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नोटबंदी के 1 साल पूरे, जानें देश पर क्‍या-क्‍या हुआ असर

By Pratima
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नोटबंदी का असर जितना पिछले एक साल में हुआ है शायद ही इतिहास में ऐसा असर हुआ होगा। आज से एक साल पहले 8 नवंबर 2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबैन का आदेश दिया तो जैसे पूरे देश में खलबली सी मच गई। छोटे तबके से लेकर बड़े अमीर व्‍यक्ति भी घबरा गए। एक ओर जहां लोगों ने मोदी के इस फैसले का सम्‍मान किया तो वहीं विपक्ष के लोगों ने इस फैसले की जमकर निंदा की। यहां पर आज हम आपको बताएंगे कि देश की अर्थव्‍यवस्‍था और आम लोगों के जीवन पर एक साल में नोटबंदी का कितना अच्‍छा और बुरा प्रभाव पड़ा।

अर्थव्‍यवस्‍था पर हुआ सबसे ज्‍यादा असर

अर्थव्‍यवस्‍था पर हुआ सबसे ज्‍यादा असर

जैसा कि आप सबको पता है कि नोटबंदी में मुख्‍य रुप से 500 और 1000 रुपए के नोट बैन किए गए थे। इस फैसले को एक ओर जहां सरकार लगातार सफल बता रही है, वहीं एक्‍सपर्ट्स और विपक्ष इसे बुरी तरह से फेल मान रहे हैं। नोटबंदी को लेकर अभी भी पार्टियों, नेताओं और आम लोगों के बीच चर्चाएं चल रही हैं। नोटबंदी ने सबसे ज्‍यादा देश की अर्थव्‍यस्‍था को प्रभावित किया। आइए जानते हैं और किस पर कितना असर हुआ।

बैंकों में वापस आए पैसे

बैंकों में वापस आए पैसे

सरकार ने नोटबंदी में देश में चलन में रहे कुल कैश का लगभग 86% बैन कर दिया। सरकार का दावा था कि इस कैश में बड़ी मात्रा कालेधन की है। इसलिए सरकार ये उम्‍मीद कर रही थी कि इस कैश का काफी बड़ा हिस्‍सा सिस्‍टम में वापस नहीं आएगा और बेकार हो जाएगा। लेकिन सरकार की उम्‍मीदों उस वक्‍त उल्‍टी पड़ गईं जब नोटबंदी के बावजूद बैन की गई करंसी का 90 प्रतिशत से ज्‍यादा लगभग 15 लाख करोड़ रुपए बैंकों के पास वापस आ गए।

कैशलेस ट्रांजेक्‍शन में हुए बढ़ोत्‍तरी

कैशलेस ट्रांजेक्‍शन में हुए बढ़ोत्‍तरी

गर्वमेंट ने कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए नोटबंदी को जरुरी बताया था। नोटबंदी के शुरुआती महीनों में तो कैश की तंगी के कारण लोगों ने काफी कैशलेस ट्रांजेक्‍शंस किए, लेकिन बाजार में कैश उपलब्‍ध होते ही कैशलेस ट्रांजेक्‍शन में काफी गिरावट आ गई। हालांकि यह भी सच है कि पहले के मुकाबले कैशलेस ट्रांजेक्‍शन में कई गुना वृद्धि दर्ज की गई।

कालेधन में लगाम के लिए 500 और 2000 रुपए के नए नोट

कालेधन में लगाम के लिए 500 और 2000 रुपए के नए नोट

500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद होने के बाद आरबीआई ने 500 और 2000 रुपए के नोट जारी किए। इन नोटों को जारी करने का उद्देश्‍य देश में भारी मात्रा में चल रहे नकली नोटों पर लगाम लगाना था। आरबीआई ने इन नए नोटों को पहले से ज्‍यादा सुरक्षित बताया था। आरबीआई का दावा था कि इन नोटों की नकल करना बहुत ही मुश्किल है। कुछ दिन तक तो सब सही चला लेकिन जल्‍द ही मार्केट में 500 और 2000 के नकली नोट भरी मात्रा में आ गए।

इनकम टैक्‍स भरने वालों की बढ़ी संख्‍या

इनकम टैक्‍स भरने वालों की बढ़ी संख्‍या

नोटबंदी कई मामलों में फायदेमेंद रही। 2016-17 में इनकम टैक्‍स भरने वाले लोगों की संख्‍या में पिछले साल के मुकाबले 25% की बढ़ोत्‍तरी दर्ज की गई। 2015-16 में जहां 2.23 करोड़ लोगों ने इनकम टैक्‍स रिटर्न भरे थे, वहीं 2016-17 में 2.79 करोड़ लोगों ने इनकम टैक्‍स रिटर्न भरे।

भ्रमित बैंक खातों का पता चला

भ्रमित बैंक खातों का पता चला

केंद्र सरकार को 17 लाख से ज्‍यादा ऐसे संदेहास्‍पद खातों का पता चला जिनके इनकम टैक्‍स रिटर्न उनके द्वारा नोटबंदी के दौरान बैंकों में जमा किए पैसों के हिसाब से मेल नहीं खा रहे हैं। इनकम टैक्‍स विभाग ने भारी मात्रा में ऐसे लोगों को नोटिस भेजा है।

2 लाख रुपए से ज्‍यादा के कैश ट्रांजेक्‍शन में लगी रोक

2 लाख रुपए से ज्‍यादा के कैश ट्रांजेक्‍शन में लगी रोक

2016-2017 के बजट में 2 लाख रुपए से ज्‍यादा के कैश ट्रांजेक्‍शन पर रोक लगा दी। ऐसा कालेधन के चलन पर रोक लगाने के लिए किया गया। वहीं 50,000 रुपए से ज्‍यादा का सोना खरीदने पर भी सरकार ने पैन कार्ड डीटेल देना अनिवार्य कर दिया, जबकि इसकी सीमा बाद में बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दी गई।

English summary

Know the impact of 1 year of demonetisation

Know here the impact of one year of demonetisation.
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