बनिए गुड ब्वाय, मम्मी-पापा के लिए करिए ये 5 फाइनेंशियल प्लानिंग
अगर आपकी मां अकेली रहती है और आप उन्हें पैसे देकर मदद करना चाहते हैं तो आपको यह पांच चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आपके बजट पर असर ना आये और आपकी प्लानिंग में गड़बड़ ना हो।
अपने फाइनेंशियल लिमिट को जानें
आप अपनी माँ की मदद तहेदिल से करना चाहते हैं पर आप ऐसा नहीं कर सकते अगर आपके खुद की वित्तीय हालत सही नहीं हैं। आपको किसी भी हालत में इन दो चीज़ों को नहीं भूलना चाहिए जैसे कि एक इमरजेंसी फण्ड बनाना और एक रिटायरमेंट किटी बनाना।
बफर राशि रखें
इमर्जेंसी फंड बनाते समय आपको अपनी माँ के लिए बफर राशि रखनी चाहिए पर इस बात का ध्यान रखें कि कम से कम 5 से 6 महीने तक के खर्चे का ध्यान रखा जाए। यह मुमकिन है कि आप सैंडविच पीढ़ी के एक हिस्से बन कर रह गए हों, जो अपने माँ बाप की मदद करना चाहते हों, पर यह ना सोचें कि आपके बच्चे भी आपके लिए ऐसा ही सोचेंगे। और आप बुढ़ापे में कोई लोन भी नहीं ले पायेंगे। इसलिए अपने रिटायरमेंट कोष का ख़ास ख्याल रखें।
पैसे देने से अच्छा उनके लिए पैसे भर दें
ऐसा मुमकिन है कि आपकी माँ को नियमित रूप से आपसे पैसे लेने में अच्छा ना लगता हो। इसलिए हर महीने एक सुनिश्चित रकम देने से अच्छा है कि आप या तो उनके बिल या मेडिकल बीमा का प्रीमियम भर दें। आप उनके लिए दवाइयां भी खरीद सकते हैं या फिर उनके मेडिकल खर्चे उठा सकते हैं, उनकी लम्बी यात्रा के खर्चे उठा लें या फिर उन्हें कहीं छुट्टियों पर ले जाएँ। उनको कुछ गिफ्ट करना भी एक अच्छा आईडिया है।
उन्हें जायदाद बनाने में मदद करें
आप अपनी माँ की सबसे सही मदद उनके सारे पेपर सही तरीके से रख कर कर सकते हैं। आप उनके निवेश का ध्यान रख सकते हैं, टैक्स रिटर्न्स का ध्यान रख सकते हैं, स्वास्थ्य और व्हीकल बीमा का सही समय पर भुगतान, पोस्ट ऑफिस स्कीम का नवीकरण, बिल पेमेंट कर सकते हैं। इससे आपको फाइन नहीं भरना पड़ेगा और उन्हें पैसे को मैनेज करने में मदद मिलेगी। आप उन्हें उनकी वसीहत बनाने में भी मदद कर सकते हैं। पहले से वह अपने पास पड़े पैसों को सही तरह से मैनेज कर पाएंगी और दूसरे से वह इज्ज़त से प्राण त्याग पाएंगी।
उन्हें किसी फाइनेंशियल प्लानर से मिलवायें
इससे पहले कि आप अपनी माँ की परेशानी में सहायता करें, यह जानना ज़रूरी है कि उन्हें असल में कितनी मदद की ज़रुरत है। अगर उन्हें अपने पैसों के बारे में आपसे बात करना पसंद नहीं हो, तो आप एक फाइनेंशियल प्लानर की मदद ले सकते हैं। एक विश्लेषण से एक साफ तस्वीर भी मिल जायेगी और फाइनेंशियल प्लान बन जाने से उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि उन्हें अपने पैसों को कैसे मैनेज करना चाहिए। इस प्लान के बिना पर आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि आपको असल में कितना योगदान करने की ज़रुरत है। इससे उन्हें अपने निवेश को संभालने में मदद मिलेगी और आपको कम योगदान देना पड़ेगा।
अलग सेविंग अकाउंट बनाएं
अगर आप नियमित रूप से पैसे के रूप में माँ की मदद करना चाहते हैं, तो यह सोचकर चलें कि वह आपके ही प्लानिंग का एक हिस्सा है और हर महीने इसके लिए पैसे अलग रखें। हर महीने अलग सेविंग अकाउंट बना कर रखें जो तीन तरह से आपकी मदद करेगा।एक तो यह कि आपको यह अंदाजा लग जाएगा कि आप अपनी माँ को कितने पैसे दे सकते हैं। दूसरा, एक अलग अकाउंट का मतलब है कि वह आपकी अपनी प्लानिंग में दखल नहीं देगा। अंत में, अपनी माँ को पैसे देने के लिए आपका अपने पार्टनर से कोई भी मतभेद नहीं होगा। एक अच्छा उपाय है अपनी माँ के साथ एक जॉइंट अकाउंट खुलवाना ताकि आप दोनों लोग उसे ऑपरेट कर सकें।