2018 में टैक्स, PAN, आधार, NPS, TDS और म्यूचुअल फंड के इन नियमों में हुए बदलाव
सन 2018 में टैक्स, पैन कार्ड, आधार कार्ड, एनपीएस, टीडीएस और म्यूचुअल फंड में कितने बदलाव हुए आपको यहां पर बताएंगे।
साल 2018 खत्म होने वाला है लेकिन इस साल कई ऐसे बदलाव हुए हैं जिससे आम जन-जीवन काफी प्रभावित हुआ है। फिर चाहे वो टैक्स से जुड़े नियम हों या फिर पैन कार्ड, आधार कार्ड, एनपीएस पेंशन योजना या फिर म्यूचुअल फंड से संबंधित हो। इनमें से सबसे ज्यादा बदलाव टैक्स के नियमों में हुआ है। कुछ नियम बजट 2018 में बदल गए थे तो वहीं कुछ नियम पूरे साल बदलते रहे।
टैक्स फाइल करने में देरी होने पर पेनाल्टी
2018 में इनकम टैक्स रिटर्न को देर से फाइल करने पर पेनाल्टी का नियम बनाया गया। नियम के अनुसार यदि कोई देरी से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करता है तो उस पर 10 हजार रुपए तक की पेनाल्टी लग सकती है। छोटे टैक्स पेयर्स के लिए 1 हजार रुपए की पेनाल्टी का प्रावधान है।
पैन कार्ड के नियमों में बदलाव
पैन कार्ड से जुड़े नियमों में इस साल 2 बार बदलाव हुए। पहले इसमें ट्रांसजेंडर का विकल्प जोड़ा गया इसके बाद माता-पिता के अलग होने की स्थिति में पिता का नाम देना अप्लीकेशन में अनिवार्य नहीं रह गया। यह नियम 5 दिसंबर से लागू हुआ।
आधार कार्ड के नियमों में बदलाव
पैन कार्ड की अर्जी देने के लिए 2018 में आधार कार्ड को जरुरी कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ये जरुरी हो गया। इसके अलावा जिसके पास भी 1 जुलाई 2017 तक पैन नंबर है उसे इसे आधार से लिंक करना जरुरी कर दिया है। इसके लिए 31 मार्च 2019 अंतिम तारीख है।
एनपीएस में बदलाव
NPS में मैच्योरिटी के समय निकाले जाने वाले 60 प्रतिशत हिस्से पर टैक्स में पूरी छूट दे दी गई है। 40 प्रतिशत राशि अभी भी एन्युटी खरीदना जरुरी है। इसके अलावा टियर टू अकाउंट में केंद्रीय कर्मचारियों को टैक्स में छूट मिली।
टैक्स सेस और TDS में बदलाव
1 अप्रैन 2018 से टैक्स पेमेंट पर सेस में 1 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई। सेस को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया। इसका नया नाम एजुकेशन और हेल्थ सेस कर दिया गया। सीनियर सिटीजन के लिए 50 हजार तक के ब्याज पर अब कोई TDS नहीं काटा जाएगा। सरकार ने इसके लिए इनकम टैक्स एक्ट में 80TTBB नाम का नया सेक्शन जोड़ा है। ये डिडक्शन आईटीआर फाइल करते समय उपलब्ध रहेगा।
स्टैंडर्ड डिडक्शन
मेडिकल और ट्रांसपोर्ट अलाउंसेस की जगह अब स्टैंडर्ड डिडक्शन ने ले ली है। बजट में ये बदलाव किया गया था। इसके तहत 40 हजार रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन का प्रावधान किया गया। इसको ITR फाइल करते समय क्लेम किया जा सकता है।
म्यूचुअल फंड के नियमों में बदलाव
बजट में ही इक्विटी और इक्विटी आधार म्यूचुअल फंड के बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स का प्रस्ताव किया। 1 लाख रुपए से उुपर के फायदा पर 10 प्रतिशत टैक्स का प्रावधान किया गया। बता दें कि 1 साल बाद बेचने पर ये टैक्स लगता है।
54 ईसी बॉन्ड में निवेश कर टैक्स छूट लेने के नियम में बदलाव किया गया। इसके तहत अब टैक्स बचाने के लिए 3 साल के बदले 5 साल तक निवेश करना पड़ेगा। अब विदेश में पैसा भेजने पर पैन कार्ड देना जरुरी कर दिया गया है।
यदि आपने ITR में कोई गलती की है तो अब आप अपने इनकम टैक्स रिटर्न को अगले साल 31 मार्च तक ही ठीक कर पाएंगे। पहले टैक्सपेयर्स को 2 साल तक रिटर्न ठीक करने के लिए मिलते थे। इक्विटी म्यूचुअल फंड पर बजट 2018 में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स लगाया गया। 1 अप्रैल 2018 से म्यूचुअल फंड के डिविडेंड फंड पर 10 प्रतिशत टैक्स लगना शुरु हो गया है।