जानिए डॉलर कैसे प्रभावित करता है आपकी बचत को
जिस तरह हर देश की अपनी अलग-अलग करेंसी होती है ठीक उसी तरह भारत की करेंसी रुपया है। विभिन्न देशों की करेंसी की वैल्यू की तुलना डॉलर के हवाले से की जाती है। यदि आप यह सोच रहे हैं कि डॉलर से आपको क्या लेना-देना है और क्या फर्क पड़ना है तो आप यह गलत सोच रहे हैं। भारत की करेंसी रुपये में अगर एक अंक की भी गिरावट होती है तो इसका सीधे असर आपकी बचत पर पड़ता है। तो आपको यहां पर हम बताएंगे कि आपकी सेविंग डॉलर से कैसे प्रभावित होती है।
क्या है डॉलर
डॉलर संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की करेंसी है। विश्व में इस करेंसी को सबसे मजबूत करेंसी माना गया है। तभी तो अमेरिका महाशक्तियों में आता है।
डॉलर का रुपए से क्या सम्बन्ध
आपको बता दें कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों को डॉलर में निर्धारित की जाती है। अभी उदाहरण लिए कहें तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल का आयात करते हैं तो तेल कम्पनी को डॉलर में ही भुगतान करना होता है। यहां तक कि बाहर से निर्यात भी करते हैं तो हम पहले रुपए देकर डॉलर खरीदते हैं फिर आयात करते हैं। यानी दूसरे देशों से उत्पाद खरीदते हैं।
यह पड़ता है असर
अगर रुपए में डॉलर के मुकाबले गिरावट आती है या कहें रुपए की वैल्यू डॉलर के सामने घट जाती है तो हम जितना रुपए में डॉलर खरीदकर आयात करने पर खर्च कर रहे थे, उससे ज्यादा रुपए खर्च करने पड़ेंगे। उदाहरण के लिए यदि डॉलर की वैल्यू पचास रुपए से बढ़कर 60 रुपए हो जाती है तो हमे पहले की तुलना में ज्यादा रुपए खर्च करने पड़ेंगे और हमारा लाभ उतना ही रहेगा। इससे व्यापार घाटा बढ़ेगा। व्यापार घाटा बढ़ेगा तो भारतीय तेल कम्पनियां तेल महंगा कर देंगी। इसका असर ट्रांसपोर्ट पर कुछ इस तरह पड़ेगा कि सब्जियों व अन्य उत्पादों को लादकर एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने की लागत बढ़ जाएगी।
यह पड़ेगा आपकी बचत पर असर
तेल कम्पनियों की लागत और अधिक लौडिंग यानी ट्रांसपोर्ट लागत बढ़ने से अधिक खर्च वहन करना पड़ेगा। जिससे सब्जियां व अन्य उत्पाद महंगे हो जाएंगे। इससे आपका बजट बिगड़ेगा। जिससे आपको अपनी बचत में से पैसा निकालकर वही वस्तू महंगे दाम पर खरीदनी पड़ेगी।