For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

क्या बढ़ा-चढ़ा कर पेश की जा रही है भारत की जीडीपी? जानिए यहां

|

नयी दिल्ली। कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। जीडीपी तेजी से घट रही, जबकि बेरोजगारी दर बढ़ रही है। सरकार ने आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए कई उपाय किए हैं, जिनमें कई तरह की छूट दिया जाना शामिल है। मार्च और अप्रैल में सरकार और आरबीआई की तरफ से कई राहत/मोहलत देने की घोषणाएं की गईं। मगर इन छूटों के मद्देनजर कई जानकार मानते हैं कि जीडीपी के सही आंकड़े सामने नहीं आ रहे हैं। एक्सपर्ट्स ये भी मानते हैं कि आने वाले समय में अगस्त में जब चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजे पेश किए जाएंगे तो तिमाही और वार्षिक आंकड़ों में बड़े बदलाव किए जाएंगे। जानते हैं इस मामले में क्या कहते हैं बाकी एक्सपर्ट्स।

अर्थशास्त्रियों के पास सही आंकड़े नहीं

अर्थशास्त्रियों के पास सही आंकड़े नहीं

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एक जानकार कहते हैं कि सरकार की तरफ से विभिन्न विनियामक छूट और लोन में मोहलत दिया जाना ऐसा ही है जैसे थर्मामीटर तोड़ कर बुखार चेक करना। दरअसल यह सच है कि अगले छह महीनों के लिए (उधारकर्ता की तरफ से) लोन वापस न करना और उस लोन अकाउंट को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति या एनपीए (कर्जदाता की तरफ) कैटेगरी में न डालने से दोनों पक्षों की मदद होती है और वे कोरोना लॉकडाउन से बच सकते हैं। मगर इससे अर्थव्यवस्था के एकाउंटेंट, जो जीडीपी का अनुमान लगाते हैं, के पास पूरे आंकड़े नहीं होंगे। वही कंपनियों के लिए अपने तिमाही नतीजे पेश करने के लिए अधिक समय दिया गया है। इससे भी अर्थशास्त्रियों की मुश्किल बढ़ेगी।

शुद्ध नहीं हैं आंकड़ें

शुद्ध नहीं हैं आंकड़ें

वास्तविक आंकड़ों के न मिलने के चलते तिमाही जीडीपी के अनुमान मान्यताओं (assumption) पर आधारित हैं। इससे जीडीपी के अनुमानों के गलत होने की संभावना बढ़ गई। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रोनाब सेन ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी 2 लाख करोड़ रुपये अधिक आंकी गई है, जो देश की सालाना जीडीपी का 1 फीसदी है। इस तिमाही में 3.1 फीसदी की विकास दर बताई गई। मगर सेन सहित कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि फ्यूचर में इन आंकड़ों में बदलाव करके कम किया जाएगा।

हैरान रह गए अर्थशास्त्री

हैरान रह गए अर्थशास्त्री

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए डेटा ने अधिकांश अर्थशास्त्रियों और पूर्वानुमानकर्ताओं को आश्चर्यचकित कर दिया। उदाहरण के लिए StanChart की अनुभूति सहाय ने चौथी तिमाही में जीडीपी के -1.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। बाकी अधिकतर अर्थशास्त्रियों ने तिमाही में 1 से 2 फीसदी विकास दर रहने का अंदाजा लगाया था। एक अन्य एक्सपर्ट का कहना है कि इन आंकड़ों को बढा-चढ़ाकर आंका गया है। संभावित रूप से इन्हें कम किया जाएगा, क्योंकि लॉकडाउन से संस्थाओं का डेटा प्रवाह बाधित हुआ है।
वैसे आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब जीडीपी के आंकड़ों को बढ़ा कर पेश किए जाने आरोप सामने आए हैं। सीएसओ (सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस) से एक मेथेडोलॉजिकल नोट पेश करने की मांग भी की गई, जिसमें बताया जाए कि पिछले 2-3 सालों में डेटा इतना अस्थिर क्यों हो गया है? क्या इसलिए क्योंकि अर्थव्यवस्था एक संरचनात्मक परिवर्तन से गुजर रही है जिसे सीएसओ कैप्चर करने में सक्षम नहीं है? ये ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब सीएसओ ही दे सकता है।

इकोनॉमी की हालत लगातार हो रही खराब, जानिए क्या हो सकता है अबइकोनॉमी की हालत लगातार हो रही खराब, जानिए क्या हो सकता है अब

English summary

Whether or not you are getting correct figures of GDP know what the experts say

Quarterly GDP estimates are based on assumptions due to the absence of actual data. This raised the possibility of incorrect GDP estimates.
Story first published: Monday, June 1, 2020, 16:02 [IST]
Company Search
Thousands of Goodreturn readers receive our evening newsletter.
Have you subscribed?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X