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मोदी सरकार को झटका : 20 सालों में पहली बार टैक्स कलेक्शन घटने के आसार

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नयी दिल्ली। आर्थिक मंदी और कई रेटिंग एजेंसियों द्वारा विकास दर के लिए अनुमान घटाने के बीच मोदी सरकार के लिए एक और बुरी खबर आयी है। चालू वित्त वर्ष में भारत के कॉर्पोरेट और इनकम टैक्स कलेक्शन में कम से कम पिछले दो दशकों में पहली बार गिरावट होने की संभावना है। इसके पीछे दो कारण बताये गये हैं जिनमें आर्थिक वृद्धि में भारी गिरावट और पिछले साल कॉर्पोरेट टैक्स दरों में कटौती शामिल है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में 15 जनवरी तक डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6.1 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले वित्त वर्ष में 15 जनवरी तक का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 7.73 लाख करोड़ रुपये रहा था, जो इस बार 7.26 लाख करोड़ रुपये रह गया। पिछले साल के आंकड़ों के मुकाबले डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में आयी गिरावट को काफी ज्यादा माना जा रहा है।

कितना था लक्ष्य

कितना था लक्ष्य

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के मुकाबले 2019-20 में 17 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 13.5 लाख करोड़ रुपये के डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य रखा था। मगर मांग में भारी गिरावट से कारोबार में गिरावट आई, जिससे कंपनियों के निवेश और नौकरियों में कटौती की। इसके नतीजे में टैक्स कलेक्शन में गिरावट आयी है। वहीं सरकार भी 2019-20 के लिए 5 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाने को मजबूर हो गयी, जो पिछले 11 सालों में सबसे कम है। 23 जनवरी तक के आंकड़ों के अनुसार टैक्स डिपार्टमेंट ने 7.3 लाख करोड़ रुपये का टैक्स हासिल किया है, जो पिछले साल इसी समय तक की तुलना में 5.5 फीसदी से ज्यादा कम है।

11.5 लाख करोड़ रुपये से कम रहेगा कलेक्शन
 

11.5 लाख करोड़ रुपये से कम रहेगा कलेक्शन

टैक्स अधिकारियों के अनुसार सभी प्रयासों के बावजूद इस वित्त वर्ष में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 2018-19 में रहे 11.5 लाख करोड़ से कम रहने की संभावना है। एक अधिकारी के अनुसार 'लक्ष्य को भूल जाओ, यह पहली बार होगा जब हम प्रत्यक्ष कर संग्रह में कभी गिरावट देखेंगे।' उनके मुताबिक पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में 10 फीसदी की गिरावट आ सकती है। बता दें कि डायरेक्ट टैक्स आमतौर पर सरकार के वार्षिक राजस्व में लगभग 80 फीसदी योगदान देते हैं।

कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का प्रभाव

कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का प्रभाव

पिछले साल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए प्रभावी टैक्स रेट 35 फीसदी से घटा कर 25 फीसदी कर दी थी। वहीं सभी तरह की छूटों को छोड़ने वाली कंपनियों के लिए एक नई 22 फीसदी कॉर्पोरेट रेट की घोषणा की गयी। इसके अलावा नयी मैनुफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए और भी कम 15 फीसदी टैक्स रेट का ऐलान किया गया था। सरकार का उद्देश्य मैनुफैक्चर्स को लुभाना और एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में निवेश को बढ़ावा देना था। मगर यह टैक्स कलेक्शन में गिरावट का एक कारण बन गया।

 

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English summary

Shock to Modi government For the first time in 20 years tax collection is expected to decrease

In the last financial year till January 15, the direct tax collection was Rs 7.73 lakh crore, this time it was Rs 7.26 lakh crore.
Story first published: Saturday, January 25, 2020, 18:18 [IST]
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