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पिता की छोटी सी दुकान को बना दिया करोड़ों का Startup, आज कमाई है जबरदस्त

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नयी दिल्ली। अक्सर पिता के कारोबार की जिम्मेदारी बेटे को मिलती है। फिर बेटे से ये उम्मीद की जाती है कि वे पिता के कारोबार को और तरक्की दे। कुछ ऐसा ही किया सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के एक लड़के ने। इस लड़के ने अपने पिता की छोटी सी दुकान को आज करोड़ों रु के स्टार्टअप में बदल दिया है। इससे उनकी कमाई भी काफी तगड़ी है। आइए जानते हैं इस कामयाबी की पूरी कहानी।

10x20 वर्ग फीट की थी दुकान

10x20 वर्ग फीट की थी दुकान

2006 में संजय अग्रवाल ने अपने 10×20 वर्ग फीट की किराना दुकान को 1,500 वर्ग फीट में बदला। हालांकि बिजनेस को अपडेट करने और बढ़ाने के प्रयासों के बावजूद उन्हें अपने स्टोर से बहुत अच्छा मुनाफा नहीं मिल पाया। घाटे, अतिरिक्त निवेश पूंजी की कमी और संभावित जोखिम के कारण उनका कारोबार नहीं बढ़ पा रहा था। इस दौरान संजय के बेटे वैभव ने अपने पिता को अधिक लाभ कमाने और कारोबार बढ़ाने के लिए संघर्ष करते देखा। वैभव ने अपने पिता की मदद के लिए हाथ बढ़ाया और नये आइडिया ढूंढे।

देश भर में फैला कारोबार

देश भर में फैला कारोबार

वैभव के अपने पिता की मदद करने के बाद उनका कारोबार बढ़ने लगा। इस समय देश के एक दर्जन शहरों में 100 से अधिक ऐसे स्टोर उनके स्टार्टअप 'द किरयाना स्टोर कंपनी' से फायदा उठाते हैं। उन्होंने अपने पिता के साथ-साथ अन्य लोगों की भी मदद की और स्टार्टअप खड़ा किया, जिसकी वैल्यू अब 5 करोड़ रु है। द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार स्टार्टअप ने केवल 2 सालों में 5 करोड़ रु की इनकम कराई है।

बड़ी कंपनी का अनुभव आया काम

बड़ी कंपनी का अनुभव आया काम

2013 में अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद वैभव ने दुकान पर काम करते हुए कुछ महीने बिताए और बाद में कैंपस प्लेसमेंट के जरिए मैसूर में एक मल्टी-नेशनल कंपनी में काम करने लगे। वैभव के अनुसार वहाँ रिटेल मार्केट पूरी तरह से अलग थी। उन्होंने रिटेल दुकानों के लिए स्मार्ट स्टोर, विभिन्न प्रोडक्ट मिश्रण और चेन सिस्टम को देखा। वे रिटेल मार्केट के इन फीचर्स को अपने गृहनगर में साथ लाए। यही अनुभव उनके काम आया।

हासिल किए नये आइडिया

हासिल किए नये आइडिया

दुकानों में जा-जाकर वैभव को नये आइडिया प्राप्त करने में मदद मिली, जिनका इस्तेमाल वे अपने पिता के स्टोर पर सकते थे। एक वर्ष के अनुभव और कुछ विचारों के बाद वे घर वापस आए और अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी। फिर 2014 में सहारनपुर में एक कंपनी के साथ सेल्स मैनेजर के रूप में 10,000 रुपये प्रति माह की सैलेरी पर काम शुरू किया। उनके अनुभव आंख खोलने वाले थे। उन्हें एहसास हुआ कि प्रोडक्ट मिक्स हर 1 किमी पर बदलता है। प्रोडक्ट की प्रेजेंटेशन और पैकेजिंग भी बदल गई।

फिर से शुरू की पढ़ाई

फिर से शुरू की पढ़ाई

2014-15 में स्टार्टअप इंडस्ट्री में वृद्धि देखी गई। लेकिन वैभव के पास शर्तों और तकनीकी की जानकारी नहीं थी। इसीलिए उन्होंने अपनी मास्टर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली में एडमिशन लिया। उन्होंने शिक्षाविदों और फैकल्टी ने जरूरी मार्गदर्शन और समर्थन दिया। किराने के रिटेल मार्केट और इसकी चुनौतियों की गहरी समझ मिली।

करोड़ों में पहुंचा कारोबार

करोड़ों में पहुंचा कारोबार

उनकी कंपनी ने वित्त वर्ष 2019-20 में 1 करोड़ रुपये का कारोबार किया। इसके 2020-21 में 5 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। अब वैभव टीयर II और टीयर III शहरों में अपने पिता की तरह अन्य ग्रॉसर्स की मदद करना चाहते हैं। दुकानों के आधुनिकीकरण से उन्हें अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट और रिलायंस जैसे वैश्विक और घरेलू दिग्गजों के साथ मुकाबला करने में मदद मिलेगी।

Business Idea : छोटे से कमरे से शुरू किया कारोबार आज पहुंचा करोड़ों मेंBusiness Idea : छोटे से कमरे से शुरू किया कारोबार आज पहुंचा करोड़ों में

English summary

the kiryana store company this son turned father small shop into startup of crores

His business began to grow after Vaibhav helped his father. At present, more than 100 such stores in a dozen cities of the country benefit from their startup 'The Grocery Store Company'.
Story first published: Wednesday, February 10, 2021, 18:56 [IST]
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