी और पर्सनल लोन (personal loan) के लिए आपकी सेविंग्स भी देखी जाती है। आप ट्रैवल, रहन-सहन वगैरह पर कितना खर्च करते हैं, इसे देखा जाता है। बैंक 30 पर्सेंट का थमरूल लेकर चलते हैं, जिसके तहत आपकी कुल आय के 30 फीसदी हिस्से को आपकी बचत माना जाता है।
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प्रॉपर्टीः
पर्सनल लोन लेने के लिए प्रॉपर्टी (property) भी एक योग्यता होती है। बैंक (bank) यह देखता है कि लोन लेने वाले व्यक्ति के पास कितनी प्रॉपर्टी है? क्या लोन न चुकाने की स्थिति में उसकी प्रॉपर्टी से बैंक लोन को पूरा किया जा सकता है?
प्रॉपर्टी के एवज में लोन (Loan)
. पते का सबूत-राशन कार्ड, टेलीफोन बिल, बिजली का बिल, वोटर कार्ड (इनमें से कोई एक)
. पहचान का सबूत-वोटर कार्ड, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, कंपनी द्वारा दिया गया कार्ड (इनमें से कोई एक) बैंक स्टेटमेंट/पासबुक (जिसमें . पिछले छह महीने की सैलरी/आय आई जमा हुई हो) पिछले छह महीने की सैलरी स्लिप के साथ पिछले दो साल का फॉर्म 16 प्रॉपर्टी से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स की कॉपी