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अजब-गजब : ये हैं करोड़ति कबूतर, जिनके पास है बहुत सारी प्रॉपर्टी, ये है पूरा मामला

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नई दिल्ली, जनवरी 11। आपने कई उद्योगपतियों की कहानी सुनी होगी जो देश के अलग-अलग राज्यों में करोड़ों रु का कारोबार करते हैं। ऐसे ही कई करोड़पति राजस्थान में भी हैं। बल्कि करोड़पति ही क्या अरबपति भी हैं। मगर क्या आपने कभी करोड़पति कबूतरों के बारे में सुना है। अगर नहीं तो आज सुन लीजिए। दरअसल अधिकतर लोग इस बात से अनजान हैं राजस्थान के नागौर स्थित छोटे से कस्बे जसनगर में कुछ कबूतर ऐसे हैं, जो करोड़पति हैं। जी हां आपने सही पढ़ा 'करोड़पति कबूतर'। आगे जानिए इस जगह के कबूतर आखिर कैसे करोड़पति बने।

 

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मिली करोड़ों की प्रॉपर्टी

मिली करोड़ों की प्रॉपर्टी

जसनगर में इन कबूतरों को करोड़पति कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके नाम पर करोड़ों रुपये की संपत्ति है। जी हां इन कबूतरों को करोड़ों रु की सपंत्ति मिली है। आप सुन कर हैरत कर रहे होंगे, मगर ये सच है। इन कबूतरों के पास जो संपत्ति है, उसमें कई दुकानें, कई किलोमीटर तक फैली जमीन और कैश भी शामिल है। इन कबूतरों के नाम पर 27 दुकानें की गयी हैं।

कई बीघा जमीन के मालिक हैं कबूतर
 

कई बीघा जमीन के मालिक हैं कबूतर

ये कबूतर 1-2 नहीं बल्कि पूरे 126 बीघा जमीन और 30 लाख रुपये की नकदी के मालिक हैं। इसके अलावा 10 बीघा जमीन और है, जिस पर 400 से ज्यादा गौशालाएं चलाई जा रही हैं। य़े गौशालाएं भी इन कबूतरों की ही हैं। अब सवाल यह है कि आखिर इन कबूतरों के पास इतनी संपत्ति और दौलत आई कहां से। आइए जानते हैं सवाल का जवाब।

ऐसे हुई शुरुआत

ऐसे हुई शुरुआत

करीब चार दशक पहले जसनगर में एक उद्योगपति ने कबुतरण ट्रस्ट बनाया था। यहां के एक निवासी प्रभुसिंह राजपुरोहित के अनुसार यह व्यवस्था उनके पूर्वजों और पूर्व सरपंच रामदीन चोटिया और उनके गुरु मरुधर केसरी से प्रेरणा लेकर शुरू की गई थी। बाद में सभी ने पक्षियों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था की। इससे और लोग भी प्रेरित हुई।

कहां से आई संपत्ति

कहां से आई संपत्ति

एक उद्योगपति सज्जनराज जैन ने इस परियोजना में अहम भूमिका निभाई। प्रोजेक्ट शुरू होते ही लोगों ने खूब दान दिया। कबूतरों की इस जमीन पर एक गोशाला चल रही है। इस गौशाला में 500 गायें हैं। यहां गोवंश के लिए सभी चिकित्सा व्यवस्था भी की गई है। विशाल दान किया गया जिससे कबूतरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ पक्षियों को नियमित खाना और पानी देने के लिए ट्रस्ट के माध्यम से शहर में लगभग 27 दुकानें बनाई गईं।

कबूतरों के नाम पर ट्रस्ट

कबूतरों के नाम पर ट्रस्ट

दरअसल ट्रस्ट का नाम कबूतरों के नाम पर रखा गया। इसलिए इसे कबूतरन ट्रस्ट कहा जाता है। इसमें डोनेशन आई, जिससे कबूतरों की संपत्ति बढ़ती गयी। अहम बात यह है कि कुल दुकानों से हर महीने 80 हजार रुपये का किराया आता है। जमीन को किराए पर दिया गया है। इससे कबूतरों के लिए बने इस ट्रस्ट को नियमित आय होती है। यह सारी आय बैंक में जमा की जा रही है जो पिछले कुछ वर्षों में बढ़ कर 30 लाख रुपये हो गई है। यानी यह कहा जा सकता है कि ये प्रॉपर्टी किसी ने एक साथ नहीं की। बल्कि लोगों के दान के पैसों से इतनी संपत्ति जमा की जा सकी है।

English summary

Strange These are croreati pigeons who have a lot of property this is the whole matter

These pigeons are not the owners of 1-2 but entire 126 bighas of land and 30 lakh rupees in cash. Apart from this, there is another 10 bighas of land, on which more than 400 gaushalas are being run.
Story first published: Tuesday, January 11, 2022, 16:05 [IST]
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