2.94 रु में तैयार होता है 500 रु का नोट, जानिए बाकी नोटों कितना आता है खर्च
नई दिल्ली, अप्रैल 27। क्या आपने कभी सोचा है कि आप जो नोट दिन-रात खर्च करते हैं, वो एक नोट कितने रु में तैयार होता है। करेंसी नोट सिम्पल पेपर जैसे कागज पर छापे जाते हैं। हालांकि उनकी वैल्यू काफी ज्यादा होती है। उदाहरण के लिए 2000 का नोट दिखने में रंगबिरंगा कागज होता है, मगर उसकी वैल्यू 2000 रु है। पर इसे बनाने में कितने रु खर्च होते हैं। आज हम आपको इस खबर में पूरी जानकारी देंगे कि जिन नोटों से आप खरीदारी करते हैं, उनमें कौन सा कितने में तैयार होता है।
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किसकी होती है जिम्मेदारी
भारत में, नए नोटों की छपाई की जिम्मेदारी एकमात्र भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) पर होती है। आरबीआई एक रुपए के नोट को छोड़कर सभी मूल्य के नोटों को छापता है। सभी एक रुपये के नोट वित्त मंत्रालय की देखरेख में छापे जाते हैं और वित्त सचिव द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं। इस पर आरबीआई के गवर्नर के साइन नहीं होते। वित्त मंत्रालय एक रुपए के नोटों को छापने और बाकी सभी मूल्य के सिक्कों को मुद्रित करने के लिए जिम्मेदार है।
आरबीआई करता है प्रसार
भारतीय रिज़र्व बैंक को ही नोटों और सिक्कों को प्रसारित करने का अधिकार है। इसका मतलब यह है कि वित्त मंत्रालय एक रुपये के नोट छापता है और बाकी सभी सिक्कों को मुद्रित करके उन्हें अर्थव्यवस्था में प्रसारित करने के लिए रिज़र्व बैंक को भेज देता है।
200 रु और 500 रु के नोट
2016 में नोटबंदी में 200 रु के नोट भी पेश किए गए। 200 रु का एक छापने में 2.93 रु की लागत आती है। वहीं 500 रु का एक नोट छापने में सरकार को 2.65 रु खर्च करने होते हैं।
2000 रु का नोट
2000 रु का नोट छापने में ज्यादा खर्च आता है। 2000 रु का एक नोट छापने में 3.54 रु लगते हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि नोटों की छपाई का मुख्य खर्च नोटों की छपाई में इस्तेमाल होने वाले कागज, स्याही, सुरक्षा धागे और मशीनों की खरीद पर होता है। आरबीआई को इन नोटों को बनाने के लिए नोट बनाने के कागज और स्याही का आयात करना पड़ता है।
50 रु का नोट
इसी तरह 50 रु का एक नोट छापने पर 2019-20 में 1.22 रु की लागत आई, जबकि इसी नोट को 2018-19 में छापने पर कुल खर्च आता था 1.24 रु। बताते चलें कि 10 रु का नोट 0.94 रु और 20 रु का नोट 0.90 रु में तैयार होता है।