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कमाल : इस कंपनी में हर कर्मचारी की सैलेरी है 50 लाख रु, बॉस फिर भी है खुश

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नई दिल्ली, सितंबर 22। भारत में यदि आप लाखों में सैलेरी चाहते हैं तो दो तरीके हैं। या तो आपको सालों मेहनत करनी होगी और रिटायरमेंट के कुछ साल पहले ही इतनी सैलेरी पर पहुंच पाएंगे। या फिर आप ऐसे सेक्टर में काम करते हों जहां तरक्की जल्दी हो और आपकी सैलेरी भी जल्दी बढ़े। मगर एक ऐसी कंपनी है, जिसने लंबे समय से अपने सभी कर्मचारियों की सैलेरी लाखों रु कर रखी है। ये कंपनी अमेरिका की है। आगे जानिए इस कंपनी की डिटेल।

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ग्रेविटी पेमेंट्स

ग्रेविटी पेमेंट्स

ग्रेविटी पेमेंट्स एक क्रेडिट कार्ड प्रोसेसिंग और फाइनेंशियल सर्विस कंपनी है। इसकी शुरुआत 2004 में लुकास और डैन प्राइस नामक दो लोगों ने की थी। कंपनी का हेडक्वार्टर वाशिंगटन में है और इसमें 100 से अधिक लोग काम करते हैं। 2006 से इस कंपनी के सीईओ प्राइस हैं। छह साल पहले सीईओ डैन प्राइस ने अपनी इस सिएटल स्थित क्रेडिट कार्ड प्रोसेसिंग कंपनी में सभी कर्मचारियों की सैलेरी कम से कम 70,000 डॉलर प्रति वर्ष कर दी थी। भारतीय मुद्रा में यह रकम 50 लाख रु होती है। यानी हर महीने करीब 4.16 लाख रु।

सीईओ ने अपनी सैलेरी घटाई

सीईओ ने अपनी सैलेरी घटाई

प्राइस ने अपने कर्मचारियों की सैलेरी बढ़ाने के लिए खुद कुर्बानी दी। उन्होंने अपनी सैलेरी 10 लाख डॉलर तक की कटौती की। कुछ लोगों ने उन्हें नायक के रूप में सम्मानित किया। इतनी अधिक सैलेरी के चलते कुछ आलोचकों ने कंपनी के दिवालिया होने भविष्यवाणियां की। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। इसके बजाय, कंपनी और आगे बढ़ रही है।

बेचना पड़ा घर

बेचना पड़ा घर

सीबीएस की रिपोर्ट के अनुसार प्राइस की कंपनी में कर्मचारियों की संख्या दोगुनी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी की वैल्यू तीन गुना हो गई है और वह अभी भी अपने कर्मचारियों को सालाना 70,000 डॉलर का भुगतान कर रहे हैं। वे कितना बनाते हैं, इस सवाल के जवाब पर प्राइस ने कहा कि मैं सालाना 70000 डॉलर कमा रहा हूं। अपने स्वयं के बिलों का भुगतान करने के लिए, प्राइस ने अपने लाइफस्टाइल को सीमित किया। अपना दूसरा घर बेच दिया और अपनी बचत का उपयोग किया। कुछ वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि प्राइस का निर्णय एक बड़ा जोखिम था।

लोगों के उम्मीदों के उलट फैसला

लोगों के उम्मीदों के उलट फैसला

प्राइस का फैसला लोगों की अपेक्षा और आमतौर पर निगमों और कंपनियों में जो होता है उसके विपरीत है। प्राइस कहते हैं कि उनकी कंपनी को पॉलिसी के साथ मिली सफलता के बावजूद वह चाहते हैं कि अन्य कंपनियां भी इसी का पालन करें। प्राइस कहते हैं कि ग्रेविटी का रिटर्न तेजी बढ़ रहा है क्योंकि अधिक तनख्वाह से कर्मचारियों में लॉयल्टी पैदा हुई है।

कोरोना काल में हुआ नुकसान

कोरोना काल में हुआ नुकसान

कंपनी को कोविड-19 महामारी के दौरान झटका लगा। मार्च 2020 में इसका 55% कारोबार खत्म हो गया। एक समय पर, प्राइस को लगा कि ग्रेविटी विफल होने से केवल चार महीने दूर है, लेकिन इसके कर्मचारियों ने स्वेच्छा से वेतन में कटौती का फैसला लिया। इससे कंपनी फिर से पटरी पर लौट आई। दो कर्मचारियों के अनुसार उन्होंने अपनी सैलेरी 40000 डॉलर तक घटा ली। अब इन दोनों का वेतन सामान्य हो गया है और ग्रेविटी ने उन्हें उनके उस वेतन को भी वापस कर दिया, जो उन्होंने स्वेच्छा से छोड़ा था।

English summary

salary of every employee in Gravity Payments is Rs 50 lakh boss is still happy

Price sacrificed himself to increase the salary of his employees. He cut his salary up to $1 million. Some respected him as a hero.
Story first published: Wednesday, September 22, 2021, 13:13 [IST]
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