25 रु किलो का प्याज, 60 रुपए प्रति किलो में खरीदने को मजबूर है लोग
प्याज का भाव अभी भी आम आदमी को रुला रहा है। देश में प्याज की सप्लाई अच्छी होने के बावजूद दिल्ली-एनसीआर में इसके दाम कम नहीं हो रहे हैं। राजधानी की आजादपुर मंडी में हर दिन 50 ट्रक प्याज आ रहा है।
नई दिल्ली: प्याज का भाव अभी भी आम आदमी को रुला रहा है। देश में प्याज की सप्लाई अच्छी होने के बावजूद दिल्ली-एनसीआर में इसके दाम कम नहीं हो रहे हैं। राजधानी की आजादपुर मंडी में हर दिन 50 ट्रक प्याज आ रहा है। हर ट्रक में 20 टन प्याज लदा होता है। इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में प्याज 40 से 60 रुपये किलो बिक रहा है। इतना ही नहीं देश के दूसरे इलाकों में भी प्याज महंगा बिक रहा है। अब एक ही राशन कार्ड से पूरे देश में कर सकेंगे खरीददारी ये भी पढ़ें
खुदरा बाजार में अब भी प्याज की कीमतों में तेजी
प्याज के थोक और खुदरा दामों में काफी अंतर है। थोक मार्केट में प्याज के दाम 1500 रुपये 2500 रुपये क्विंटल चले रहे हैं। जबकि खुदरा बाजार में अब भी प्याज 40 से 60 रुपये किलो पर ही बिक रहा है। इसका मतलब साफ है, रिटेल दुकानदार ज्यादा मुनाफा वसूल रहे हैं। खुदरा दुकानदारों का कहना है कि मंडी से प्याज लाने में लगने वाला किराया,स्टोरेज और दूसरी लागतों की वजह से प्रति किलो 15 रुपये खर्च बढ़ रहा है। इसलिए उन्हें इसे 40 से 60 रुपये में बेचना पड़ रहा है। लेकिन कुछ व्यापारियों का ही मानना है कि हर किलो पर यह लागत 15 रुपये नहीं आ सकती है। 100 फीसदी मुनाफावसूली गलत है।
मंडी में सप्लाई जबरदस्त, घटे है दाम
जानकारी के मुताबिक दिल्ली में सबसे ज्यादा प्याज नासिक से आता है। नासिक की मंडियों में शुक्रवार को प्याज 1600 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था। वहीं 31 जनवरी को एक क्विंटल प्याज 2600 रुपये का बिक रहा था। लेकिन दिल्ली-एनसीआर के खुदरा सब्जी बाजारों में इसकी कीमत अब भी 40 से 80 रुपये किलो है। दिल्ली के कुछ इलाकों में खुदरा दुकानदारों का कहना है कि यहां की थोक मंडियों में अब भी प्याज 60 रुपये किलो बिक रहा है। ऐसे में हम सस्ता प्याज कैसे बेच सकते हैं। थोक दुकानदार ज्यादा मुनाफावसूली कर रहे हैं। कुछ थोक दुकानदार प्याज की जमाखोरी भी कर रहे हैं।
लहसुन अभी भी महंगा
शहर की मंडियों में इन दिनों प्याज के भाव तो कम हुए है, लेकिन लहसुन के दाम आसमान छू रहे है। आवक कम होने से अभी लहसुन 200 से 300 रुपए प्रति किलों में खुले में बिक रहा है। जबकि पिछले साल इन्हीं दिनों में यह लहसुन 20-25 रुपए प्रति किलो तक बिका था। व्यापारियों का कहना है कि वर्ष 2018 में लहसुन के दाम कम रहने के कारण किसानों ने लहसुन की फसल प्रति क्षेत्रफल कम कर दिया था। कई जगह पर मौसम खराबी से भी इसकी पैदावार पर असर पड़ा है। इसी वजह से लहसुन की आवक कम रही और 2019 में जनवरी-फरवरी बाद से ही लहसुन महंगा होने लग गया था। अभी कोटा लाइन पुराना लहसुन ही आ रहा है और नई फसल मार्च-अप्रैल में आएगी। शहर के विभिन्न इलाकों में एरिया के हिसाब से लहसुन बिक रहा है। मंडियों में यह 200-255 रुपए किलो में और कॉलोनियों में फेरी वाले 300 रुपए प्रति किलों में लहसुन का बेचान कर रहे है।
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