पैसा खत्म तो सामान के बदले सामान से करने लगे कारोबार, जानिए कहां
नयी दिल्ली। कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन के बीच लोगों के पास पैसा खत्म होता जा रहा है। रोजगार बंद है, जिससे नए पैसे की उम्मीद नहीं है। ऐसे में भारत के तमिलनाडु से एक अनोखी खबर आई है। वहां पैसा खत्म होने के बाद लोगों ने सामान के बदले सामान में कारोबार करना शुरू कर दिया है। इस तरीके को बार्टर सिस्टम कहते हैं जो बाकायदा दुनिया में सदियों पहले वजूद में थी। जब मुद्रा यानी करेंसी का चलन शुरू नहीं हुआ था तब लोग ऐसे ही कारोबार किया करते थे। अब आते हैं तमिलनाडु के अरियालुर जिले पर, जहां ये तरीका फिर से शुरू हुआ है। यह देखते हुए कि अधिकतर लोगों ने अपने ज्यादातर पैसा खर्च कर दिए और काम ढूंढने का बहुत कम या कोई अवसर नहीं है, अरियालुर के ग्रामीण हिस्सों में लोगों ने वस्तु विनिमय प्रणाली (बार्टर सिस्टम) का उपयोग करके आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी करना शुरू कर दिया है, जो ऐसी स्थिति में उन्हें आसान भी लग रहा है। कैशलेस अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से नहीं भुलाया गया है और अरियालुर के लोगों के लिए वस्तु विनिमय प्रणाली सही काम कर रही है क्योंकि उनके पास खर्च करने के लिए बहुत कम पैसे हैं।
लॉकडाउन के कारण नहीं है काम
लॉकडाउन के कारण पूरे जिले में अधिकांश लोग बिना काम के घर पर ही हैं। कुछ लोगों के पास खाने को भी नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान अपनी फसल बेचने में असमर्थ हैं और बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। ऐसे में लोगों के लिए बार्टर सिस्टम अच्छा तरीका बन कर सामने आया है। लोग दैनिक जरूरतों के लिए सब्जियों, धान और मिर्च जैसी वस्तुओं की खरीद के लिए वस्तु विनिमय प्रणाली का उपयोग कर रहें है। जिले के एक निवासी के मुताबिक नकदी का इस्तेमाल कम हो रहा है। उन्होंने अपने दो एकड़ में मिर्च और मूंगफली की खेती की थी लेकिन उन्हें धान की जरूरत थी। इसलिए उन्होंने 25 किलो मिर्च के बदले में ढाई बोरी धान खरीदा। इसके लिए उन्होंने बाजार मूल्य पर ही गणना की।
लेन-देन में पूरी ईमानदारी
बार्टर सिस्टम में किसी बिचौलिए की गुंजाइश नहीं होती, इसलिए अरियालुर के लोगों के लिए लेन-देन में पूरी ईमानदारी सुनिश्चित है। जिले एक अन्य निवासी के मुताबिक जबकि शहर में लोग भुगतान करने के लिए डेबिट या क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर रहे हैं, वे कैशलेस भुगतान के पुराने फॉर्म में लौट आए हैं, जिससे वे खुश भी हैं। एक और निवासी के अनुसार उन्होंन ढाई बोरी धान मिर्ची के बदले में दिया। वहां लोग सब्जियों की भी लेन-देन कर रहे हैं। ट्रैफिक पर पाबंदी के कारण लोग बाहर नहीं जा सकते हैं और अपना माल बेच नहीं पा रहे। इसलिए लोग इस प्रणाली का उपयोग करके पड़ोसियों से सामान खरीदते हैं। सभी क्षेत्रों में मुद्रा संकट के कारण कई गांवों में वस्तु विनिमय प्रणाली का तेजी से उपयोग किया जा रहा है। इससे लोग डायरेक्ट खरीदारी करते हैं। वैसे दिखने में यह कारोबार नहीं लगता।
गोल्ड बेच कर रहे गुजारा
कोरोना के कारण दुनिया भर में कारोबारबंद होने से लोगों के सामने रोजी-रोटी का बड़ा मसला सामने आया है। इसलिए तरह-तरह से अपने लिए जरूरी चीजों का इंतेजाम कर रहे हैं। इससे पहले थाईलैंड से एक ऐसी खबर आई थी कि वहां लोग गोल्ड बेच कर अपना गुजारा करने को मजबूर हैं। थाईलैंड के लोग बैंगकॉक के चाइनाटाउन में अपनी गोल्ड ज्वेलरी बेच रहे हैं। दरअसल कोरोनावायरस के कारण थाईलैंड की इकोनॉमी लुढ़क गई है। लॉकडाउन से लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है और उनकी आमदनी रुक गई है। ऐसे में गोल्ड बेचने के अलावा उनके पास कोई ऑप्शन नहीं है।
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