For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

लाइफ इंश्‍योरेंस से जुड़ी 5 जरुरी बातें

यहां पर आपको लाइफ इंश्‍योरेंस से संबंधित 5 फैक्‍ट बताएंगे जो कि बीमा पॉलिसी खरीदने से पहले जरुर पता होनी चाहिए।

|

लाइफ इंश्योरेंस एक तरह का कॉन्‍ट्रेक्ट है जिसमें बीमाधारक की मृत्यु के बाद परिवारजन या आश्रितों को कवर की राशि मिलती है। लाइफ इन्शोरेंस दो तरह के होते हैं- एक तो पूरे जीवन के लिए और एक टर्म इंश्योरेंस। टर्म इंश्योरेंस में प्रीमियम कम होता है क्योंकि इसमें शुद्ध रूप से लाइफ कवर मिलता है बिना किसी बचत और प्रॉफ़िट के। होल लाइफ पॉलिसी में पूरे जीवन का कवर मिलता है। इसलिए, इसकी मेच्योरिटी निर्धारित नहीं होती है। बीमाधारक को मृत्यु तक प्रीमियम भरना होता है और उसकी मृत्यु के बाद उसके परिवार को राशि मिल जाती है।

 

फंड को चुनने के अलावा लाइफ इंश्योरेंस के कई और पहलू भी हैं जिनका लाइफ इंश्योरेंस लेते समय आपको ध्यान होना चाहिए। आइये हम आपको बताते हैं ऐसे ही पहलू:

परिपक्‍वता अवधि

परिपक्‍वता अवधि

इन्शोरेंस पॉलिसी खरीदने का मतलब है कि आप अनुबंध या कॉन्‍ट्रेक्ट से सहमत हैं। आप पॉलिसी खरीदते समय अपनी सहमति देते हैं। यदि आपने पॉलिसी खरीदते समय मेच्योरिटी डेट से सहमत हो गए हैं तो आप बाद में इसमें बदलाव नहीं कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि आपने 60 साल का प्लान लिया है, तो आप मेच्योरिटी डेट में बदलाव नहीं कर सकते हैं। आप 80 साल के लिए आपको दूसरा कवर ही लेना पड़ेगा।

इंश्योरेंस कंपनी से लोन
 

इंश्योरेंस कंपनी से लोन

आप इंश्योरेंस कंपनी से लोन भी ले सकते हैं। इस लोन पर ब्याज दर क्या लगेगी यह इस पर निर्भर करता है कि आप लोन कब लेते हैं। ये ब्याज दर एक इंडेक्स पर निर्भर है। उदाहरण के तौर पर, बैंकों द्वारा निर्धारित 10 साल की जी-सेक या बेस इंटरेस्ट रेट बीमा नियामक विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) द्वारा अप्रूवल की गई होती है। बीमाकर्ता द्वारा यह अलग-अलग हो सकती है।

पॉलिसी को सरेंडर करने के दौरान

पॉलिसी को सरेंडर करने के दौरान

यदि आप कुछ साल बाद अपनी पॉलिसी सरेंडर करते हैं, तो इसके चार्ज आपकी पॉलिसी और इसके फीचर्स पर निर्भर करेंगे। सरेंडर वेल्यू का, भुगतान किए गए पेमेंट से कोई सीधा लिंक नहीं है, बल्कि यूनिट लिंक पॉलिसी में यह यूनिट वैल्यू पर या ट्रेडिशनल पॉलिसी के अर्जित लाभ पर निर्भर करता है। अगर आपके पास यूलिप (यूएलआईपी) है तो आपको 5 साल के बाद पूरी यूनिट वेल्यू मिलेगी क्योंकि 5 साल पर सरेंडर चार्ज ज़ीरो हो जाते हैं। ट्रेडिशनल पॉलिसी में सरेंडर वैल्यू अर्जित लाभ की कोई डिस्काउंट की गई वेल्यू होती है। सरेंडर चार्ज हर पॉलिसी में अलग होते हैं और कॉन्‍ट्रैक्‍ट में लिखे होते हैं।

इंश्योरेंस का कॉन्‍ट्रैक्‍ट में बताएं सही जानकारी

इंश्योरेंस का कॉन्‍ट्रैक्‍ट में बताएं सही जानकारी

इंश्योरेंस का कॉन्‍ट्रैक्‍ट यूबेरिमा फंड्स के सिद्धांत का पालन करता है, जिसका मतलब है पूरा विश्वास। इसमें आपको आवश्यक निजी जानकारी, स्वास्थ्य की स्थिति और स्वास्थ्य से संबन्धित पहले रही समस्याएँ बतानी होती हैं। अगर आप सही जानकारी प्रदान नहीं करते हैं तो आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। इंश्योरेंस पॉलिसी के कोंट्रेक्ट में इस बारे में सारी जानकारी होती है।

पॉलिसी के बारे में प्राप्‍त कर लें पूरी जानकारी

पॉलिसी के बारे में प्राप्‍त कर लें पूरी जानकारी

बीमा कानून की धारा 45 के अनुसार आप किसी पॉलिसी को 3 साल के बाद अस्वीकृत नहीं कर सकते हैं। यदि बीमाकर्ता फिर से मूल्यांकन करता है और पहली पॉलिसी के बाद दूसरी पॉलिसी जारी करता है तो ज़रूरी है कि क्लेम और नियम व शर्तों की पूरी जानकारी दी जाये। पॉलिसी के बारे में पूरी तरह निश्चिंत होने के बाद आप स्वास्थ्य का घोषणा पत्र दे सकते हैं।

English summary

Life Insurance: 5 Things To Know

यहां पर आपको लाइफ इंश्‍योरेंस से संबंधित 5 फैक्‍ट बताएंगे जो कि बीमा पॉलिसी खरीदने से पहले जरुर पता होनी चाहिए। Here you will read 5 facts about life insurance which you must know before buying one.
Story first published: Monday, December 10, 2018, 16:28 [IST]
Company Search
Thousands of Goodreturn readers receive our evening newsletter.
Have you subscribed?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X