Reliance : चीन को पेश की चुनौती, तीन गुना सस्ती बना दी यह चीज
नई दिल्ली। पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) की आजकल देश और दुनिया में खूब है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में यह बड़ा हथियार है। लेकिन कुछ माह पहले तक भारत में इसका एक यूनिट का भी निर्माण नहीं होता था। लेकिन आज भारत चीन के बाद दूसरे नंबर पर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) का उत्पादन कर रहा है। इसी कड़ी में रिलायंस में अपनी दस्तक दे दी है। रिलायंस ने अपनी एक कंपनी की पूरी क्षमता को केवल पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) के उत्पादन में ही लगा दिया है। रिलायंस ने यह काम न केवल रिकॉड समय में कर दिखाया है, बल्कि चीन से तीन गुना से भी ज्यादा सस्ते में तैयार कर दिया है। यह पीपीई किट डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों के अलावा पुलिस और सफाई कर्मचारिओं जैसे फ्रंट लाइन कोरोना वॉरियर्स को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाते हैं। रिलायंस सहित देश में अन्य कंपनियों के पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) के बड़े पैमाने पर निर्माण से चीन की बादशाहत को झटका जरूर लगेगा।
जानिए रेट में अंतर
रिलायंस ने देश पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) का उत्पादन बड़े पैमान पर शुरू कर दिया है। इस वक्त कंपनी रोज करीब 1 लाख पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) बना रही है। हालांकि यह रिलायंस कोर एरिया नहीं है। लेकिन देश की जरूरत को ध्यान में रखते हुए उसने यह कदम उठाया है। शुरू में चीन से आयात किए जाने पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) करीब 2000 रुपये के पड़ते थे। लेकिन अब रिलायंस इनका उत्पादन करीब 650 रुपये में कर रही है। इसके अलावा जहां तक गुणवत्ता की बात है, तो यह पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) वैश्विक मानकों को पूरा करते हैं।
कैसे बन रहे हैं इतने सस्ते में
रिलायंस ने हाल ही में एक कंपनी आलोक इंडस्ट्रीज को खरीदा था। यह कंपनी कपड़ों के उत्पादन का काम करती है। वहीं रिलायंस देश में कैमिकल की भी बड़ी उत्पादक कंपनी है। ऐसे में रिलायंस ने अपनी जामनकर रिफायनी में ऐसे कैमिकल का उत्पादन बढ़ा दिया है तो पीपीई किट के कपड़ा तैयार करने में इस्तेमाल होता है। इस तरह से कंपनी के पास कपड़ा और उसके लिए कैमिकल दोनों ही खुद के बनाए हुए हो गए। इसके बार रिलायंस ने आलोक इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू कर दिया। रिलायंस की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार आलोक इंडस्ट्रीज में इस वक्त केवल पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) ही तैयार की जा रही है। देश और दुनिया की जरूरत को देखते हुए बाकी काम रोक दिए गए हैं। कंपनी ने इस काम के लिए और लोगों को भी काम पर लगा दिया है। इस वक्त कंपनी में करीब 10 हजार कर्मचारी इस काम में लगे हुए हैं।
कोविड-19 के लिए टेस्ट किट भी बना रही रिलायंस
‘कोरोना टेस्टिंग किट' के क्षेत्र में भी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने खुद ही तकनीक का विकास किया है। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के साथ मिलकर रिलायंस ने पूरी तरह स्वदेशी आरटी-एलएएमपी (आरटी-एलएएमपी) आधारित कोविड-19 टेस्ट किट तैयार कर ली है। यह टेस्टिंग किट चीनी किट से कई गुना सस्ती है। इसके अलावा इससे 45 से 60 मिनट के भीतर सटीक नतीजे मिल जाते हैं।
क्यों पड़ रहा इससे टेस्ट सस्ता
आरटी-एलएएमपी टेस्टिंग किट में एक ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इसे आसानी से सार्वजनिक स्थानों जैसे हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों और बस स्टैण्ड्स पर प्रयोग में लाया जा सकता है। इस टेस्ट किट में बुनियादी लैब और साधारण दक्षता की जरूरत होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल टेस्टिंग मोबाइल वैन/ कियोस्क जैसी जगहों पर भी किया जा सकता है। रिलायंस ने इससे पहले नमूना लेने में इस्तेमाल होने वाले टेस्टिंग स्वाब के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पहले यह टेस्टिंग स्वाब चीन से आयात होता था। जिसकी कीमत भारत में 17 रुपये प्रति स्वाब पड़ती थी। लेकिन रिलायंस और जॉन्सन एंड जॉन्सन ने मिलकर अब इसे विकसित कर लिया है। इसकी कीमत चीनी स्वाब से 10 गुना कम पड़ रही है। रिलायंस इसे भारत में केवल 1.70 रेपये में तैयार कर रहा है।
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