कितनी टैक्स छूट मिलती है अलाउंस और रीइंबर्समेंट पर, जानने के लिए ये पढ़ें
सैलरी के रूप में हमें मिलने वाला अधिकतर अलाउंस, रीइंबर्समेंट या तो पूरी तरह टैक्सेबल होता है या उसके कुछ हिस्से पर टैक्स लगता है।
नई दिल्ली: सैलरी के रूप में हमें मिलने वाला अधिकतर अलाउंस, रीइंबर्समेंट या तो पूरी तरह टैक्सेबल होता है या उसके कुछ हिस्से पर टैक्स लगता है। टैक्स छूट कुछ शर्तों के अधीन होती है। जी हां टैक्स छूट का दावा करने के लिए छूट की सीमा और शर्तों के बारे में जानना जरूरी है। आज हमम हम आपको कुछ अलाउंस और रीइंबर्समेंट के बारे में बतायेंगे। जिनका भुगतान कर्मचारियों को वेतन के रूप में किया जाता है। वहीं दूसरी ओर इस बात से भी अवगत करायेंगे कि कौन पूरी तरह टैक्सेबल, कौन आंशिक टैक्सेबल और किस लिमिट तक टैक्स से छूट मिली हुई है।
महंगाई भत्ता (DA)
डीए आमतौर पर सरकारी कर्मचारियों को मिलता है। हालांकि, महंगाई भत्ते के रूप में मिल रही पूरी रकम पर टैक्स लगता है। अगर आप प्राइवेट जॉब कर रहे हैं और आपको डीए मिलता है, तो आपको भी पूरी रकम पर टैक्स भरना होगा। वहीं दूसरी और सिटी कंपन्सेटरी अलाउंस यह भी सैलरी स्ट्रक्चर का एक सामान्य हिस्सा है। यह डीए जैसा ही है, क्योंकि एंप्लॉयी को यह शहरों में रहने की ऊंची लागत के लिए मिलता है। डीए की तरह यह पूरी रकम टैक्स के दायरे में आती है।
हाउस रेंट अलाउंस (HRA)
अगर आपको सैलरे के रूप में एचआरए मिल रहा है और आप किराये पर रहते हैं, तो एचआरए के एक निश्चित रकम पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। लेकिन यह कुछ निश्चित लिमिट और रेस्ट्रिक्शंस के अधीन है। हालांकि, अगर आपके द्वारा किराये का भुगतान नहीं किया जाता है, तो पूरा एचआरए टैक्सेबल है।
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लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA)
जिन्हें अपने एंप्लॉयर से एलटीए भी मिलता है, वे टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। यह नियम देसी और विदेशी, दोनों एंप्लॉयीज पर लागू है।
एलटीए पर टैक्स छूट पाने के निम्नलिखित नियम हैं
- चार वर्षों के अंतराल में सिर्फ 2 यात्राओं के खर्च पर ही टैक्स छूट मिलेगी।
- सबसे छोटे रास्ते से अपनी मंजिल पर पहुंचने का वास्तविक खर्च या एंप्लॉयर से मिली रकम, दोनों में जो कम हो, उसी रकम पर टैक्स छूट पा सकते हैं।
- इग्जेंप्शन क्लेम करने के लिए रेलवे के एसी फर्स्ट क्लास या सरकारी विमान कंपनी (एयर इंडिया) के बिजनस क्लास से गंतव्य (डेस्टिनेशन) तक के किराये की रकम पर टैक्स छूट पाई जा सकती है।
- सिर्फ भारतीय सीमा में किसी गंतव्य के लिए यात्रा के खर्च पर ही टैक्स छूट पाई जा सकती है।
स्पेशल अलाउंस
जो अलाउंस किसी भी अन्य अलाउंस के दायरे में नहीं आता, उसे स्पेशल अलाउंस कहा जाता है और इसकी पूरी रकम पर टैक्स लगता है। बात करें ओवरटाइम अलाउंस कि तो कुछ एंप्लॉयर एंप्लॉयी को निश्चित अवधि से ज्यादा वक्त तक काम करने पर ओवरटाइम अलाउंस देते हैं। इसकी पूरी रकम पर टैक्स लगता है।
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ट्रांसपोर्ट अलाउंस (TA)
अगर आपको ट्रांसपोर्ट अलाउंस मिल रहा है, तो आप प्रति माह 16,000 रुपये के हिसाब से सालाना 19,200 रुपये तक की रकम पर टैक्स छूट पा सकते हैं। हां, अंधे, बहरे या अन्य किसी तरह के दिव्यांग कर्मचारियों के लिए यह सीमा 32,000 रुपये की है। आईटीआर फाइल करते वक्त आप इस रकम को कर योग्य कुल आय से ही घटा सकते हैं। इस रकम पर टैक्स छूट पाने के लिए आपको किसी प्रकार का सबूत या दस्तावेज नहीं देना होता है। हां, एक शर्त जरूर है। आप इस ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट तभी पा सकते हैं, जब आपका एंप्लॉयर आपको परिवहन का कोई मुफ्त साधन नहीं मुहैया करवा रहा हो।
मेडिकल रीइंबर्समेंट
एंप्लॉयी खुद, पत्नी, पुत्र, पुत्री और माता-पिता या सास-ससुर में किसी एक जोड़े के इलाज में खर्च पर सालाना 15,000 रुपये तक की रकम पर टैक्स छूट पा सकता है। एंप्लॉयर की ओर से जमा की गई या रीइंबर्स की गई कोई मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम की रकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है। ध्यान रहे कि प्रीमियम की रकम पर टैक्स छूट का दायरा भी उसी 15,000 रुपये में समाहित है।
दूसरी और आपको इस बात से भी अवगत कराना चाहेंगे कि फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस और मेडिकल रीइंबर्समेंट में फर्क है, इसे एक समान मानने की गलत नहीं करें, क्योंकि दोनों पर टैक्स के नियम अलग-अलग हैं। मेडिकल अलाउंस की पूरी रकम पर टैक्स लगता है, जबकि ऊपर के नियम के मुताबिक सालाना 15,000 रुपये के मेडिकल रीइंबर्समेंट पर टैक्स छूट मिलती है। हालांकि, मेडिकल अलाउंस क्लेम करने के लिए बिल देने की जरूरत नहीं होती है।