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क्या होता है सरकारी और प्राइवेट बैंक में अंतर, किसमें है कम रिस्क, जरूर जानें

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नई दिल्ली, जुलाई 18। बैंकिंग सुविधा आज के समय में हर किसी की जरूरत बन गयी है। आप बिना बैंकिंग सर्विसेज के अपने ढेरों काम नहीं कर सकते हैं। इसलिए बैंकिंग सर्विसेज आपको लेनी ही होगी। वहीं आज के इंटरनेट के समय में बैंकिंग सेवाएं तेज हो गयी हैं। लोग फटाफट अपने मोबाइल से ही बैंकों के काम कर लेते हैं। यदि आपने अभी तक बैंक खाता नहीं खुलवाया है तो जरूर खुलवाएं। भारत में प्रमुख तौर पर 2 तरह के बैंक हैं। एक प्राइवेट और दूसरे सरकारी। मगर कई बार लोग सोचते हैं कि इनमें अंतर क्या है। जो छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी कर रहे हैं उनके लिए ये जानना और भी अधिक जरूरी है। आज हम आपको इनके बीच के अंतर के साथ साथ इनमें से कौन से बैंक अधिक सेफ हैं, ये भी बताएंगे।

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आरबीआई करता है निगरानी

आरबीआई करता है निगरानी

सबसे पहले तो यह जानिए कि आरीबआई देश का सर्वोच्च और केंद्रीय बैंक है। इसे बैंकों का बैंक कहा जाता है। क्योंकि इसके पास बैंकों के खाते होते हैं। आरबीआई पर ही देश के बैंकिंग सिस्टम को व्यवस्थित और नियंत्रित करने की जिम्मेदारी है। बात करें प्राइवेट और सरकारी बैंकों की तो इनमें वैसे कोई अंतर नहीं है। दोनों के बैंकिंग सिस्टम एक जैसे होते हैं। मगर हिस्सेदारी को लेकर एक बड़ा अंतर होता है।

समझें हिस्सेदारी का अंतर
 

समझें हिस्सेदारी का अंतर

हिस्सेदारी (शेयरहोल्डर्स) ही सरकारी और प्राइवेट बैंक के बीच सबसे बड़ा अंतर होते हैं। सरकारी बैंक में अधिकतर हिस्सेदारी (लगभग 50 प्रतिशत या इससे अधिक) सरकार के पास होती है। वहीं प्राइवेट बैंक की ज्यादातर हिस्सेदारी बड़े शेयरधारकों के पास होती है। ज्यादातर प्राइवेट बैंक किसी ग्रुप द्वारा चलाए होते हैं। जो बैंक शेयर बाजार में लिस्टेड होते हैं, उनकी कुछ हिस्सेदारी पब्लिक के पास भी होती है।

मैनेजमेंट का अंतर

मैनेजमेंट का अंतर

एक बड़ा अंतर में प्राइवेट और सरकारी बैंकों में मैनेजमेंट को लेकर होता है। प्राइवेट बैंक के मैनेजमेंट में सरकार का दखल नहीं होता, जबकि सरकारी बैंकों में सरकार दखल देती है।

बैलेंस का अंतर
एक और बात कि सरकारी बैंकों में बचत खाते में आपको कम बैलेंस मैंटेन करना होता है, जबकि प्राइवेट बैंकों की लिमिट अधिक है।

कौन से बैंक हैं ज्यादा सेफ
देखा जाए तो दोनों ही तरह के बैंक सेफ हैं। मगर सरकारी बैंक इसलिए थोड़े अधिक सेफ हैं, क्योंकि सरकार इनका नियंत्रण करती है। बाकी 5 लाख रु तक आपका पैसा सभी बैंकों में सेफ है, क्योंकि इतना राशि का बीमा हुआ होता है।

कैसे बड़े भारत में प्राइवेट बैंक

कैसे बड़े भारत में प्राइवेट बैंक

1990 में प्राइवेट बैंक को लाइसेंस देने के नियमों और प्रोसेस को आसान बनाया गया। इसी कारण प्राइवेट बैंकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। अब देश में इन बैंकों को अपनी सर्विस देते हुए काफी लंबा समय हो गया है। इससे लोग इन पर भरोसा भी करते हैं।

प्रमुख सरकारी बैंक

प्रमुख सरकारी बैंक

इस समय देश में प्रमुख सरकारी बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब नेशनल बैंक आदि शामिल हैं। वहीं प्राइवेट बैंकों में आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, बंधन बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, इंडसइंड बैंक आदि शामिल हैं।

English summary

What is the difference between government and private bank which has less risk

The biggest difference between a government and a private bank is the stake (shareholders). Most of the stake (about 50 percent or more) in a public sector bank is held by the government.
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