जरुरी खबर: इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए तैयार रखें ये 10 जरूरी दस्तावेज
यहां पर आपको बताएंगे कि आपको इनकम टैक्स रिटर्न भरने के दौरान कौन से 10 जरुरी दस्तावेज तैयार रखने की जरुरत होती है।
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का वक्त आ चुका है और ये एक बेहद ही जरूरी प्रक्रिया है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए इसमें प्रयुक्त होने वाले दस्तावेजों के बारे में जानना भी बेहद जरूरी है। तो यदि आपने अभी तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए कुछ खास तैयारी नहीं की है तो फिर सजग हो जाइये और उन सभी मुख्य बातों को जान लिए जिसकी जरूरत आपको पड़ने वाली है।
इस साल इनकम टैक्स रिटर्न समय पर फाइल करना इसलिए भी बेहद जरूरी है क्येांकि यदि इसमें आप देरी करते हैं तो इसके लिए आपको पेनॉल्टी भी देनी पड़ेगी। तो यदि आप भी चाहते हैं कि आप समय पर अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर लें तो उसके आपके हाथ में जरूरी कागजातों का होना भी आवश्यक है। तो आज हम आपको अपने इस लेख में इसी विषय के बारे में विस्तार से बतायेंगे कि, वो कौन से 10 महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं जिनकी जरूरत आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय पड़ेगी।
1. फॉर्म-16
यदि आप एक वेतनभोगी हैं यानी की आप जॉब करते हैं तो फॉर्म-16 आपके लिए बेहद ही जरूरी दस्तावेज है। क्योंकि बिना इसके आप अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं कर सकेंगे। आपको बता दें कि, फॉर्म-16 वो कागजात होता है जो कि आपके नियोक्ता यानी की आपकी कंपनी द्वारा आपको दिया जाता है। इसमें आपकी तनख्वाह में होने वाले हर प्रकार के कटौती के बारे में विवरण दिया गया होता है। ये एक तरह से टीडीएस सर्टिफिकेट होता है। ये गौर करने वाली बात है कि, यदि आपकी कंपनी आपके सैलरी में डिडक्शन यानी की कटौती करती है तो ये उसकी जिम्मेदारी बनती है कि वो आपको फॉर्म-16 जारी करे। यदि कंपनी किसी भी प्रकार का टीडीएस नहीं काटती है तो भी आप अपने कंपनी से फॉर्म-16 प्राप्त करने का अनुरोध कर सकते हैं।
आपको बता दें कि, इस बार के नियम के अनुसार हर वेतनभोगी को अपनी सैलरी ब्रेक-अप के बारे में विवरण देना जरूरी है, और फॉर्म-16 में सभी विवरण होते हैं कि आपकी सैलरी कितनी है इसके अलावा उसमें कटौती कितनी होती है आदि।
दरअसल फॉर्म-16 के दो हिस्से होते हैं एक होता है फॉर्म-16 पार्ट-A और दूसरा होता है फॉर्म-16 पार्ट-B। इन दोनों ही हिस्सों में खासा अंतर होता है। पार्ट-A में पूरे वर्ष के दौरान आपकी कंपनी द्वारा कटौती किये गये कर के बारे में पूरा विवरण होता है। इसके अलावा आपकी सैलरी में से किये गये कर कटौतियों का विवरण और कंपनी के स्थायी खाता संख्या (पैन) और टीएएन का विवरण भी शामिल होता है।
वहीं पार्ट-B में आपकी(ग्रॉस सैलरी) यानी कि, कुल तनख्वाह व उसमें किये जाने वाले ब्रेक-अप जैसे कि अलाउंसेज आदि के बारे में पूरा विवरण होता है। इसके अलावा आपके हाथ में आने वाली तनख्वाह पर कितना टैक्स बनता है ये सब भी पार्ट-B में शामिल होता है।
नोट: जब भी आप अपने नियोक्ता यानी की कंपनी से फॉर्म -16 प्राप्त करते हैं तो इस बात की जांच जरूर कर लें उसमें दिया गया पैन नंबर आपका ही है या फिर किसी अन्य का। यदि फॉर्म -16 में दर्शाये गये पैन नंबर में किसी भी प्रकार की गलती दिखाई देती है तो तत्काल इस बात की जानकारी अपनी कंपनी को दीजिए।
2. सैलरी स्लिप
फॉर्म -16 के अलावा दूसरा जो सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है वो है सैलरी स्लिप। वेतनभोगियों को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय भत्तों के बारे में भी जानकारी देनी होती है मसलन, ट्रांस्पोर्ट एलाउंसेज, हॉउस रेंट एलाउंसेज आदि, ये भत्ते भी टैक्स के दायरे में आते हैं। तो इसके लिए आपको अपनी सैलरी स्लिप को भी फाइल करना होता है।
सैलरी स्लिप में इन सभी भत्तों आदि के बारे में जानकारी दी गई होती है। सैलरी स्लिप में आप पूरे वर्ष के दौरान पाये गये भत्तों को जोड़ सकते हैं और इन पर लगने वाले टैक्स की गणना भी कर सकते है।
इसके अलावा, आपके द्वारा प्राप्त प्रत्येक भत्ते के लिए अलग अलग टैक्स ट्रीटमेंट होते हैं। जैसे कि, कुछ भत्ते पूरी तरह से कर के योग्य होते हैं, जबकि कुछ भत्तों पर आंशिक रूप से कर लगाए जाते हैं। आप इस सभी बातों की जानकारी को अपने सैलरी स्लिप से प्राप्त कर सकते हैं।
पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान यदि आपको कोई विशेष भत्ता प्राप्त हुआ है तो पूर्ण रूप से कर के योग्य होगा। वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान प्राप्त किये गये ट्रांस्पोर्ट भतते पर एक वर्ष में अधिकतम 19,200 रुपये तक कर की छूट होगी। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2018-19 से, ट्रांस्पोर्ट और मेडिकल एलाउंसेज के लिए 40,000 रुपये तक की स्टैंडर्ड छूट होगी।
3. बैंकों और डाकघर से ब्याज प्रमाण पत्र
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए आपको अपने सेविंग अकाउंट चाहे वो बैंक में हो या फिर डाकघर में, उससे प्राप्त किये गये ब्याज के बारे में भी जानकारी देनी होगी।
क्योंकि फिक्स डिपॉजिट यानी की सावधि जमा और रिकरिंग डिपॉजिट यानी आवर्ती जमा दोनों ही कर के योग्य हैं। इसलिए, आपके द्वारा अर्जित कुल ब्याज को जानने के लिए आपको बैंक या डाकघर शाखा से ब्याज प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा।
यदि आपको ब्याज प्रमाण पत्र नहीं मिलता है, तो इसकी जगह आप अपने खाते पासबुक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आपका पासबुक 31 मार्च, 2018 तक अपडेट होनी चाहिए, ताकी आपके खाते में जमा हुए सभी ब्याज के बारे में पूरा विवरण आपके पासबुक में दर्शाया गया हो।
व्यक्ति बचत बैंक खाते और डाकघर बचत खाते से एफवाई में 10,000 रुपये तक की ब्याज पर धारा 80 TTA के तहत कटौती का दावा कर सकते हैं। 10,000 रुपये से ऊपर प्राप्त कोई भी ब्याज कर के लिए लागू होगा।
जानकार कहते हैं कि, कोई भी व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में 10,000 रुपये तक के ब्याज के लिए डिडक्शन यानी कि, छूट क्लेम कर सकता है, चाहे वो बैंक के बचत खाते का हो या फिर डाकघर के बचत खाते का। लेकिन यदि अर्जित की गई ब्याज की राशि 10,000 रुपये से ज्यादा हुई तो कर के योग्य राशि होगी।
4. फॉर्म-16A / फॉर्म-16B / फॉर्म-16C
यदि आपकी सैलरी के अलावा टीडीएस कटता है जैसे कि फिक्स डिपॉजिट या रिकरिंग डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज आदि पर तो मौजूदा कर कानूनों के अनुसार तो इस दशा में आपका बैंक आपको फॉर्म -16 ए जारी करेगा। इस फॉर्म में अपनी टीडीएस कटौतरी के बारे में पूरा विवरण होगा।
दूसरी तरफ यदि आपने अपनी संपत्ति बेची है, तो खरीदार आपको फॉर्म -16B जारी करेगा जिसमें आपको भुगतान की गई राशि पर कटौती की गई टीडीएस का ब्यौरा दर्ज होगा।
वहीं यदि आप मकान मालिक हैं और किराये से धन अर्जित कर रहे हैं। तो इस दशा में आपको अपने किरायेदार से फार्म-16C प्राप्त करना होगा। जिसमें आपके द्वारा प्राप्त किये गये किराये की राशि में टीडीएस कटौती का ब्यौरा होगा। मौजूदा कानूनों के अनुसार, यदि मासिक किराया 50,000 रुपये से अधिक है तो टीडीएस कटना अनिवार्य है।
5. फॉर्म- 26AS
फॉर्म 26 एएस आपका संयुक्त वार्षिक कर के बारे में ब्यौरा देता है। एक तरफ से आप इसे अपना टैक्स पासबुक भी मान सकते हैं। जिसमें आपके पैन कार्ड के अगेंस्ट जमा किए गए सभी करों की जानकारी शामिल होती है। इसमें जो जानिकारियां शामिल होती हैं वो इस प्रकार हैं -
1) आपके नियोक्ता या कंपनी द्वारा कटौती की गई टीडीएस।
2) बैंकों द्वारा कटौती की गई टीडीएस यदि वित्तीय वर्ष 2017-18 में ब्याज आय 10,000 रुपये से अधिक हो तो।
3) आपके द्वारा किए गए भुगतान के लिए किसी भी अन्य संगठन द्वारा टीडीएस काटे जाने की जानकारी।
4) वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान स्वयं द्वारा जमा किए गए अग्रिम करों की जानकारी।
5) आपके द्वारा भुगतान किए गए आत्म-मूल्यांकन कर।
आप भी अपना फॉर्म 26AS बड़े ही आसानी से ट्रेसेस वेबसाइट से ऑनलाइन डाउनलोड कर सकते हैं। आप ई-फाइलिंग वेबसाइट पर अपने अकाउंट में लॉग इन कर सकते हैं, इसके लिए आपको इस वेबसाइट www.incometaxindiaefiling.gov.in पर जाना होगा। यहां पर माय एकाउंट टैब से अपने एकाउंट में लॉग इन कर सकते है। यहां से ये आपको ट्रेसेस वेबसाइट के लिए रिडायरेक्ट करेगा और वहां से आप अपना फार्म 26AS डाउनलोड कर सकते हैं।
इस दौरान आप इस बात पर जरुर गौर करें कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में कटौती किए गए सभी कर फ़ॉर्म -26 एएस में आपके पैन के अगेंस्ट दर्शा रहे हैं या नहीं। यदि आपको किसी भी प्रकार की कोई खामी नजर आती है तो आप इसके बारे में कटौती करने वाले इसके बारे में जरूर पूछें। यदि गलतियां दूर नहीं हुईं तो आप टीडीएस कटौती के लिए कर-क्रेडिट का दावा नहीं कर पाएंगे।
6. टैक्स—सेविंग इन्वेस्टमेंट प्रूफ
वित्त वर्ष 2014-18 के दौरान धारा 80 सी, 80 सीसीसीसी और 80 सीसीसीडी (1) के तहत आपके द्वारा किए गए सभी कर-बचत इन्वेंस्टमेंट और खर्चों के सबूत देकर आप अपनी कर देयता को कम कर सकते हैं। इसके लिए आपको इन निवेशों खर्चों आदि के सबूत के तौर पर पक्की रसीद और बिल को फाइल करना होगा। इन तीन वर्गों के तहत आप इस वित्तीय वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक टैक्स ब्रेक कर सकते हैं।
सेक्सन 80C के अन्तर्गत निम्न प्रकार के टैक्स ब्रेक आते हैं:
1) कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ)
2) लोक भविष्य निधि (पीपीएफ)
3) म्यूचुअल फंड की ईएलएसएस योजनाओं में निवेश
4) जीवन बीमा प्रीमियम का भुगतान किया
5) नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) इत्यादि।
इन निवेशों के अलावा कुछ खर्चें भी हैं जो धारा 80 सी के तहत कर-लाभ के लिए प्रयोग में लाये जा सकते हैं। जैसे कि, होम लोन, आपके बच्चों के लिए दी गई ट्यूशन फीस आदि शामिल हैं। ये सभी व्यय धारा 80 सी के तहत कर बचाने में आपकी मदद कर सकते हैं। तो ऐसे सभी दस्तावेंजों और बिलों को संभाल कर रखें और टैक्स कटौती में इसका लाभ लें।
7. सेक्सन 80D और 80U के अन्तर्गत कटौती दस्तावेज
हमने जो खर्चे उपर बतायें उसके अलावा कुछ अन्य व्यय भी हैं जिनका ब्यौरा देकर आप टैक्स डिडक्शन का क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए दूसरे सेक्सन पर ध्यान देना जरूरी है। जैसे कि, सेक्सन 80डी के अन्तर्गत आप वित्तीय वर्ष 2017-18 में हेल्थ इश्योरेंस के भुगतान में किये गये प्रीमियम के दस्तावेजों का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए नियमानुसार आप एक साल में अधिकतम 25,000 रुपये तक के लिए क्लेम कर सकते हैं।
इतना ही नहीं यदि आपने अपने माता-पिता का स्वास्थ बीमा कराया है और उनका प्रीमियम भरते हैं। तो 25,000 या 30,000 रुपये तक क्लेम कर सकते हैं। ये आपके माता-पिता के उम्र पर निर्भर करता है। यदि आपके माता-पिता की उम्र 60 साल से कम है तो 25,000 रुपये तक क्लेम कर सकते हैं लेकिन यदि उनकी उम्र 60 वर्ष से ज्यादा है तो आप 30,000 रुपये तक क्लेम कर सकते हैं।
इसके अलावा यदि आपने कोई शिक्षा ऋण लिया है और उसके ब्याज के तौर पर भुगतान कर रहे हैं तो ये भी सेक्सन 80E के अन्तर्गत तहत कटौती का दावा कर सकते हैं। गौरतलब हो कि, शिक्षा ऋण पर ब्याज की राशि पर कोई अधिकतम सीमा नहीं है।
8. बैंक या NBFC से होम लोन
यदि आपने किसी बैंक या किसी अन्य वित्तीय संस्थान से गृह ऋण लिया है, तो इस कर्ज के सभी विवरणों इकट्ठा करना कत्तई न भूलें। यह आपको ब्रेक-अप विवरण प्रदान करेगा कि आपके द्वारा कितना मूलधन और ब्याज चुकाया गया है। इसका इस्तेमाल आप टैक्स डिडेक्सन के क्लेम के लिए कर सकते हैं।
धारा 24 के तहत होम लोन पर चुकाया गया ब्याज आपकी कर देयता को कम कर सकता है। धारा 24 के तहत आप अधिकतम 2 लाख रुपये तक क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए बस आपको आईटीआर फॉर्म में ब्याज की राशि के बारे में ब्यौरा देना होगा। इसके अलावा यदि उस मकान से किसी भी प्रकार की किरायेदारी की आय बनती है तो उसके बारे में भी विवरण देना होगा। वहीं यदि वो मकान स्व-व्यवसाय उद्देश्य के लिए उपयोग की जाती है, तो आप धारा 24 के तहत कटौती का दावा भी कर सकते हैं।
9. पूंजीगत लाभ
यदि आपने अपनी संपत्ति या म्यूचुअल फंड की बिक्री से कुछ धन अर्जित किया है, तो आपको अपने आईटीआर में इन लाभों के बारे में जानकारी देनी होगी। घर की संपत्ति, भूमि या भवन की बिक्री पर प्राप्त किये गये पूंजीगत लाभ, चाहे वो लंबी अवधि के लिए हो या फिर थोड़े समय के लिए। उसकी गणना करने के लिए उस संपत्ति की खरीद और बिक्री के डीड यानी की ब्यौरा देने की आवश्यकता होगी। भूमि या फिर म्यूचुअल फंड की बिक्री की दशा में ब्रोकर्स के स्टेटमेंट को देना होगा।
यहां ये ध्यान देने वाली बात है कि, यदि आपने इक्विटी शेयर, और इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स 31 मार्च 2018 के पहले बेच चुके हैं जिसके मालिक आप 1 साल से ज्यादा समय तक थें तो इस दशा में ये कर मुक्त रहेगा। वहीं यदि आपने इक्विटी शेयर, और इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स की बिक्री 1 अप्रैल 2018 के बाद की है जो कि तकरीबन 1 साल से ज्यादा समय से आपके पास थें और लाभ की राशि 1 लाख रुपये से ज्यादा है तो आपको 10 प्रतिशत की दर से भुगतान करना होगा। इसलिए इसका दस्तावेज भी रखना बेहद ही जरूरी है।
10. आधार कार्ड
अपने इनकम टैक्स रिटर्न को सफलतापूर्वक फाइल करने के लिए आधार कार्ड का विवरण देना अनिवार्य है। आयकर अधिनियम की धारा 13 9एए के मुताबिक, आपकी आईटीआर फाइल करते समय हर व्यक्ति को अपना आधार विवरण प्रदान करना होगा। यदि आपको अभी तक अपना आधार कार्ड नहीं मिला है लेकिन इसके लिए आपने आवेदन किया है, तो आपको अपने कर रिटर्न में नामांकन आईडी प्रदान करने की जरूरत होगी।
तो ये हैं वो 10 प्रमुख दस्तावेज जिनकी जरूरत आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त जरूरत पड़ेगी। हमें उम्मीद है कि, हमारा ये लेख आपकी पूरी मदद करेगा और आपकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा।