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Marketing Strategy से करोड़ों रु कमा रहा ये किसान, विदेशों में हैं ग्राहक

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नई दिल्ली, अगस्त 7। पुरुषोत्तम सिद्धपारा भारत के उन कई किसानों में से एक हैं जो कीटनाशकों और रसायनों के उपयोग के बिना खेती करते हैं, जिसे जैविक खेती कहा जाता है। मगर फसल की गुणवत्ता और जैविक घटक के अलावा, जो इस 50 वर्षीय खेती को अलग करता है, वह है उसकी मार्केटिंग रणनीति। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के जामका गाँव में स्थित उन्हें 18 साल की उम्र में अपने पिता से खेत विरासत में मिले। मगर पिछले कुछ सालों में उनके कारोबार में तेजी से वृद्धि हुई है। वे अनाज, दाल, मसाले, सब्जियों से लेकर फलों तक भारत के अलावा 10 अन्य देशों में लगभग सब कुछ बेचते हैं।

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नहीं खर्च किया एक रुपया

नहीं खर्च किया एक रुपया

सिद्धपारा की मार्केटिंग रणनीति की बात करें तो ज्यादातर लोग ऑनलाइन मार्केटिंग पर एक पैसा खर्च नहीं करने के उनके दावों पर विश्वास नहीं करते हैं। मगर ये सच है कि उन्होंने ऑनलाइन मार्केटिंग पर एक पैसा खर्च नहीं किया। मगर ऐसा नहीं है कि उनके सामने कोई चुनौती नहीं रही।

 पानी की थी समस्या

पानी की थी समस्या

1999 तक सूखा एक बड़ी चुनौती और जूनागढ़ के जामका गांव में फसल के नुकसान का कारण था। उस साल ग्रामीणों ने मिल कर वर्षा जल को संग्रहित करने के लिए छोटे बांधों और जलाशयों के निर्माण के लिए धन जुटाया। द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार सिद्धपारा बताते हैं कि 3000 ग्रामीणों की आबादी के लिए 45 लाख रुपये जुटाए और 55 छोटे बांध और पांच तालाब बनाए। जब बारिश हुई, तो नए जलाशयों ने लाखों लीटर पानी बचाया और भूजल स्तर 500 फीट से बढ़कर 50 फीट हो गया। तब से, अपर्याप्त वर्षा कभी समस्या नहीं रही है।

सरकार ने अपनाया मॉडल

सरकार ने अपनाया मॉडल

गुजरात सरकार ने पानी की कमी वाले अन्य क्षेत्रों में इसी मॉडल को लागू करने के लिए यही तरीका अपनाया। विशेषज्ञों, छात्रों, जल कार्यकर्ताओं और मीडिया के लोगों ने नतीजों का अध्ययन करने के लिए लगभग पूरे एक साल तक उनके गांव का दौरा किया। सिद्धपारा सहित ग्रामीणों ने बाहरी लोगों का अपने परिवार के सदस्यों के रूप में स्वागत किया और उन्हें अपने घरों और खेतों में आमंत्रित किया।

कितना कमाते हैं सिद्धपारा

कितना कमाते हैं सिद्धपारा

सिद्धपारा के अनुसार मेरा खाना खाने के बाद लोग हमसे सीधे फसल, सब्जियां और मसाले खरीदना चाहते थे। पहली बार, हम ग्राहकों के साथ सीधे मिल रहे थे, क्योंकि तब तक बिजनेस मॉडल बी2बी (बिजनेस टू बिजनेस) था। यहां आए लोग वापस गए और अपने दोस्तों और परिवार को उनके खेतों के बारे में बताया और उनका बिजनेस चल निकला। उन्होंने आने वालों लोगों की मेजबानी करना जारी रखा और यही उनकी मार्केटिंग का जरिया बना। सिद्धपारा का वर्तमान वार्षिक कारोबार 2 करोड़ रुपये है और उनके पास यूएसए, यूके, नॉर्वे, जर्मनी, दुबई और इथियोपिया सहित विभिन्न देशों में ग्राहक हैं।

केमिकल से किया किनारा

केमिकल से किया किनारा

सिद्धपारा के पिता फसल उगाने के लिए रसायनों और गोबर दोनों का उपयोग कर रहे थे लेकिन वे रसायनों से छुटकारा पाना चाहते थे। उनके इस प्लान का अन्य किसानों ने तो मज़ाक तक उड़ाया। उनकी 15 एकड़ भूमि का उपयोग गोबर के लिए किया गया था, इसलिए रसायनों को खत्म करने पर फसल का नुकसान नहीं हुआ। इतना ही नहीं केमिकल से ऑर्गेनिक खेती पर आ जाने से उनका मुनाफा भी कई गुना बढ़ा। आज स्थिति यह है कि सिद्धपारा की फसल और मूल्य वर्धित उत्पादों के लि फसल की कटाई से पहले ऑर्डर करना पड़ता है।

English summary

this farmer is earning crores of rupees from marketing strategy his customers are in abroad too

Siddhapara has a current annual turnover of Rs 2 crore and has clients in various countries including USA, UK, Norway, Germany, Dubai and Ethiopia.
Story first published: Saturday, August 7, 2021, 18:54 [IST]
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