अजब-गजब : 24 वर्षीय भारतीय को Tesla में मिला 23 करोड़ रु का पैकेज
नई दिल्ली, जून 19। लोग अपने बच्चों को मेहनत से पढ़ाते हैं और उनकी शिक्षा पर खूब खर्च करते हैं। अकसर बच्चे आर्थिक तंगी के कारण आगे नहीं बढ़ पाते वहीं कुछ पिछड़े इलाकों के बच्चों को उतने मौके नहीं मिलते जितने मिलने चाहिए। पर फिर भी कुछ छात्र ऐसे निकल कर आते हैं कि एक लंबी छलांग लगाते हुए विदेशों की दिग्गज कंपनियों में बड़े बड़े पैकेज हासिल करते हैं। इसी तरह की एक नयी खबर सामने आई है उत्तराखंड से।
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छोटी उम्र में बड़ी नौकरी
ये कहानी है उत्तराखंड के चंपावत के यशवंत चौधरी की। यशवंत दृढ़ इच्छाशक्ति वाले हैं। इसकी मिसाल उन्होंने छोटी सी उम्र में एक बड़ा कारनामा हासिल करके की है। वे कम आयु में एक बड़ा मुकाम हासिल करने में कामयाब हो गए हैं। यशवंत को अपनी पहली नौकरी मिल गयी है। ये कोई बड़ी बात नहीं है। मगर इतनी कम आयु में एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी प्राप्त कर पाना ये बड़ी बात है।
करोड़ों में पैकेज
टेस्ला एक अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनी है। बता दें कि यशवंत को टेस्ला में जो नौकरी मिली है, उसमें उनका सालाना पैकेज करोड़ों रुपये का है। अहम बात यह है कि यशवंत की आयु केवल 24 साल है। इस छोटी सी उम्र में 30 लाख डॉलर का पैकेज मिला है। भारतीय मुद्रा में यह रकम 23 करोड़ रुपये से ज्यादा है। उनकी प्लेसमेंट जर्मनी की टेस्ला गीगा कंपनी में सीनियर मैनेजर के तौर पर हुई है।
ट्रेनिंग के बाद जॉइनिंग
टेस्ला में नौकरी पाने वाले यशवंत एक युवा इंजीनियर हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगस्त से बेंगलुरु में उनकी ट्रेनिंग होगी। इसके बाद में नवंबर में उन्हें बर्लिन में उनकी नौकरी की शुरुआत होगी। यशवंत के पिता शेखर चौधरी हैं, जो कि एक बिजनेसमैन हैं। पिथौरागढ़ से बी.टेक के बाद 2020 में यशवंत ने गेट परीक्षा में 870वीं रैंक हासिल की।
ट्रेनी मैनेजर के रूप में शुरुआत
दो साल पहले उन्हें बैंगलोर में ट्रेनी मैनेजर के रूप में सिलेक्ट किया गया था। उन्होंने कोरोना काल में अपनी सेवाएं ऑनलाइन दीं। इंडिया हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार यशवंत अपनी नौकरी के बारे में कहते हैं कि उनकी पहली नौकरी बर्लिन, जर्मनी में है। यहां वे टेस्ला गीगा फैक्ट्री में सीनियर मैनेजर के पद पर काम करेंगे। वे 30 लाख डॉलर सालाना पैकेज हासिल करेंगे।
हमेशा से था सपना
बता दें कि बैंगलोर में ट्रेनिंग से पहले यशवंत 31 जुलाई तक ऑनलाइन काम करेंगे। फिर अगस्त से अक्टूबर तक बैंगलोग में ट्रेनिंग लेंगे। इसके बाद नवंबर में बर्लिन में नौकरी शुरू करेंगे। यशवंत एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो हमेशा से एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने का सपना देखते थे। उनका सपना पूरा हो गया है। उनका सपना हमेशा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ करने का था, ताकि भविष्य में वे देश में किसी बड़ी जिम्मेदारी को संभालने में उनका अनुभव काम आए। परिवार और उनके परिचित बहुत खुश हैं। हर तरफ से उन्हें बधाइयां मिल रही हैं। उन्होंने अपने राज्य उत्तराखंड का नाम रोशन किया है। राजनीतिक दलों के बड़े नेता भी उन्हें बधाई दे रहे हैं।