Start-Ups : भारत की इस कमजोरी का फायदा उठा कर चीन ने फैलाए अपने पैर
नयी दिल्ली। भारत और चीन के बीच हुए सीमा विवाद के बाद से दोनों देशों के बीच होने वाला कारोबार प्रभावित हो रहा है। देश में चीन के कारोबार, आयात-निर्यात और निवेश पर समीक्षा की जा रही है। विदेशी निवेश को लेकर भारत में नियम भी बदले गए हैं। मगर चीन की भारत में कई सेक्टरों में बड़ी बाजार हिस्सेदारी है। इसके अलावा चीनी कंपनियों के भारतीय स्टार्ट-अप्स में भी भारी निवेश है। सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले चार सालों में भारतीय स्टार्ट-अप्स में चीनी निवेश 12 गुना बढ़ा है। 2016 में 38.1 करोड़ डॉलर के मुकाबले ये 2019 तक 4.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया। ज्यादातर यूनिकॉर्न (वे स्टार्ट-अप जिनकी कुल वैल्यूएशन 100 करोड़ डॉलर से अधिक हो) में चीन के कॉर्पोरेट या निवेश फर्म्स की हिस्सेदारी है।
ये है बड़ी वजह
गेटवे हाउस की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय स्टार्ट-अप में चीनी निवेश बढ़ने की एक खास वजह है। वो वजह है भारत में किसी बड़े संस्थागत निवेशक का मौजूद न होना। इसी चीज का फायदा उठाते हुए चीनी कंपनियों ने भारतीय स्टार्ट-अप में भारी भरकम निवेश किया है, जिसमें सालों साल बढ़ोतरी हुई है। चीन की निवेशक कंपनियों ने भारतीय स्टार्ट-अप्स में 4.6 अरब डॉलर का निवेश किया हुआ जो एक बड़ी रकम है। दूसरी सबसे बड़ी बात ये है कि 24 में से 17 भारतीय यूनिकॉर्न में चीनी कंपनियों का निवेश है।
ये भी हैं कारण
भारत में किसी बड़े संस्थागत निवेशक का न मौजूद होने की वजह से चीनी कंपनियों के हौंसले बुलंद रहे। मगर इसके अलावा 2 और भी कारण हैं जिनके चलते चीनी कंपनियां भारतीय स्टार्ट-अप सेक्टर में अपने पैर फैला सकीं। दरअसल स्टार्ट-अप को लंबी अवधि के लिए फंडिंग की जरूरत होती है, जो चीनी कंपनियां मुहैया करती हैं। तीसरा कारण है भारत का बड़ा बाजार जिसका रिटेल के अलावा रणनीतिक महत्व भी काफी है। भारत में जिन चीनी कंपनियों ने अधिक निवेश किया है उनमें अलीबाबा, जिसके मालिक जैक मा एक समय एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे, और टेंनसेंट शामिल हैं।
इन स्टार्ट-अप्स में है निवेश
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अलीबाबा और इसकी सहयोगी आंट फाइनेंशियल के साथ ही कुछ दूसरी चीनी कंपनियों में 4 भारतीय यूनिकॉर्न में 2.6 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया हुआ है। इनमें Paytm, Snapdeal, BigBasket और Zomato शामिल हैं। वहीं Tencent ने अपनी साथी कंपनियों और कुछ दूसरी कंपनियों ने 5 यूनिकॉर्न में 2.4 अरब डॉलर लगाए हैं। इनमें ओला, स्विगी, हाइक, ड्रीम 11 और बायजूस शामिल हैं। भारतीय स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में अन्य एक्टिव चीनी निवेशकों में मितुआन-डियानपिंग, दीदी चक्सिंग, फोसुन, शुनवेई कैपिटल, हिलहाउस कैपिटल ग्रुप, चाइना लॉजिंग ग्रुप और चीन-यूरेशिया इकोनॉमिक कॉर्पोरेशन फंड शामिल हैं।
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