Mutual Fund : छोटे-छोटे निवेश को बना देता है लाखों का फंड
नई दिल्ली। म्युचुअल फंड (Mutual Fund) लोगों को हर तरह के निवेश का मौका देता है। यहां पर लोग इक्विटी मार्केट से लेकर डेट मार्केट में निवेश करने के अलावा इनकम टैक्स बचाने के लिए भी निवेश कर सकते हैं। म्युचुअल फंड (Mutual Fund) एक स्मार्ट निवेश का जरिया बन कर सामने आ रहा है। इसके अलावा म्युचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश का एक फायदा यह भी है कि यहां पर काफी कम पैसों से निवेश शुरू किया जा सकता है। कोई भी म्युचुअल फंड (Mutual Fund) में 500 रुपए महीने से भी निवेश की शुरुआत कर सकता है। अगर म्युचुअल फंड में 500 रुपये महीने का निवेश 30 साल तक किया जाए तो 12 फीसदी के रिटर्न से यह करीब 17 लाख रुपये हो जाता है। म्यूचुअल फंड में लम्बे समय के लिए निवेश करने वालों को 12 फीसदी का रिटर्न आराम से मिल जाता है।
क्या है म्युचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश का फंडा
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) को लोग रिस्की इन्वेस्टमेंट मानते हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। यहां पर निवेश शेयर बाजार की तरह रिस्की नहीं है। शेयर बाजार में अगर थोड़ा पैसा है तो आप को किसी एक ही कंपनी में ही पूरा पैसा लगाना होगा। और किसी किसी वजह से वह कंपनी दिक्कत में आ जाए तो आपका सारा निवेश डूब सकता है। लेकिन अगर आपने म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के माध्यम से पैसा लगाया है तो आपके साथ ऐसा नहीं होगा। म्युचुअल फंड (Mutual Fund) में आपके पैसे को अलग-अलग कंपनियों में लगाया जाता है। इसमें आपका पैसा अलग-अलग शेयर और बॉन्ड्स में इन्वेस्ट किया जाता है। इसका फायदा यह है कि अगर किसी एक कंपनी में लगा पैसा दिक्कत में भी आ जाए तो बाकी जगह पर लगा हुआ पैसा उसे कवर कर लेता है और आपको नुकसान या तो बच जाता है या काफी कम हो जाता है।
रिस्क के हिसाब से चुने म्युचुअल फंड (Mutual Fund)
म्युचुअल फंड (Mutual Fund) रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार निवेश का विकल्प देते हैं। म्युचुअल फंड (Mutual Fund) को तीन कैटेगिरी में बांट कर देखा जा सकता है, जिसमें हाई रिस्क, मीडियम रिस्क और लो रिस्क की कैटेगरी आती है। ऐसे में अगर आप म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) लेते समय हाई रिस्क का ऑप्शन चुनेंगे तो आपका रिस्क बहुत ज्यादा होगा। लेकिन इसमें फायदा यह है कि आपको अगर फायदा हुआ तो रिटर्न भी बहुत अच्छा मिलेगा। वहीं अगर आप मीडियम रिस्क का ऑप्शन चूज करेंगे तो आपको मीडियम लेवल का जोखिम उठाना पड़ेगा वहीं, आपको रिटर्न पर फायदा भी मीडियम लेवल का ही मिलेगा। इसके अलावा लो लेवल रिस्क जोन में भी अगर आप मिनिमम रिस्क का ऑप्शन चुनते हैं तो आपको रिटर्न भी न्यूनतम ही मिलेगा। इस प्रकार म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में आप अपना रिस्क खुद सेलेक्ट कर सकते हैं।
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इनकम टैक्स बचाने के लिए भी कर सकते हैं निवेश
म्युचुअल फंड (Mutual Fund) में आप इनकम टैक्स बचाने के लिए भी निवेश कर सकते हैं। जब आप म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करते हैं तो आपके पास दो विकल्प होते हैं। इसमें एक ऑप्शन है कि रेगुलर फंड में निवेश करें और दूसरा यह है कि आप टैक्स सेवर म्युचुअल फंड (tax saver mutual fund) में निवेश करें।
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दोनों तरीकों में अंतर
म्युचुअल फंड (Mutual Fund) के इन दोनों तरीकों में कुछ अंतर है। जहां रेगुलर फंड में निवेश शुरू करने के कुछ महीने बाद ही आप जरूरत पड़ने पर अपना पैसा निकाल सकते हैं, वहीं टैक्स सेवर म्युचुअल फंड (tax saver mutual fund) में 3 साल तक यह पैसा लॉकइन पीरियड में होता है। इस लॉकइन पीरियड के दौरान आप अपना पैसा निकाल नहीं सकते हैं। हालांकि देश में जितने भी इनकम टैक्स (income tax) बचाने वाले तरीके हैं उनमें सबसे कम लाइकन पीरियड टैक्स सेवर म्युचुअल फंड (tax saver mutual fund) का ही है।
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टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड (Tax Saving Mutual Fund)
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (Tax Saving Mutual Fund) इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80C के तहत निवेश पर आयकर में छूट का फायदा देता है। इसका मतलब है कि ऐसे म्यूचुअल फंड (Tax Saving Mutual Fund) में निवेश पर आप आयकर की छूट ले सकते हैं।
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म्युचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश पर कैसे मिलती है सुरक्षा
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के नियमन (रेगुलेशन) का काम भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) करती है। ऐसे में सेबी (SEBI) की ओर से बनाई गई गाइड लाइन का म्यूचुअल फंड कंपनियां को पालन करना होता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि निवेशकों को अनुचित और गलत तरीके से मिस गाइड नहीं किया जाए। म्युचुअल फंड (Mutual Fund) के बारे में और जानकारी के लिए एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड इन इंडिया (amfi) की बेवसाइट पर जाकर ली जा सकती है।
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म्युचुअल फंड से जुड़े शब्द
एनएवी (NAV) (Net Asset Value) : जब भी म्यूचुअल फंड (Mutual fund) की बात होती है तब एक शब्द जो बार-बार प्रयोग में आता है, वह है- NAV. म्यूचुअल फंड (Mutual fund) कई जगह पैसे निवेश करता है इसलिए अगर किसी समय फंड से पैसा वापस लेना है तो यह उसकी NAV पर निर्भर करता है। अगर बेचना न भी हो तो फंड में पैसे के बारे में जानने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। किसी म्यूचुअल फंड (Mutual fund) की NAV वो कीमत है जिससे उस फंड की एक यूनिट खरीदी या बेची जा सकती है।
ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (Asset Management Company) (AMC) : मैनेजमेंट कंपनी वह कंपनी होती है जो अलग-अलग प्रकार की म्यूचुअल फंड (Mutual fund) स्कीम लेकर बाजार में आती हैं। जैसे रिलायंस ग्रोथ फंड (म्यूचुअल फंड स्कीम) को रिलायंस कैपिटल ऐसेट मैनेजमेंट लिमिटेड ने लॉन्च किया, जो एक एएमसी यानी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी है।
पोर्टफोलियो मैनेजर (Portfolio Manager) : एक बार अगर आपका पैसा म्यूचुअल फंड (Mutual fund) स्कीम में चला गया, तब उसका प्रबंधन पोर्टफोलियो मैनेजर करते हैं। वे आपके पैसों को शेयर या फिर बॉन्ड में निवेश करते हैं, यह निवेश आपकी स्कीम कैसी है उस पर निर्भर करता है। अगर स्कीम के नजरिये से देखा जाए तो उनके निर्णय बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि वे सिर्फ आपका नहीं, बल्कि आपके जैसे हजारों लोगों के धन का प्रबंधन करता है।
म्युचुअल फंड इंट्री लोड (MF Entry load) : म्युचुअल फंड इंट्री लोड एक महत्वपूर्ण शब्द है, जो हर म्यूचुअल फंड (Mutual fund) निवेशक के सामने आता है। एंट्री लोड और एक्जिट लोड यानी जब आप निवेश कर रहे हैं, उस वक्त पड़ने वाला शुल्क और जब आप स्कीम से बाहर निकल रहे हैं, उस वक्त पड़ने वाला शुल्क। जब आप म्चूचुअल फंड (Mutual fund) खरीदते हैं तब कई बार आपको एनएवी से ज्यादा पैसा देना पड़ता है, और बेचते वक्त हो सकता है आपको कम एनएवी मिले।
म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो (Mutual Fund Portfolio) : सभी शेयर और निवेश किया गया पैसा मिलकर पोर्टफोलियो बनता है।
एयूएम (AMU) : पूरा पैसा जो निवेश किया गया है, उस कुल धन को एसेट्स अंडर मैनेजमेंट यानी एयूएम कहते हैं। एयूएम (AMU) बाजार के वातावरण और निवेशकों के निवेश व धन निकालने के चलते घटता बढ़ता रहता है।
एसआईपी (SIP) : ज्यादातर ओपन एंडेड स्कीम में आप हर महीने छोटे-छोटे निवेश कर सकते हैं या फिर तिमाही, छमाही या सालाना भी। इसे सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) कहते हैं। यह पोस्ट ऑफिस की आवर्ती जमा स्कीम की तरह कार्य करता है।
एनएफओ न्यू फंड ऑफर (NFO) : म्यूचुअल फंड (Mutual fund) के नये ऑफर होते हैं जिनकी फेस वैल्यू आमतौर पर 10 रुपये होती है।
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