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घर खरीदने में ऐसे होती है हेराफेरी, फिर देने पड़ते हैं ज्यादा पैसे

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नयी दिल्ली। अगर आप घर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो ये खबर आपके काम की है। अकसर लोग प्रॉपर्टी से जुड़े विज्ञापन देख कर घर खरीदते हैं। अगर आप भी ऐसा ही करने जा रहे हैं तो एक बार सोच लीजिए। क्योंकि आरबीआई की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विज्ञापनों में प्रॉपर्टी के दाम कम होते हैं, जबकि रजिस्ट्रेशन के समय आपको अधिक चुकाने होते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। मगर आपको घर खरीदने से पहले इन सभी फैक्टर्स पर ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि उसी हिसाब से आप अपना बजट बना सकेंगे। आरबीआई के ताजा मासिक बुलेटिन में एक लेख के अनुसार विज्ञापन डेटा के आधार पर आवासीय घरों का प्राइस लेवल रजिस्ट्रेशन आंकड़ों के आधार पर आवासीय घर की कीमत से कम होता है। लेख के मुताबिक विज्ञापन में दिए गए मूल्य खरीदारों को आकर्षित करने के लिए रियायती दर पर दिखाए जाते हैं, जबकि अंतिम लेनदेन यानी खरीदारी के समय आपको ज्यादा मूल्य चुकाना होता है।

वेब पोर्टल पर प्रॉपर्टी की कीमत

वेब पोर्टल पर प्रॉपर्टी की कीमत

मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई के लेख में चुनिंदा वेब पोर्टलों से आवासीय संपत्ति की कीमतों पर डेटा लिया गया और एक आवासीय घर मूल्य सूचकांक (एचपीआई) तैयार करने के लिए बिग डेटा टूल का उपयोग करके इसे प्रोसेस्ड किया गया। वेब इंडेक्स ग्राफ्स एचपीआई की तुलना में कम हैं। इसका मतलब है कि विज्ञापन की कीमतें लगातार नहीं बदलतीं, जबकि वास्तविक पंजीकरण डेटा के आधार पर एचपीआई में समय के साथ हाई प्राइस वेरिएशन रहता है (जैसा कि वास्तविक बिक्री में उल्लेखनीय रूप से बदलाव होता है)।

ये भी है एक बड़ी वजह

ये भी है एक बड़ी वजह

रजिस्ट्रेशन के समय आपके घर की कीमत इसलिए भी ज्यादा हो जाती है क्योंकि इसमें कई तरह की अतिरिक्त लागत जुड़ जाती है। इनमें फ्लोर की बढ़ोतरी, पॉजिशन, फेसिंग और कई अन्य फैक्टर शामिल हैं। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन फैक्टरों को विज्ञापन में शामिल नहीं किया जाता। आवासीय संपत्ति (Residential Property) दुनिया भर के ज्यादातर लोगों के लिए सबसे बड़ी एकल संपत्ति होती है। आवासीय संपत्ति की कीमत में बदलाव से लोगों की दीर्घकालिक निवेश रणनीति, उनके खर्च और लोन लेने के पैटर्न को भी प्रभावित करती हैं।

ये भी हो सकते हैं कारण

ये भी हो सकते हैं कारण

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ और भी कारण हैं जिनके चलते विज्ञापन और रजिस्ट्रेशन के समय घरों की कीमतों में अंतर होता है। इनमें विज्ञापनों में लंबे समय में कीमतें बदलना और खरीदारों को आकर्षित करने के लिए विज्ञापन में दी गई कीमतों में छूट शामिल हैं। यदि आप घर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो इन फैक्टर्स पर जरूर ध्यान दें।

बैंकिंग और फाइनेंशियल कंपनियों पर असर

बैंकिंग और फाइनेंशियल कंपनियों पर असर

प्रॉपर्टी की कीमतों में बदलाव बैंक लोन और गारंटी (गिरवी) चैनलों के माध्यम से अर्थव्यवस्था के बैंकिंग और वित्तीय सेक्टरों को प्रभावित करती है। आवासीय संपत्ति की कीमत नीति निर्माताओं के लिए, विशेष रूप से केंद्रीय बैंकों, के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी होती है। भारतीय में दो स्थापित आवास मूल्य सूचकांक हैं। इनमें आरबीआई द्वारा तैयार एचपीआई और नेशनल हाउसिंग बैंक द्वारा तैयार RESIDEX शामिल हैं। ये सूचकांक आम तौर पर तिमाही आधार पर उपलब्ध होते हैं।

दिल्ली में घर खरीदना हुआ महंगा, इन लोगों पर लगेगा ज्यादा टैक्सदिल्ली में घर खरीदना हुआ महंगा, इन लोगों पर लगेगा ज्यादा टैक्स

English summary

This is the kind of rigging in buying a house you have to pay more money

At the time of registration, the price of your house also becomes higher because many additional costs are added to it. These include floor increase, position, facing and many other factors.
Story first published: Monday, August 10, 2020, 15:56 [IST]
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