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नौकरी : युवा हैं तो दिक्कत, उम्र ज्यादा है तो पूछ बढ़ी, जानिए आंकड़े

महामारी के कारण काफी लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। भारत में इस संक्रमण के कारण ज्यादातर कंपनियां छंटनी और सैलरी में कटौती की हैं। महामारी के चलते देश के बेरोजगारी काफी बड़ गई है।

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नई द‍िल्‍ली: महामारी के कारण काफी लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। भारत में इस संक्रमण के कारण ज्यादातर कंपनियां छंटनी और सैलरी में कटौती की हैं। महामारी के चलते देश के बेरोजगारी काफी बड़ गई है। आपको बता दें कि टर फॉर मॉनिटरिंग इकोनॉमी (सीएमआईई) के वीकली एनालिसिस के मुताब‍िक लॉकडाउन में नौकरियों का सबसे ज्यादा नुकसान 40 साल के कम उम्र के लोगों को हुआ है। इससे जो लोग नौकरी में अभी बने हुए हैं, उनमें 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का पर्सेंटेज बढ़ गया है। वर्कफोर्स में बना यह ट्रेंड मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में स्ट्रॉन्ग इकोनॉमिक रिकवरी के लिए अच्छा नहीं है।

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 फीमेल वर्कर्स को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान

फीमेल वर्कर्स को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान

सीएमआईई ने अपने एनालिसिस में एक और परेशान करने वाली बात का जिक्र किया है। उसके मुताबिक, सबसे ज्यादा जॉब लॉस शहरी इलाकों में हुआ है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान कम उम्र के वर्कर्स और उनमें भी फीमेल वर्कर्स को उठाना पड़ा है। जॉब लॉस को अगर एडुकेशन लेवल के हिसाब से देखें तो ज्यादा मार ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट्स पर दि‍खी है। वित्त वर्ष 2020-21 में दिसंबर तक वर्क फोर्स में 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का पर्सेंटेज बढ़कर 60% हो गया है। सीएमआईई के एनालिसिस के मुताबिक 2019-20 में टोटल वर्क फोर्स में 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का पर्सेंटेज 56% था।

 20 से 30 साल के वर्कर्स को 80% जॉब लॉस का सामना करना पड़ा
 

20 से 30 साल के वर्कर्स को 80% जॉब लॉस का सामना करना पड़ा

इसका मतलब म‍हामारी के चलते वर्कफोर्स में कम उम्र के लोगों की संख्या सालाना आधार पर घटी है। सीएमआईई के मुताबिक वर्कफोर्स में बड़ी उम्र के लोगों की संख्या बढ़ना दूसरी मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही या आगे इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए सही नहीं है। सबसे ज्यादा जॉब लॉस 40 साल से कम उम्र के वर्कर्स के बीच रहा है। इससे कम के हर एज ग्रुप के वर्कर्स के लिए रोजगार के मौके दिसंबर 2020 तक घटे हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में दिसंबर तक 20 से 30 साल के वर्कर्स को 80% जॉब लॉस का सामना करना पड़ा। इस दौरान 30 से 40 साल तक के वर्कर्स के बीच जॉब लॉस पर्सेंटेज 48% रहा।

 जून तिमाही में जीडीपी घटा

जून तिमाही में जीडीपी घटा

इतना ही नहीं र‍िपोर्ट में यह भी पाया गया कि वित्त वर्ष 2021 में दिसंबर तक रोजगार के कुल 1.47 करोड़ मौके सालाना आधार पर घटे थे। जहां तक इकॉनमी की बात है तो जून तिमाही में जीडीपी जब 23.9% घटा था, तब नौकरियों में 18.4% की गिरावट आई थी। जीडीपी जब सितंबर तिमाही में 7.7% घटा तब नौकरियों में 2.6% की कमी हुई थी। दिसंबर क्वॉर्टर में रोजगार के मौके 2.8% घटे हैं।

 मई और जून में रोजगार में हुई मासिक बढ़ोतरी

मई और जून में रोजगार में हुई मासिक बढ़ोतरी

वहीं 2019-20 में 32 पर्सेंट नौकरियां शहरी इलाकों में थीं। उन इलाकों में इस वित्त वर्ष दिसंबर तक 34% जॉब लॉस हुआ। वर्कफोर्स में फीमेल का पर्सेंटेज सिर्फ 11% है, लेकिन उनमें जॉब लॉस 52% रहा है। सीएमआईई को एनालिसस में यह भी पता चला कि रिकवरी के शुरुआती महीनों यानी मई और जून में रोजगार में मासिक बढ़ोतरी हुई। मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में रोजगार के मौके हर महीने घटे। दिसंबर में ये आंकड़े पिछले साल से 4.2 पर्सेंट कम घटे थे।

English summary

The Biggest Loss Of Jobs Occurred To People Under The Age Of 40

In the weekly analysis of CMIE, the loss of jobs due to lockdown and epidemic has occurred to people under 40 years of age.
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