Salary और Savings Account : ब्याज से लेकर जुर्माने तक ये होते हैं अंतर
नयी दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई, प्रमुख प्राइवेट बैंक एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक सहित सभी बैंक कई तरह के अकाउंट खुलवाने की सुविधा देते हैं। अलग-अलग बैंक खातों के नियम भी अलग-अलग होते हैं। मगर अक्सर लोग इनके बीच के अंतर को नहीं जानते। मालूम हो कि बैंकों में अधिकतर सेविंग्स यानी बचत खाते होते हैं, जो कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स और न्यूनतम पैसा जमा करा कर खुलवाया जा सकता है। दूसरी तरह का अकाउंट जिसकी लोगों को ज्यादा जरूरत होती है वो होता है सैलरी अकाउंट। आपके पास ये दोनों तरह के अकाउंट हो सकते हैं इसलिए ध्यान रखिए ये दोनों खाते एक-दूसरे से अलग होते हैं। इनके कुछ नियम भी अलग होते हैं, जिनके बारे में जानना जरूरी है।
क्या होता है सैलेरी अकाउंट
अंतर जानने से पहले सैलेरी अकाउंट के बारे में जानना जरूरी है। सैलरी अकाउंट वे खाता होता है जिसमें कंपनी आपको सैलेरी देती है। सैलेरी अकाउंट जिस कंपनी में आप काम कर रहे हैं उसी की तरफ से किसी बैंक में खुलवाया जाता है। किसी भी कंपनी में काम करने वाले हर शख्स का अपना सैलरी अकाउंट जरूरी है, जिसे वे खुद ही संभालता है। कंपनी सिर्फ उस खाते में सैलेरी क्रेडिट करती है। बाकी आप अपने इस खाते को भी बचत खाते की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। मगर सैलरी अकाउंट के कुछ रूल्स बचत खाते से अलग होते हैं।
न्यूनतम बैलेंस और चार्जेस
सैलेरी अकाउंट में आप अपनी तंख्वा हासिल करते हैं, जबकि बचत खाते में अपनी बचत जमा कर सकते हैं। इन दोनों में सबसे बड़ा फर्क ये है कि सैलेरी अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होता। मगर अलग अलग बैंक की अलग लिमिट के मुताबिक बचत खाते में तय न्यूनतम राशि रखना जरूरी होता है। सैलेरी अकाउंट में आपका बैलेंस अगर जीरो भी है तो आपसे बैंक कोई चार्ज नहीं लेगा, मगर यदि बचत खाते में न्यूनतम बैलेस से कम पैसा रखा जाए तो आपसे तय शुल्क लिया जाएगा।
अगर नहीं आई सैलेरी तो क्या होगा
सैलेरी अकाउंट में अगर किसी वजह से 3 महीने तक आपकी सैलेरी न आए तो फिर बैंक इसे एक सामान्य बचत खाते में तब्दील कर देगा। फिर वही सब नियम लागू होंगे जो एक बचत खाते पर होते हैं। इनमें मिनिमम बैलेंस रखना भी शामिल है। दूसरी बात अगर आप चाहें तो अपने बचत खाते को सैलेरी अकाउंट में कंवर्ट करा सकते हैं। मगर यदि आपकी कंपनी उसी बैंक में खाता खुलवाती है तो ही ये मुमकिन है। जॉब बदलने पर नई कंपनी नया खाता खुलवाती है।
ब्याज दर में नहीं होता अंतर
सैलेरी और सेविंग्स बचत खाते पर मिलने वाली ब्याज दर में कोई अंतर नहीं होता। दोनों खातों पर आपको समान ब्याज मिलती है। हालांकि कोई सामान्य व्यक्ति सैलेरी अकाउंट नहीं खुलवा सकता। कंपनी में नौकरी करने वालों को ही ये सुविधा मिलती है। जबकि सामान्य बचत खाता कोई भी खुलवा सकता है।
मिनिमम बैलेंस का दूसरा नियम
अगर आप जॉब बदलते हैं और आपकी नयी किसी अन्य बैंक में नया सैलेरी अकाउंट खुलवाती है तो आपको पुराने खाते में न्यूनतम बैलेंस रखना होगा। अगर आपने मिनिमम बैलेंस न रखें तो आपको जुर्माना देना होगा। इसलिए अगर आप मिनिमम बैलेंस न रख सकें तो उस खाते को बंद करा दें।
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