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टेलीकॉम कंपनियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बैंकों की बढ़ी टेंशन

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नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के एजीआर का भुगतान करने के मामले में टेलीकॉम कंपनियों की याचिका खारिज किये जाने से बैंकों की टेंशन बढ़ सकती है। दरअसल बैंकों ने इन कंपनियों को काफी लोन दे रखा है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एयरटेल और वोडफोन की को एजीआर या एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू चुकाने में राहत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इनकी रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी, जिसका साफ मतलब है कि एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को 92000 करोड़ रुपये का एजीआर चुकाना ही होगा। एजीआर के बकाया का भुगतान करने से इनके कैश फ्लो पर काफी नकारात्मक असर पड़ सकता है। खास कर वोडाफोन आइडिया की स्थिति ज्यादा खराब हो सकती है। एयरटेल और वोडाफोन सहित बाकी कंपनियों को अगले हफ्ते एजीआर का भुगतान करना है। वोडाफोन आइडिया के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने एजीआर मामले पर कहा था कि बिना सरकार की मदद के टेलीकॉम कंपनी कारोबार बंद कर देगी।

म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के 3,390 करोड़ रु दांव पर

म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के 3,390 करोड़ रु दांव पर

इंडसइंड बैंक, यस बैंक और एसबीआई में काफी एक्सपोजर है। बैंकिंग सिस्टम का टेलीकॉम कंपनियों पर सितंबर में 1.1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बकाया था। वहीं एजीआर के चलते उन म्यूचुअल फंड कंपनियों को भी झटका लग सकता है, जिन्होंने वोडाफोन में निवेश किया है। डेब्ट म्यूचुअल फंड का कुल मिला कर वोडाफोन आइडिया में करीब 3,390 करोड़ रुपये का एक्सपोजर है। संपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) में से फ्रैंकलिन टेम्पलटन एएमसी का सबसे अधिक एक्सपोज़र है, लेकिन यूटीआई और निप्पॉन इंडिया जैसी अन्य कंपनियों का भी वोडाफोन में महत्वपूर्ण निवेश है।

एयरटेल के मुकाबले वोडाफोन बहुत कमजोर

एयरटेल के मुकाबले वोडाफोन बहुत कमजोर

जानकारों का अनुमान है कि तीनों बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में से रिलायंस जियो को 60 करोड़ रुपये का एजीआर चुकाना है। वहीं एयरटेल एजीआर का भुगतान कर पाने के मामले में ठीक स्थिति में है, मगर वोडाफोन की स्थिति काफी कमजोर मानी जा रही है। वोडाफोन आइडिया को सबसे अधिक एजीआर का भुगतान करना है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टेलीकॉम कंपनियों को 23 जनवरी तक एजीआर का भुगतान करना है। इनमें एयरटेल को 35,500 करोड़ रुपये और वोडाफोन को 53,000 करोड़ रुपये का एजीआर चुकाना है। एजीआर के लिए प्रोविजन बनाने की वजह से एयरटेल और वोडाफोन को 2019 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारी घाटा हुआ था।

एजीआर पर रहा है विवाद

एजीआर पर रहा है विवाद

एजीआर को लेकर एक विवाद रहा है। एजीआर एक यूसेज और लाइसेंस चार्ज है, जो दूरसंचार विभाग टेलीकॉम ऑपरेटरों से लेता है। दूरसंचार विभाग के मुताबिक एजीआर की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी की कुल आय पर होनी चाहिए, जिसमें जमा ब्याज या संपत्ति बेचने सहित होने वाली आय भी शामिल हैं। मगर टेलीकॉम कंपनियाँ सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं की आमदनी पर एजीआर लगाये जाने की वकालत करती रही हैं। 2005 में सेलुलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने दूरसंचार विभाग की परिभाषा का विरोध करते हुए TDSAT का रुख किया था, मगर उसने भी सभी तरह की आमदनी पर एजीआर की गणना को सही माना। वहीं पिछले साल अक्टूबर मे सुप्रीम कोर्ट ने भी इस परिभाषा पर मुहर लगा दी है।

यह भी पढ़ें - एयरटेल और वोडाफोन को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका, चुकाना ही होगा एजीआर

English summary

Supreme court decision on telecom companies may increase banks tension

The Supreme Court refused to grant relief to Airtel and Vodafone to pay AGR or adjusted gross revenue. This clearly means that Airtel and Vodafone Idea will have to pay AGR of Rs 92000 crore.
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