PPF की ब्याज दरों में कटौती, क्या अभी भी निवेश फायदेमंद है?
पीपीएफ (PPF) सरकार समर्थित योजना है जो छोटी बचत करने के लिए बनाई गई है। एक वर्ष में न्यूनतम 500 रूपए और अधिकतम 1,50,000 रूपए जमा किए जा सकते हैं। आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कर में छूट का लाभ मिलता है। पीपीएफ का पूरा अर्थ है पब्लिक प्रॉविडेंट फंड, ये एक निवेश स्कीम है। यह एक ऐसी स्कीम है जिसे केन्द्र सरकार के द्वारा पीपीएफ एक्ट, 1968 के तहत चलाया गया है। इस निवेश स्कीम का लाभ भारत में लाखों लोग उठा रहे हैं। हाल ही में सरकार ने पीपीएफ की ब्याज दरों में कटौती की है यहां ये देखना जरूरी है कि पीपीएफ की ब्याज दरों में हुई कटौती के बाद क्या पीपीएफ में निवेश करना उतना ही फायदेमंद है जितना पहले था? आइए जानते हैं।
पीपीएफ की ब्याज दरों में हुई कटौती
PPF निवेश योजना में सरकार ने ब्याज दरों को 0.2 फीसदी तक घटा दिया है, जिसके बाद अब इस योजना में निवेश करने वाले लोगों को 7.6 फीसदी की ब्याज दर के साथ रिटर्न मिलेगा। पहले इस योजना में 7.8 फीसदी का रिटर्न मिलता था। पीपीएफ खाते की खास बात ये है कि इसमें आप 100 रुपए की मामूली रकम के साथ खाता शुरु कर सकते हैं।
पीपीएफ खाते के लाभ
आपका पीपीएफ खाता सुचारु रुप से चलता रहे इसके लिए आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि प्रति वर्ष खाते में कम से कम 500 रुपए का निवेश हो, और ये निवेश अगले 15 वर्ष तक चलता रहे, अगर आपने नियम का पालन नहीं किया तो आपका पीपीएफ खाता बंद हो सकता है। इसमें निवेश के लिए भी सीमा है, कोई भी निवेश कर्ता अपने खाते में एक साल में अधिकतम डेढ़ लाख रुपए तक जमा कर सकता है, वहीं पीपीएफ खाता शुरु करने के बाद आप 7 साल तक उसमें से पैसा नहीं निकाल सकते हैं। आगे पढ़ें पीपीएफ के अन्य लाभ
80C के तहत कर में छूट
पीपीएफ में निवेश करने वाले व्यक्ति को आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कर में छूट का लाभ मिलता है। वहीं पीपीएफ पर ब्याज दरें भी काफी अच्छी हैं, ब्याज से होने वाली आय या लाभ पर भी किसी तरह का टैक्स नहीं लगता है। पीपीएफ पर ब्याज से होने वाली आय पूरी तरह से करमुक्त है।
असंगठित क्षेत्र को मिलती है सुरक्षा
इस कार्यक्रम की शुरूआत, सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र में स्व-नियोजित व्यक्तियों और श्रमिकों को सेवानिवृत्ति सुरक्षा प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। पीपीएफ के सदस्य खाते से ऋण, वापसी और विस्तार जैसे सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं।
एक व्यक्ति का एक ही खाता
अमूमन आपने देखा होगा कि एक व्यक्ति के एक से अधिक बैंकों में खाते होते हैं लेकिन पीपीएफ के मामले में ऐसा बिल्कुल नहीं है। पीपीएफ, एक व्यक्ति के नाम पर एक ही बार खुलता है। अगर कोई अवयस्क है तो उसके पक्ष से माता-पिता के नाम से यह खाता खोला जा सकता है। लेकिन किसी भी एक व्यक्ति के दो पीपीएफ खाते नहीं हो सकते हैं।
नाबालिग
अगर कोई नाबालिग है तो उसके नाम से माता या पिता में से कोई एक ही उसके पक्ष से पीपीएफ खाता खुलवा सकता है। जिन दम्पत्ति को दो बच्चे हैं उनके घर में चार पीपीएफ खाते हो सकते हैं। जिनमें से दो दम्पत्ति और दो संतान के नाम पर होंगे।
एनआरआई
अनिवासी भारतीय (एनआरआई), वह भारतीय होते हैं तो भारत के पासपोर्ट पर किसी और देश में जाकर कार्य, पढ़ाई या व्यापार करते हैं और छ: महीने से अधिक का समय व्यतीत करके आते हैं। आपको बता दें कि एनआरआई, भारत में पीपीएफ खाते को खुलवाने के लिए योग्य नहीं हैं।
भारतीय निवासी, जिसे एनआरआई का दर्जा प्राप्त है
एक निवासी, जो पब्लिक प्रॉविडेंट फंड स्कीम के तहत निर्धारित अवधि के दौरान अनिवासी भारतीय बन जाता है, वह नॉन-प्रत्यावर्तन आधार पर अपनी परिपक्वता अवधि तक इस फंड की सदस्यता लेना जारी रख सकता है। फंड को नकद या एनआरओ खातों के माध्यम से पीपीएफ खाते में हस्तांतरित किया जा सकता है जो कि वह खाता है जिसे उसके एनआरआई बनने से पहले खोला गया था। फंड भी इंटरनेट बैंकिंग के द्वारा स्थानांतरित किया जा सकता है। एनआरआई द्वारा बनाये गए ऐसे खाते, परिपक्वता के समय पांच वर्षों के विस्तार के लिए पात्र नहीं होंगे।
हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ)
13 मई 2005 से, हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), पीपीएफ योजना के तहत कोई खाता नहीं खोल सकता है। हालांकि, उस तिथि से पहले खोले गए खाते परिपक्वता तक अपने खाते में सदस्यता जारी रख सकते हैं। वे किसी भी और खाते का विस्तार नहीं कर सकते हैं। कुल मिलाकर एचयूएफ, पीपीएफ का लाभ नहीं उठा सकते हैं।
निष्कर्ष
तो यहां हम देख सकते हैं कि पीपीएफ की ब्याज दरों में भले ही कटौती की गई हो पर उससे मिलने वाले लाभ, टैक्स में छूट जैसे फायदे काफी आकर्षक हैं। इस लिहाज से अभी भी पीपीएफ में निवेश कई मायनों में सही ही है।