रिलायंस इंश्योरेंस आईपीओ के लिए नए सिरे से कराएगी दस्तावेज
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस जनरल इंश्योरेंस एक बार फिर बाजार नियामक सेबी के पास आईपीओ के लिए आवेदन की योजना बना रही है। बता दें कि कंपनी पहले भी अर्जी लगा चुकी है, जिसे स्वीकार कर लिया गया था।
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस जनरल इंश्योरेंस एक बार फिर बाजार नियामक सेबी के पास आईपीओ के लिए आवेदन की योजना बना रही है। बता दें कि कंपनी पहले भी अर्जी लगा चुकी है, जिसे स्वीकार कर लिया गया था। मगर इश्यू पेश करने में हुई देरी से इसकी मियाद खत्म होने वाली है।
मर्चेंट बैंकिंग सूत्रों के अनुसार, अब मियाद खत्म होने के बाद कंपनी एक बार फिर सेबी के पास अपनी याचिका भेजने वाली है। गौरतलब है कि बीते कुछ समय से आईपीओ निवेशकों की जोखिम क्षमता खत्म हो गई थी और घरेलू बाजार काफी अस्थिर था।
इस वजह से कंपनी ने इश्यू पेश करने की योजना टाल दी। हांलाकि सेबी से मंजूरी मिलने के बाद कंपनियों को एक साल के भीतर आईपीओ पेश करना होता है। बाजार नियामक से मिली जानकारी के अनुसार, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी की आईपीओ पेश करने की मियाद 29 नवंबर को खत्म होने वाली है।
वहीं मर्चेंट बैंकिंग के सूत्रों के अनुसार, कंपनी आईपीओ पेश करने के लिए काफी इच्छुक है और जल्द ही सेबी के पास अपना ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस डीएचआरपी पुन: जमा कर देगी। कंपनी के आईपीओ स्थिति के बारे में कंपनी के प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी नहीं की। जबकि मर्चेंट बैंकर्स के अनुसार कंपनी बाजार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपना आईपीओ पेश करेगी। कंपनी ने पिछले साल अक्टूबर में अपना डीएचआरपी फाइल किया था, जिसे नवंबर 2017 में सेबी ने हरी झंडी दिखा दी थी।
इस आईपीओ इश्यू में कंपनी 1.67 करोड़ नए शेयर जारी करने वाली थी। इसके अलावा मौजूदा शेयरधारकों में शामिल रिलायंस कैपिटल अपनी हिस्सेदारी के 5.03 करोड़ शेयर बिक्री के लिए पेश करने वाली थी।
हांलाकि कंपनी का कहना था कि वह आईपीओ से जुटार्इ गर्इ रकम का इस्तेमाल सॉल्वेंसी मार्जिन बढ़ाने और सॉल्वेंसी अनुपात में वृद्धि के लिए करने वाली है। इसके अलावा कंपनी भविष्य की पूंजी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए भी इश्यू पेश करने वाली थी। सेबी के आंकड़ों के अनुसार, 10 नवंबर को सेवन आइलैंड्स शिपिंग की आईपीओ मियाद भी खत्म हो गई है। इसके अलावा 29 नवंबर को सीएमएस इंफो सिस्टम्स की भी आईपीओ मियाद खत्म होने वाली है। अनुमति के एक साल के भीतर इश्यू पेश न करने पर पूरी प्रक्रिया को दोहराना होता है।