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Success Story : 5 रु के पैकेट से की थी शुरुआत, आज हैं 3000 करोड़ रु के मालिक

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Success : 5 रु के पैकेट से की थी शुरुआत, आज हैं करोड़पति

Success Story : भारतीय अर्थव्यवस्था में उपभोक्ताओं के लिए पैकेज्ड सामानों का बिजनेस एक बेहद ही जरूरी भूमिका को निभाता है। अगर आप कानून को देखें, तो ज्यादातर मल्टीनेशन कंपनियां इसी सेक्टर पर काम कर रही है। लेकिन यहां तक कुछ भारतीय उद्यमी है। जिन्होंने शुरू से ही इस पर शीर्ष अपनी जगह बनाई है और यही उद्यमीयों की वजह से पिछले कुछ वर्षों में भारतीय ब्रांडों की मांग में काफी तेजी से इजाफा हुआ है। आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं, तो फिर चलिए जानते है इनके बारे में।

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पिता से बिजनेस के करने के लिए 20 हजार रु लिए

पिता से बिजनेस के करने के लिए 20 हजार रु लिए

गुजरात के जामनगर के एक छोटे से गांव में तीन भाई चंदूभाई, भीखूभाई और मेघजीभाई विरानी का जन्म हुआ। ये तीनों भाई का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। वर्ष 1972 में तीनों भाइयों ने गांव से शहर जाने का निर्णय लिया। इन तीनों भाइयों का प्लान शहर में कोई बिजनेस शुरू करने का था। इनको बिजनेस तो शुरू करना था। मगर बिजनेस का शुरू करने के लिए पैसे नही थे। इसी वजह से भाइयों पिता को जमीन को बेच देने का दबाव डाला। पिता ने जमीन को बेचकर 20 हजार रु बिजनेस को करने के लिए दिए। चंदूभाई ने भाइयों के साथ कृषि उपकरणों का बिजनेस किया, मगर को बिजनेस नहीं चला और फिर पैसे को कमाने के सिनेमाघर में एक छोटी सी कैंटीन खोली और अपनी पत्नी के द्वारा बनाए गए वेफर्स और सैंडविच बेचा करते थे।

शुरु में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा

शुरु में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा

15 वर्षो तक यह सब चला और इस दौरान उन्हें ये बात तो पता चल गया था। कि उपभोक्ताओं को घर के बने हुए वेफर्स काफी ज्यादा पसंद आते हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में बड़ा बिजनेस शुरू करने के बारे में योजना बनाई। जिसके लिए उन्होंने वर्ष 1989 में वेफर्स को तलने के लिए अर्ध-स्वचालित संयंत्र की स्थापना की। उन्होंने इस बिजनेस को बालाजी वेफर्स के बैनर तले शुरू किया। वे सस्ती कीमत में अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट को बेचते थे। लेकिन शुरू में, भाइयों को काफी परेशानी का भी सामना करना पड़ा था। लेकिन उन्होंने हार नही माना और आज वे मार्केट में राज कर रहे हैं।

सालाना 3 हजार करोड़ रु का है बिजनेस

सालाना 3 हजार करोड़ रु का है बिजनेस

गौरतलब है कि 50 हजार करोड़ रु का जो देश का स्नैक्स मार्केट हैं। इस मार्केट में नमकीन स्नैक्स की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि आलू के चिप्स की हिस्सेदारी की 40 प्रतिशत है। लेज, क्रिस्पी, पारले और बिंगो जैसे जो वैश्विक ब्रांड है, जो राष्ट्रीय ब्रांड बालाजी वेफर्स के इन-हाउस फ्लेवर, सस्ती कीमतों की वजह से काफी अधिक चिंता में हैं। आज राजकोट में बालाजी वेफर्स और नमकीन ग्रुप के प्रोडक्शन प्लांट 38 टन और वलसाड में बालाजी वेफर्स और नमकीन ग्रुप के प्रोडक्शन प्लांट 24 टन वेफर्स का प्रतिदिन का उत्पादन कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में जो विरानी बंधुओं का गृह राज्य हैं। यह पर उन्होंने 400 करोड़ रु का निवेश किया है और तीसरा विनिर्माण संयंत्र स्थापित किया है। इस संयंत्र की स्थापना पीथमपुर (इंदौर) में को हैं। अगर हम इस संयंत्र की रोजाना क्षमता की बात करते है, तो फिर ये 24 टन है विकिपीडिया के मुताबिक, वर्ष 2020 का बालाजी वेफर्स का बिजनेस सालाना करीब 3 हजार करोड़ रु का है।

English summary

Success Story Started with a packet of Rs 5 today is the owner of Rs 3000 crore

The packaged goods business plays a vital role in the Indian economy for the consumers. If you look at the law, most of the multinational companies are working in this sector.
Story first published: Wednesday, December 7, 2022, 13:20 [IST]
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