टेलीकॉम कंपनियाँ देंगी एक और झटका, डेटा के लिए तय होगा मिनिमम टैरिफ
नयी दिल्ली। हाल ही में अपने प्रीपैड प्लान के दाम बढ़ाने के बाद तीनों बड़ी टेलीकॉम कंपनियाँ, रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया, आपको एक और झटका देने की तैयारी में हैं। हाल ही में मोबाइल चार्जेस और प्रीपैड प्लान 42 फीसदी तक महंगे किये जाने के बाद इन तीनों कंपनियों ने टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई को डेटा सर्विस के लिए फ्लोर प्राइसिंग तय करने की पेशकश की है। इससे रेगुलेटर मोबाइल डेटा के लिए मिनिमम टैरिफ तय कर सकता है। वॉयस सर्सिवेज के लिए संयम बरतते हुए तीनों कंपनियों ने डेटा के लिए जल्द से जल्द न्यूनतम टैरिफ तय करने को कहा है। ट्राई के अध्यक्ष को लिखे पत्र में सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा है कि किसी भी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के लिए अपनी मर्जी से मौजूदा प्रतिस्पर्धा के चलते टैरिफ में सुधार कर पाना संभव नहीं है। ऐसे में एकमात्र विकल्प ट्राई द्वारा मोबाइल डेटा सर्विस के लिए मिनिमम टैरिफ तय करना है।
बाकी देशों के मुकाबले भारत में इंटरनेट सस्ता
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक बाकी विकसित या विकासशील देशों के मुकाबले भारत में डेटा शुल्क 50 गुना कम हैं। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया भारत की दूरसंचार सर्विस प्रोवाइडर और नेटवर्क वेंडर्स का प्रतिनिधित्व करती है, मगर इसमें सरकारी कंपनियाँ बीएसएनएल और एमटीएनएल शामिल नहीं हैं। दरअसल वित्तीय संकट से जूझ रहा टेलीकॉम सेक्टर 7.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्जे में है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के एजीआर जमा कराने के फैसले के बाद ये कंपनियाँ और दबाव में आ गयी हैं।
घटी है आमदनी
किसी भी टेलीकॉम कंपनी के लिए प्रति ग्राहक औसत आमदनी यानी एआरपीयू बहुत जरूरी होती है। जबकि ट्राई के आँकड़ों के हवाले से सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने बताया है कि एआरपीयू 2010 में 141 रुपये से 2017 में 118 रुपये और अब 80 रुपये तक गिर गयी है। वहीं एजीआर की मार भी इन पर तगड़ी पड़ी है। सितंबर तिमाही में एजीआर के लिए प्रोविजन के कारण वोडाफोन और एयरटेल दोनों को मिला कर 75,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हुआ।
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