काम की बात : मंदी की है सुगबुगाहट, पैसों से जुड़े ये 5 कदम जरूर उठाएं
नई दिल्ली, अगस्त 17। लगातर छंटनी और खर्चों को सीमित करने से कॉरपोरेट क्षेत्रों में यह आशंका तेज हो गई है कि विश्व मंदी की कगार पर है हालांकि बहुत से अर्थशास्त्रियों का मत था कि उन्हें नही लगता कि अर्थव्यवस्था मंदी में है, बहुत से लोग इस वर्ष के आखिरी में या आने वाले वर्ष के शुरू में आर्थिक मंदी आने की उम्मीद कर रहे है। मंदी को कोई भी नियंत्रित नहीं कर सकता है। इसी कारण आप अगली वित्त मंदी आने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपने मंदी से बचने के लिए कुछ कदम उठाए है। चलिए हम आपको वो 5 कदम बताते है जिनको जरूर उठाना चाहिए।
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आप लिमिटेड और स्मार्ट तरीके से पैसों को खर्च करें
जैसे-जैसे रहने की लागत बढ़ती है, ग्राहकों को यह निर्धारित करने के लिए मजबूर किया जाता है। सीमित खर्चों में अच्छे तरीके से कैसे खर्च किया जाए।
खर्चों की जांच करें
आप अपनें खर्चों की जांच करें यदि आप वर्तमान में अधिक खर्च कर रहे है तो फिर आप विचार करें की आप कहा पैसों को बचा सकते है। कहने का मतलब है खाने-पीने, किराया और दैनिक जरूरतों के अलावा अन्य खर्च से कैसे पैसों की बचत कर सकते है। आप इन खर्चों का पता लगाने के लिए तकनीकों का भी उपयोग कर सकते ही बहुत सी एप्लीकेशन है जो आपके अन्य खर्चों का पता लगा कर बता सकती है।
उच्च ब्याज के साथ क्रेडिट कार्ड का भुगतान करें
आप दैनिक जरूरतों से लेकर ट्रेवलिंग और खाने सभी की के भुगतान के लिए क्रेडिट का उपयोग करते है जबकि क्रेडिट कार्ड जरूरत के समय उपयोग करने के लिए होता है। क्रेडिट कार्ड की ब्याज दर वैसे ही ज्यादा होती है।
आपातकालीन निधि के रूप में अतिरिक्त पैसा बचाए
यदि आपके पास कोई अतिरिक्त पैसे है जिन पैसों को आपने अभी तक खर्च नहीं किया है तो आप उसे आपात काल फंड में डाल सकते है। अगर हम मंदी में प्रवेश करते हैं। तो फिर बैकअप फंड आपको आपात स्थिति से बचने के लिए बहुत मदद कर सकता है।
अपने इन्वेस्टमेंट के साथ बने रहे लंबी अवधि पर विचार करें
मार्केट में परिवर्तन खुशी वाले और परेशान करने वाले दो नो हो सकते है। मगर ये याद रखने वाली बात है कि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट एक खेल है। जिसमे आप उतार चढ़ाव को देखते हुए एक लंबा लाभ कमाते है।
मंदी कब शुरू हुई कौन तय करता है
एनबीईआर द्वारा आधिकारिक तौर पर मंदी की घोषणा की जाती है, अर्थशास्त्री का एक समूह जो आर्थिक गतिविधि को एक गिरावट के रूप में बताता है। जो अर्थव्यवस्था में फैली हुई है और जो कुछ ज्यादा समय तक चलती है।