VPF : जरूरी ईपीएफ से अधिक योगदान के बेनेफिट हैं या नहीं, जानिए यहां
नयी दिल्ली। हाल ही में शेयर बाजारों और म्यूचुअल फंड निवेशों में भारी गिरावट और उथल-पुथल देखी गई। शेयर बाजार और इसकी वजह से म्यूचुअल फंड्स के रिटर्न पर काफी बुरा असर पड़ा। ऐसे में अगर आप अपनी बचत को लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आप ज्यादा स्थिर ऑप्शन की तरफ देख सकते हैं। वैसे भी जानकार लंबी अवधि के लिए स्थिर ऑप्शन में पैसा लगाने की सलाह देते हैं ताकि आपके लंबे समय वाले लक्ष्यों पर कोई फर्क न पड़े। ऐसा ही एक खास निवेश ऑप्शन है ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि), जिसमें आपको अनिवार्य रूप से हर महीने (यदि आप एक सैलेरी कर्मचारी हैं) योगदान करना होता है। ये एक सरकारी गारंटी वाली स्कीम है। इसलिए इसमें आपका पैसा सुरक्षित रहेगा। पर क्या आप जानत हैं कि आप ईपीएफ में जरूरी से ज्यादा निवेश भी कर सकते हैं। यहां हम आपको इसका तरीका और फाएदे के बारे में बताएंगे।
क्या होता है Voluntary Provident Fund (वीपीएफ)
आपको ईपीएफ के लिए अपनी बेसिक सैलेरी में से 12 प्रतिशत का अनिवार्य योगदान देना जरूरी है। यही वह न्यूनतम योगदान है जो एक कर्मचारी कर सकता है। मगर यदि आप अपनी बेसिक सैलेरी में से ईपीएफ में 12 फीसदी से ज्यादा निवेश करना चाहते हैं तो आप वीपीएफ के जरिए ऐसा कर सकते हैं। वीपीएफ के जरिए ईपीएफ में 100 फीसदी तक बेसिक सैलेरी और महंगाई भत्ता, यदि कोई हो, भी निवेश करने की इजाजत होती है। फाएदे की बात यह है कि वीपीएफ राशि पर आपको ईपीएफ जितना ही ब्याज मिलेगा।
वीपीएफ का विकल्प कौन चुन सकता है?
कोई भी व्यक्ति जिसका अपना ईपीएफ खाता है वो वीपीएफ में निवेश कर सकता है।
एम्प्लोयर (कंपनी) का योगदान
ईपीएफ में कर्मचारी और एम्प्लोयर रिटायरमेंट फंड में बराबर का योगदान देते हैं। हालांकि एम्प्लोयर वीपीएफ के मामले में ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं है। जैसा कि नाम से पता चलता है, यह एक स्वैच्छिक योगदान है जिसके लिए कर्मचारी खुद फैसला लेता है। इसके लिए आपको (कर्मचारी) अलग से अपनी कंपनी को बताना होता है कि आप वीपीएफ में कितना निवेश करना चाहते हैं।
नहीं लगता किसी तरह का टैक्स
ईपीएफ की ही तरह वीपीएफ में किया गया योगदान हर तरह से टैक्स फ्री होता है। यानी योगदान, मिलने वाले ब्याज और निकाले गए पैसे किसी पर कोई टैक्स नहीं लगता। यदि आप पुराना टैक्स सिस्टम चुनते हैं तो 80सी के तहत टैक्स छूट का क्लेम किया जा सकता है (एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक)। हालांकि, अगर आप 5 साल के न्यूनतम कार्यकाल के पूरा होने से पहले इसमें से पैसा निकालते हैं तो इस पर टैक्स लगेगा और आपके खाते में पैसे जमा होने से पहले इस तरह का टैक्स (टीडीएस) काट लिया जाएगा।
पैसा निकालना
आप ईपीएफ में से लोन के रूप में कुछ पैसे और वीपीएफ का पूरा पैसा ईपीएफ में से निकाल सकते हैं। मगर 5 साल से पहले ऐसा करने पर टैक्स लगेगा, जैसा कि ऊपर बताया गया है।
वीपीएफ को बंद करना
ध्यान रखिए कि अगर आप वीपीएफ के लिए योगदान देना शुरू करने का ऑप्शन चुनते हैं तो 5 साल पूरे होने से पहले इस योगदान को रोक नहीं सकते।
कंपनी बदलने पर
ध्यान दें कि कंपनी बदलने पर वीपीएफ यूएएन के साथ-साथ आधार से भी जुड़ा हुआ है और इससे आपके खाते को नई कंपनी के पास ट्रांसफर करना आसान हो जाएगा और आपकी नई कंपनी के माध्यम से इसमें योगदान जारी रहेगा।
क्या वीपीएफ है आपके लिए फाएदेमंद
वीपीएफ में योगदान आपके अपने फैसले पर निर्भर है, मगर कुछ बातों पर आपको जरूर ध्यान देना चाहिए।
- वीपीएफ में कम से कम 5 साल तक योगदान जरूरी
- ब्याज दर को हर साल संशोधित किया जाता है और सरकार बाजार की स्थितियों के आधार पर हर वित्त वर्ष की समाप्ति पर इसका ऐलान करती है। मार्च में ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ईपीएफ ग्राहकों के लिए 8.5 प्रतिशत ब्याज की घोषणा की, जो कि 7 साल में सबसे कम है।
- अपनी आयु और जोखिम लेने की क्षमता पर विचार करें। एफडी क मुकाबले इस समय ईपीएफ/वीपीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर अधिक हैं और ये उनके लिए बेहतर है जो रिटायरमेंट के करीब हैं। क्योंकि 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति अपनी बचत के साथ जोखिम नहीं उठा सकते। मगर यदि आप युवा हैं, तो कई बाजार से जुड़े कई निवेश ऑप्शन हैं जो समय के साथ हाई रिटर्न दे सकते हैं।
- यदि आपके पास खर्चों में आई अचानक वृद्धि को संभालने करने के लिए इनकम के वैकल्पिक स्रोत हैं, तो आप वीपीएफ पर विचार कर सकते हैं।
- वीपीएफ पर सरकारी गारंटी है। इसका मतलब है कि भले ही आपको कम ब्याज मिले आपका पैसा पूरी तरह सुरक्षित रहेगा।
EPF बैलेंस पर कितना मिल रहा ब्याज, ऐसे करें कैल्कुलेशन