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Uday Kotak : इकोनॉमी और नौकरियां बचाने के लिए ज्यादा नोट छापे सरकार

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नई दिल्ली, मई 27। देश के शीर्ष बैंकरों में से एक उदय कोटक के मुताबिक लंबे कोविड-19 संकट से क्षतिग्रस्त हुई अर्थव्यवस्था को सपोर्ट देने के लिए भारत को ज्यादा नोट प्रिंट करने की जरूरत है। कोटक महिंद्रा बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के मुताबिक यह विस्तार दो भागों में किए जाने की जरूरत है। पहला उन लोगों के लिए जो संसाधनों के मामले में हाशिए पर हैं और दूसरा महामारी से प्रभावित क्षेत्रों की नौकरियों की सुरक्षा के लिए। कोटक के विचार में यह सरकार की बैलेंस शीट का विस्तार करने का समय है। उन्होंने कहा है कि ऐसा आरबीआई के सपोर्ट से मौद्रिक विस्तार (मोनेट्री एक्सपेंशन) या नोटों की छपाई के लिए हो।

Uday Kotak : इकोनॉमी बचाने के लिए ज्यादा नोट छापे सरकार

गरीबों को ट्रांसफर हो पैसा
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार गरीबों को डायरेक्ट ट्रांसफर के मामले में कोटक ने कहा कि इस पर जीडीपी के 1 प्रतिशत तक या 1-2 लाख करोड़ रु के करीब सरकारी खर्च होना चाहिए। बैंकर ने कहा कि इससे सबसे निचले तबके के लोगों की बीच खपत बढ़ेगी। उन्होंने सबसे गरीब व्यक्ति को मेडिकल बेनेफिट दिए जाने की आवश्यकता बताई।

2 तरह की है बिजनेसों की हालत
कोटक ने कहा कि महामारी के कारण बिजनेसों की दो कैटेगरी बन गयी हैं। पहली वे हैं जिन्हें कोविड के कारण एक अस्थाई झटका लगा है और उनके महामारी को झेल जाने की उम्मीद है। दूसरी वे हैं जिनके सामने संरचनात्मक रूप से चुनौती है, क्योंकि कोविड ने उनके बिजनेस मॉडल को इस हद बदल दिया है तक कि वे अब व्यवहार्य नहीं हैं। उनका कहना है कि पहली कैटेगरी का समर्थन करने के लिए आप (सरकार) जो कुछ भी कर सकते हैं वह करें ताकि वे इससे बच सकें और संकट से बाहर आ सकें। दूसरी कैटेगरी के लिए यह बहुत अधिक कठिन है।

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इस योजना का हो विस्तार
कोटक के अनुसार सरकार ने पिछले साल तनावग्रस्त क्षेत्रों के लिए बैंकों द्वारा एक बहुत ही सफल लोन स्कीम की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि मेरा सुझाव है इस योजना का विस्तार मौजूदा 3 लाख करोड़ रु से बढ़ा कर 5 लाख करोड़ रु तक किया जाए और इसमें अधिक क्षेत्रों को शामिल किया जाए ताकि अर्थव्यवस्था को अधिक से अधिक सहायता जल्द से जल्द दी जा सके।

English summary

Uday Kotak says Government should print more money to save economy and jobs

In the case of direct transfer to the poor, Kotak said that government expenditure on this should be up to 1 percent of GDP or close to 1-2 lakh crore rupees.
Story first published: Thursday, May 27, 2021, 12:53 [IST]
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