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सबकी पसंद Nirma : छोटी सी जगह से हुई थी शुरुआत, आज है 2500 करोड़ रु की कंपनी

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नई दिल्ली, सितंबर 17। हो सकता है आपके घर में कपड़े धोने के लिए निरमा डिटर्जेंट पाउडर का उपयोग होता हो। यह भी हो सकता है निरमा का इस्तेमाल न होता हो, मगर इतना जरूर है कि आप निरमा डिटर्जेंट पाउडर के बारे में जरूर जानते होंगे। साथ ही यदि आप 90 के दशक या उससे पहले पैदा हुए हैं तो आपको इसके विज्ञापन और निरमा डिटर्जेंट पाउडर के पैकेट पर आने वाली लड़की जरूर याद होगी। पर क्या आप जानते हैं कि निरमा डिटर्जेंट की शुरुआत कैसे हुई और कैसे यह छोटी सी जगह से हजारों करोड़ रु की कंपनी बन गयी? यहां हम आपको इसी की जानकारी देंगे।

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कितने की शुरुआत

कितने की शुरुआत

निरमा की शुरुआत गुजरात के करसनभाई पटेल ने की। वे निरमा ब्रांड के संस्थापक हैं। उन्होंने निरमा के पैकेट और विज्ञापन में आने वाली लड़की से 1980 के दशक की शुरुआत में अपने ब्रांड की तरफ भारतीयों का ध्यान आकर्षित किया और बाजार में बड़े ब्रांड्स से आगे निकल गये। बता दें कि उन्होंने अपने बैकयार्ड (घर का पिछला हिस्सा) से भारत के हर मध्यम वर्ग के घर में एक नया डिटर्जेंट ब्रांड पहुंचा दिया।

1969 में आया हिंदुस्तान लीवर का सर्फ

1969 में आया हिंदुस्तान लीवर का सर्फ

1969 में हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड (अब हिंदुस्तान यूनिलीवर) ने 'सर्फ' नाम के एक ब्रांड के तहत भारत में डिटर्जेंट पाउडर पेश किया और इस बाजार पर पूरा एकाधिकार जमा लिया। काफी कीमत में सर्फ आपके हाथों को नुकसान पहुंचाए बिना कपड़ों से दाग हटा देता। ये कपड़ों के लिए साबुन के नियमित बार की तुलना में बेहतर ऑप्शन था। मगर सर्फ में एक समस्या थी और वो थी कीमत। इसकी कीमत 10-15 रु थी, जो उस समय बहुत अधिक थी।

करसनभाई पटेल को आया आइडिया

करसनभाई पटेल को आया आइडिया

गुजरात सरकार के खनन और भूविज्ञान विभाग के एक केमिस्ट करसनभाई पटेल भी इसी सेगमेंट में प्रवेश करना चाहते थे। उनका मकसद अपने जैसे मध्यम वर्गीय परिवारों को राहत देने का था। उन्होंने अहमदाबाद, गुजरात में अपने बैकयार्ड में एक डिटर्जेंट बनाने का फैसला किया। उन्होंने यह ध्यान में रखा कि उत्पाद की कीमत, साथ ही उत्पादन लागत कम हो।

बेटी के नाम पर रखा ब्रांड

बेटी के नाम पर रखा ब्रांड

पटेल ने एक नया फार्मूला डेवलप किया। उससे बना पीले रंग का डिटर्जेंट पाउडर। उन्होंने इसे मात्र 3 रुपये में बेचना शुरू किया। पटेल ने अपनी बेटी निरुपमा के नाम पर ब्रांड का नाम निरमा रखा था। उनकी बेटी की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। उन्होंने शुरुआत में हर मोहल्ले में घर-घर जाकर अपना डिटर्जेंट बेचा। वे प्रत्येक पैकेट के साथ 'मनी बैक' गारंटी देते थे। मगर उनकी कंपनी की 2500 करोड़ रु की हो गयी है।

फुल टाइम बिजनेसमैन

फुल टाइम बिजनेसमैन

कुछ समय बाद पटेल ने अपनी नौकरी छोड़ दी और इस बिजनेस को आगे बढ़ाने और बाजार में बड़े खिलाड़ियों से टक्कर लेने का फैसला किया। 1995 में, पटेल ने अहमदाबाद में निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्थापना की, और 2003 में, उन्होंने 2003 में इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और निरमा यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना की। मैनेजमेंट की डिग्री न होने के बावजूद उन्होंने नामों से टक्कर ली। एक शानदार दिमाग वाले करसनभाई आज उद्यमियों में एक नामी शख्सियत हैं।

English summary

sabki pasand Nirma Started from a small place today is a company worth 2500 crores

Nirma was started by Karsanbhai Patel of Gujarat. He is the founder of Nirma brand. He attracted the attention of Indians to his brand in the early 1980s with Nirma's packets and adverts and went ahead of the big brands in the market.
Story first published: Saturday, September 17, 2022, 17:13 [IST]
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