सब्जियों की कीमतों ने निकाला तेल, 100 रु किलो से ऊपर पहुंचे रेट, ये है वजह
Vegetable Rate in India : अत्यधिक बारिश और फसल के नुकसान के कारण, आम उद्यान सब्जियों के लिए नई औसत खुदरा कीमतें अब मुंबई सहित महानगरों में 60-80 रुपये से बढ़ कर 120-140 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं। कुछ व्यापारियों ने कीमतों में वृद्धि के लिए ईंधन और परिवहन लागत में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया है। 2022 की शुरुआत से ही भारत में बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति उपभोक्ताओं और नीति निर्माताओं के लिए एक परेशानी का सबब रही है। तेल और गैस की कीमतें बढ़ रही हैं और बेमौसम बारिश ने भारत के किसानों और उपभोक्ताओं की मुसीबतें बढ़ा दी हैं।
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खेत में पड़ी सब्जियां सड़ गईं
खुदरा विक्रेता पहले खराब मौसम को सब्जियों की बढ़ी कीमतों की वजह बताते रहे हैं। सब्जी विक्रेताओं के अनुसार लगातार बारिश के कारण खेत में पड़ी सब्जियां सड़ गईं। बाजार का यह हाल बाजार और आम जनता तक न पहुंच सकने वाली सब्जियों की किल्लत के कारण हुआ है। यानी बारिश के कारण सब्जियों की सप्लाई बाधित हुई, जिससे दाम बढ़ गए।
टमाटर सूख गए
भारी वर्षा के कारण सभी उत्पादक क्षेत्रों (महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात) में टमाटर सूख गए। अच्छे लाल फलों की थोक में कीमत 40-50 रुपये होती है, इसलिए स्वाभाविक रूप से खुदरा दरें 60-80 रुपये हैं। जानकार कह रहे हैं कि नवंबर के मध्य में नई फसल आने के बाद ही स्थिति में सुधार होगा। यही हाल अन्य सब्जियों का भी है। वर्तमान फसल का केवल 20-30% ही अच्छी क्वालिटी का है। बाकी का एवरेज या उससे नीचे है।
टमाटर और पालक के दाम
टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अंधेरी लोखंडवाला में मंगलवार को टमाटर 60 रुपये प्रति किलो बिका। पालक 50 रुपये प्रति गुच्छा और भिंडी का रेट 120 रुपये प्रति किलो रहा। वहीं ग्वार (क्लस्टर बीन्स) 160 रुपये रही। परवल, माटुंगा में 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है, जो सबसे महंगे रिटेल रेट में से एक है। फूलगोभी, जो आमतौर पर 16-18 रुपये में बिकती है, अब थोक बाजार में 60 रुपये में बिक रही है। व्यापारी पहले एक नींबू लगभग 50 पैसे-1 रुपये में खरीद रहे थे, अब प्रति इकाई 4-5 रुपये का भुगतान कर रहे हैं।
फसल का नुकसान
भारत भर में कई किसानों को कथित तौर पर फसल के नुकसान का सामना करना पड़ा है। इसका मतलब यह है कि खाद्य कीमतें, जो पहले से ही दो वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर हैं, फसल के बाद कम होने के बजाय ऊंचे स्तर पर रह सकती हैं। इससे भारत के लाखों ग्रामीण गरीब विशेष रूप से प्रभावित होंगे, जो खराब फसल और उच्च कीमतों दोनों से प्रभावित होंगे। अनाज के साथ, सब्जियों, दूध, दालों और खाद्य तेलों की कीमतें भी बढ़ रही हैं और आने वाले महीनों में उच्च रहने की संभावना है।
अनाज, सब्जी और दूध
रिपोर्ट के अनुसार अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पिछले साल के अक्टूबर महीने में सूचकांक में उछाल के कारण वार्षिक हेडलाइन खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर के 7.41% के शिखर से कम हो सकती है। लेकिन अनाज, सब्जी और दूध पर कीमतों पर दबाव बना रहना तय है। भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में अपने बुलेटिन में कहा कि हेडलाइन मुद्रास्फीति सितंबर के स्तर से कम हो जाएगी।