INDIA में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए 10 टिप्स
यदि आप स्टॉक मार्केट में निवेश करना प्रारंभ करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सबसे पहले स्टॉक्स और शेयर्स को अच्छे से समझना होगा। नियमित तौर पर निवेश करने के साथ-साथ पैसे संबंधी जोखिम को टालकर आप समय के साथ पैसों की अच्छी बचत कर सकते हैं। नीचे दिए गए टिप्स को ध्यान में रखकर प्रारंभिक निवेशक भविष्य के लिए पैसा बचा सकते हैं।
अपना लक्ष्य रखें
स्टॉक्स और शेयर्स में निवेश करते समय दीर्घकालीन लक्ष्य रखना फायदेमंद होता है। चाहे आप अपने रिटायरमेंट के लिए बचत कर रहे हों या अपने बच्चों की शिक्षा के लिए या संपत्ति खरीदने के लिए या अन्य किसी भी कारण से, दीर्घकालीन लक्ष्य से आप बचत के महत्व को अच्छी तरह समझ सकते हैं। माना कि आप कम समय के ऐसी योजना में निवेश करना चाहते हैं जहां आप जब चाहे तब पैसा निकाल सकें। तब आपको अन्य किसी निवेश योजना में निवेश करना चाहिए क्योंकि स्टॉक मार्केट में इस बात की कोई स्थिरता नहीं रहती कि आवश्यकता पड़ने पर आप अपने पैसे निकाल सकें।
जल्दी से जल्दी करें निवेश
आपका निवेश पोर्टफोलियो कितना बढ़ेगा यह कुछ कारकों पर निर्भर करता है जैसे आपने कितनी पूंजी का निवेश किया, निवेश का समय कितना था और पूंजी पर कुल कितना लाभ हुआ। आपको सलाह दी जाती है कि आप जितनी जल्दी संभव हो निवेश करें क्योंकि इससे आप पैसे की अच्छी खासी बचत कर सकते हैं।
जोखिम का स्तर
निवेश करने से पहले आपको उससे जुड़े हुए खतरों या जोखिमों के बारे में अच्छी तरह विश्लेषण कर लेना चाहिए। विभिन्न योजनाओं से जुड़े खतरों और उनमें से सही विकल्प चुनने का सबसे अच्छा तरीका है कि इनका तुलनात्मक अध्ययन किया जाए। ऐसा करने से आप प्रत्येक योजना के साथ जोखिम के स्तर के बारे में जान जाएंगे और उसी तरह पैसे का निवेश करेंगे। इनके साथ जुड़े हुए जोखिमों के बारे में जानने आप इनसे संबंधित खतरों से बच जायेंगे और आप ऐसी योजनाओं में निवेश नहीं करेंगे जिनसे आपको पैसे का नुकसान उठाना पड़े।
भावनाओं पर नियंत्रण
शेयर बाज़ार में निवेश की प्राथमिक ज़रूरतों में से एक है कि आप अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखें। किसी कंपनी के प्रति बाज़ार में क्या भावना है यह उस कंपनी के शेयर के मूल्य से पता चल जाती है। उदाहरण के लिए यदि ज़्यादातर निवेशक किसी कंपनी की संभावनाओं के बारे में संदेह रखते हैं तो स्टॉक और शेयरों की कीमत कम हो जाती है। उसी प्रकार जब निवेशक किसी कंपनी पर भरोसा दिखाते हैं तो उस कंपनी के स्टॉक्स और शेयर्स के मूल्य में वृद्धि हो जाती है। वे निवेशक जो बाज़ार के प्रति सकारात्मक रहते हैं "बुल्स" कहलाते हैं और उनके नकारात्मक समकक्ष लोग "बेअर्स" कहलाते हैं। शेयरों की कीमतों में परिवर्तन बेअर्स और बुल्स के बीच संघर्ष से प्रभावित होता है और कीमतों में अल्पावधि परिवर्तन कंपनी की संभावनाओं, संपत्ति और प्रबंधन के व्यवस्थित विश्लेषण के बजाय अटकलों, अफवाहों और भावनाओं से प्रभावित होते हैं।
अच्छी तरह से कर लें विश्लेषण
जैसे जैसे स्टॉक की कीमतों में परिवर्तन होता है, निवेशक को असुरक्षा और तनाव महसूस होने लगता है, उनके मन में प्रश्न उठने लगते हैं कि क्या उन्हें पैसे के नुकसान से बचने के लिए अपने शेयर्स बेच देने चाहिए या शेयर्स अपने पास रखकर कीमतों के बढ़ने का इंतज़ार करना चाहिए। क्योंकि हमारे एक्शन मुख्यत: हमारी भावनाओं द्वारा प्रभावित होते हैं अत: अच्छा होगा कि अंतिम निर्णय पर पहुँचने से पहले सभी कारकों का अच्छी तरह विश्लेषण किया जाए।
स्टॉक मार्केट का अध्ययन करना
निवेश करने से पहले निवेशक को सलाह दी जाती है कि वे स्टॉक मार्केट की मूलभूत बातों जैसे विभिन्न प्रतिभूतियां जो स्टॉक मार्केट को बनाती हैं, का अध्ययन करे। जिन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए उनमें ऑर्डर का प्रकार, वित्तीय परिभाषाएं और मीट्रिक, विभिन्न प्रकार के निवेश खाते, निवेश का समय, स्टॉक के चयन की पद्धति आदि शामिल हैं। स्टॉक मार्केट के बारे में अच्छी समझ प्राप्त करने का अर्थ है कि आप जोखिमों को अच्छी तरह समझ पाएंगे और आप सही निर्णय ले पायेंगे।
निवेशों का विवधीकरण
निवेशों का विविधीकरण मुख्यत: विशेषज्ञ निवेशकों द्वारा किया जाता है क्योंकि वे निवेश पर पूरी तरह रिसर्च (शोध) करके उसे वर्गीकृत करते हैं और वे निवेश से जुड़े हुए प्रत्येक जोखिम की भी गणना भी करते हैं। हालाँकि प्रारंभिक निवेशकों को निवेश का विवधिकरण करने से पहले स्टॉक मार्केट में कुछ अनुभव प्राप्त कर लेना चाहिए। स्टॉक का विवधीकरण जोखिम प्रबंधन के सबसे पसंदीदा तरीकों में से एक है।
अलग-अलग कंपनियों के शेयर्स में निवेश करें
यदि आप पांच अलग अलग कंपनियों से स्टॉक खरीदते हैं और अपेक्षा करते हैं कि प्रत्येक निवेश के मूल्य में लगातार वृद्धि हो, तो ऐसी स्थिति संभव है कि उनमें से दो कंपनियां बहुत अच्छा प्रदर्शन करें और उनकी कीमत में 25% की वृद्धि हो तथा दो कंपनियां ऐसी हों जिनमें से प्रत्येक के मूल्य में 10% की वृद्धि हो और पांचवीं कंपनी के स्टॉक्स को किसी मुकदमे से निपटने के लिए बेच दिया गया। क्योंकि स्टॉक्स को बेचने से निवेशकों को नुकसान होता है अत: स्टॉक्स का विविधीकरण करने से आप ऐसे नुकसान से उबर सकते हैं क्योंकि आपको अन्य दूसरी कंपनियों से फायदा होता है। अत: अच्छा होगा कि आप निवेशक के तौर पर एक कंपनी में निवेश करने के बजाय अलग अलग कंपनी के शेयर्स में निवेश करें।
परिस्थिती का फायदा उठाने से बचे
लेवरिज तब होता है जब आप पैसा उधार लेते हैं और उसे स्टॉक मार्केट में लगाते हैं। मार्जिन अकाउंट्स के लिए ब्रोकरेज फर्म और बैंक स्टॉक्स खरीदने के लिए स्टॉक के अंकित मूल्य के 50% के बराबर ऋण प्रदान करते हैं। तो यदि कोई निवेशक 500 रूपये प्रति शेयर के हिसाब से 100 शेयर्स खरीदने का निश्चय करता है तो इसकी कुल कीमत 50,000 रूपये होगी। ब्रोकरेज फर्म से 50% ऋण (25,000 रूपये) लेकर इसे खरीदा जा सकता है।
उधार के पैसे का पड़ता है असर
उधार के पैसे का मूल्य के परिवर्तन पर प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए यदि प्रत्येक शेयर का मूल्य 1000 रूपये प्रति शेयर बढ़ गया और निवेशक इसे बेचने का निर्णय लेता है तो उसे निवेश पर 100% रिटर्न मिलेगा यदि उसने स्वयं के पैसे से वे शेयर्स खरीदें हों ((1,00,000 - 50,000)/ 50,000)। यदि स्टॉक को ख़रीदने के लिए 25,000 रूपये उधार लिए गए और यदि इसे 1000 रूपये प्रति स्टॉक के हिसाब से बेचा तो 25,000 रूपये ऋण चुकाने के बाद आपको 300% ((1,00,000 - 25,000)/25,000) तक रिटर्न्स मिलेगा।
जब शेयर्स की कीमतें बढ़ती हैं तो संभावनाएं अच्छी होती हैं। हालाँकि शेयर्स की कीमतों में गिरावट होने से आपको प्रारंभिक निवेश पर अच्छा खासा नुकसान हो सकता है और आपको इसके साथ ही ब्रोकर को ब्याज की कीमत भी चुकानी पड़ती है।
इन सभी दिशा निर्देशों का पालन करके आप स्टॉक मार्केट को अच्छी तरह समझ सकते हैं और ऐसी योजनाओं में निवेश कर सकते हैं जिनसे आपको समय के साथ अच्छा अच्छा फायदा हो।