Oxygen : UP हो गया आत्मनिर्भर, जानिए ऐसा क्या हुआ
नई दिल्ली। कोविड 19 महामारी के दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन की उपलब्धता ज्यादातर राज्यों में चिंता का कारण बनी हुई है। ऐसा ही हाल उत्तर प्रदेश का भी था। लेकिन अब ऑक्सीजन के मामले में यूपी पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो गया है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक काफी बड़ा ऑक्सीजन शुरू हो गया है। इसके बाद उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की दिक्कत खत्म हो जाएगी, वहीं आसपास के राज्यों में यह भेजी भी जा सकेगी। एक अनुमान के अनुसार कोविड-19 रोगी को रोज करीब 86,000 लीटर से अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है।
इस ऑक्सीजन प्लांट को बनाने वाली कंपनी आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स के निदेशक सिद्धर्थ जैन के अनुसार आज से उत्तर प्रदेश ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिभर हो गया है। अब प्रदेश में जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन का उत्पादन होने लगा है। 150 टन प्रतिदिन की क्षमता वाला एयर सेपरेशन प्लांट उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा गैस प्लांट है। इसमें लिक्विड ऑक्सीजन, लिक्विड नाइट्रोजन और लिक्विड हाईड्रोजन का उत्पादन होगा। वहीं इस 150 टीपीडी (टन प्रति डे) की लिक्विड ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता वाले नए प्लांट के शुरू होने के बाद यूपी की कुल उत्पादन क्षमता 115 टीपीडी से 265 टीपीडी हो गई है।
इस प्लांट का यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है। इस प्लांट की आधारशिला पीएम नरेन्द्र मोदी ने जुलाई 2018 में रखी थी। यूपी सरकार ने इन्वेस्टर्स समिट 2018 के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार और आईनॉक्स एपी के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किया था। इसी के तहत इस ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण हुआ है।
क्या है मेडिकल ऑक्सीजन
सिलेंडर में ऑक्सीजन एकत्र करना उतना सरल नहीं है, जितना सुनाई देता है। इस उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, हमारे आस-पास की प्राकृतिक हवा में लगभग 21 प्रतिशत ऑक्सीजन, 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 1 प्रतिशत आर्गन और अन्य गैसें जैसे कि नियॉन और जेनॉन हैं। शुद्ध ऑक्सीजन को इकट्ठा करने के लिए एक विशेष तकनीक को वायुमंडल से ऑक्सीजन किया जाता है और वायुमंडलीय वायु का सेपरेशन और डिस्टिलेशन किया जाता है। एक बार ऑक्सीजन एकत्र होने के बाद इसको विभिन्न ग्रेड में पैक किया जाता है। इसमें वेल्डिंग ऑक्सीजन, एविएशन ब्रीदिंग ऑक्सीजन, रिसर्च ग्रेड ऑक्सीजन और मेडिकल ऑक्सीजन होती है।
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