अजब-गजब : 10 रु के पॉपकॉर्न की कीमत मल्टीप्लेक्स में हो जाती है 10 गुना, जानिए क्यों
नई दिल्ली, अगस्त 14। मिडिल क्लास लोग अपने परिवार के साथ अक्सर मल्टिप्लेक्स में मूवी देखना पसंद करते हैं, लेकिन कई बार हम यह पाते हैं कि मूवी देखने के दौरान केवल कुछ लोग ही खाने पिने के समानों को खरीदते हैं। क्योंकि मल्टिप्लेक्स में खाने के समानों की कीमत समान्य रेट से कई गुना होती है। अगर मिडिल क्लास परिवार के लोग खाने पिने के समानों पर खर्च करते हैं तो यह उनके लिए बहुत महंगा पड़ जाता है। सिनेमा हॉल में पॉपकार्न, चिप्स, पानी आदि की किमते बाजार रेट से काफी हाई होती हैं। चलिए आज आपको बताते हैं कि सिनेमा हॉल में चिजे महंगी क्यों होती हैं।
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मल्टिप्लेक्स की है मजबूरी
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक भारत में अभी भी सिंगल स्क्रिन थियेटर में फिल्म देखने वालों कि संख्या ज्यादा है। अब लगभह हर शहर में मल्टिप्लेक्स खुल रहें हैं, सिनेमा के लिए यह बदलाव का दौर है। सभी मल्टीप्लेक्स को रन करने में काफी ज्यादा खर्चा आता है। खर्चो को मेंटेन करने और ऑपरेशनल कॉस्ट को कवर करने के लिए मल्टीप्लेक्स स्नैक्स के दाम से कमाई करते हैं। हालांकि, मल्टिप्लेक्सो ने कहा है कि अभी खाने पिने के समानों में वृद्धि नहीं कि जाएगी। मल्टीप्लेक्स में ज्यादा स्क्रीनें होती हैं जिसके कारण सिंगल स्क्रिन के मुकाबले इसको चलाने की लागत 4 से 6 गुना बढ़ जाती है। कई सारे प्रोजेक्शन रूम्स और बेहतरिन साउंड सिस्टमों के सेटअप के कारण मल्टिप्लेक्स के रख रखाव का कास्ट अधिक होता है। मल्टिप्लेक्स में एयरकंडिशन की भी सुविधा होती है।
पीवीआर का मर्जर
साल 2022 की शुरुआत में देश की दो सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स चेन पीवीआर के साथ आईनॉक्स मल्टिप्लेक्स ने विलय करने का फैसला किया था। लोगों ने इस विलय को मल्टिप्लेक्स इंडस्ट्री के लिए दिशा बदलने वाला बताया था। जानकारों का कहना था कि इस विलय से मूवी देखने वाले दर्शकों के लिए सहूलियत बढ़ेगी। इन दोनों मल्टिप्लेक्स की स्क्रिन की अगर गणना करें तो यह इनके पास कुल 1,500 तक स्क्रीनें हो जाएंगी।
कोरोना से हुए थे प्रभावित
कोरोना काल में मल्टिप्लेक्स एकदम नुकसान में चले गए थे। कोरोना के बाद भी मल्टिप्लेक्सों को खुलने की अनुमति सरकार ने बहुत बाद में दी थी। ऐसे में सिनेमा घरों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा था।