अच्छी खबर : आज से SBI का सस्ता हुआ होम-ऑटो और पर्सनल लोन
एसबीआई ग्राहकों के लिए वाकई अच्छी खबर है। जी हां देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ग्राहकों को राहत देते हुए एक बड़ा ऐलान किया है।
नई दिल्ली: एसबीआई ग्राहकों के लिए वाकई अच्छी खबर है। जी हां देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ग्राहकों को राहत देते हुए एक बड़ा ऐलान किया है। एसबीआई ने 10 नवंबर से एमसीएलआर की दरें 0.05 फीसदी तक घटा दी है। अब अगर आप होम, ऑटो और पर्सनल लोन लेने की सोच रहे हैं तो आपके लिए खुशखबरी है। वहीं, आप अगर इन दोनों बैंकों के मौजूदा ग्राहक हैं तो भी आपको घटी दरों का फायदा मिलेगा। आपको बता दें कि इससे पहले 10 अक्टूबर 2019 को भी बैंक ने एमसीएलआर दरें 0.10 फीसदी तक घटाईं थी। जानकारी दें कि 4 अक्टूबर को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने ब्याज दरें 0.25 फीसदी घटाने का ऐलान किया था। इसके बाद रेपो रेट 0.25 फीसदी घटकर 5.15 फीसदी पर आ गई है।
मौजूदा वित्त वर्ष में बैंक ने लगातार सातवीं बार दरें घटाई
बता दें कि एसबीआई के मुताबिक, बैंक ने सभी अवधि के लिए एमसीएलआर दरें 0.05 फीसदी तक घटा दी हैं। अब एक साल के लिए नई एमसीएलआर दरें 8.05 फीसदी से घटकर 8 फीसदी पर आ गई है। नई दरें 11 अक्टूबर से लागू होंगी। बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में लगातार सातवीं बार दरें घटाई हैं।
हर महीने ईएमआई 0.05% तक सस्ती
आरबीआई के रेपो रेट घटाने के बाद एसबीआई ने एमसीएलआर पर आधारित लोन की दरें घटा दी हैं। अब हर महीने ईएमआई 0.05% तक सस्ती हो गई है। आपको बता दें कि बैंकों द्वारा एमसीएलआर बढ़ाए या घटाए जाने का असर नए लोन लेने वालों के अलावा उन ग्राहकों पर भी पड़ता है, जिन्होंने अप्रैल 2016 के बाद लोन लिया हो।
एचडीएफसी लिमिटेड ने भी घटाया रेट
आपको बता दें कि इससे पहले एचडीएफसी लिमिटेड ने अक्टूबर में अपनी फ्लोटिंग लोन की ब्याज दरों में 10 बेसिस प्वाइंट की कटौती की बात कही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से नीतिगत ब्याज दरों में कमी के बाद बैंक ने ब्याज दरें घटाने का फैसला किया है।
क्या है एमसीएलआर?
बैंकों द्वारा एमसीएलआर बढ़ाए या घटाए जाने का असर नए लोन लेने वालों के अलावा उन ग्राहकों पर पड़ता है, जिन्होंने अप्रैल 2016 के बाद लोन लिया हो। दरअसल अप्रैल 2016 से पहले रिजर्व बैंक द्वारा लोन देने के लिए तय मिनिमम रेट बेस रेट कहलाती थी। यानी बैंक इससे कम दर पर कस्टमर्स को लोन नहीं दे सकते थे। वहीं 1 अप्रैल 2016 से बैंकिंग सिस्टम में एमसीएलआर लागू हो गया और यह लोन के लिए मिनिमम दर बन गई। यानी उसके बाद एमसीएलआर के आधार पर ही लोन दिया जाने लगा।