खुदरा महंगाई दर : जून में भी 6 फीसदी के ऊपर रही बरकरार
नयी दिल्ली। महंगाई के मोर्चे पर आम जनता के लिए बुरी खबर आई है। खुदरा महंगाई दर मई के बाद जून में भी 6 फीसदी के ऊपर बरकरार रही। अप्रैल में यह 7.22 फीसदी तक पहुंच गई थी। इसके बाद मई में गिरावट के साथ 6.27 फीसदी रही। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जून में खुदरा महंगाई दर 6.09 फीसदी दर्ज की गई। आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के बावजूद महंगाई दर के इतने ऊंचे स्तर के पीछे असल कारण कुछ फूड प्रोडक्ट्स और ट्रांसपोर्टेशन शुल्क का काफी अधिक होना है। हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें पता चला था कि डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते ट्रांसपोर्टेशन महंगा हुआ है और इसी सब्जी और फलों के दाम बढ़े हैं।
कितना था अनुमान
जानकारों के अनुमान था कि जून में खुदरा महंगाई दर 5.3 फीसदी रह सकती है। 6 फीसदी से अधिक की मुद्रास्फीति मौद्रिक नीति समिति के 4 फीसदी (+/- 2%) के सहनशीलता बैंड के भी ऊपर है। मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति 5.91 फीसदी पर थी। मार्च के अंत में लगाए गए लॉकडाउन के कारण डेटा संग्रह बाधित हुआ था, जिससे अप्रैल और मई के लिए इसके पूरे आंकड़े नहीं आ सके थे।
जून में अलग-अलग चीजो पर खुदरा महंगाई दर :
- ग्रामीण मुद्रास्फीति : 6.2 फीसदी
- शहरी मुद्रास्फीति : 5.9 फीसदी
- मांस और मछली मुद्रास्फीति : 16.22 फीसदी
- दालों पर मुद्रास्फीति : 16.68 फीसदी
- मसालों पर मुद्रास्फीति : 11.74 फीसदी
- कपड़ों और जूतों पर मुद्रास्फीति : 3.53 फीसदी
- हाउसिंग मुद्रास्फीति : 3.55 फीसदी
- ईंधन और बिजली मुद्रास्फीति : 2.69 फीसदी
- परिवहन और संचार मुद्रास्फीति : 7.14 फीसदी
मई में घटा आईआईपी
3 दिन पहले मई के लिए भारतीय औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के आंकड़े भी जारी किए गए थे। मई 2019 के मुकाबले मई 2020 में आईआईपी 34.71 फीसदी घटा। हालांकि अप्रैल 2020 के मुकाबले इसमें 64.92 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। मई में आईआईपी 88.4 पर पहुंच गया। अप्रैल में यह 53.6 पर था। इसका मतलब है कि औद्योगिक गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई, जिसका असल कारण लॉकडाउन में मिली ढील है।
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