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Reliance को पड़ गयी 4 अरब डॉलर की जरूरत, विदेशियों तक से लिए पैसे, जानिए क्यों

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नई दिल्ली, 6 जनवरी। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने फॉरेन करेंसी बॉन्ड (एफसीबी) जारी करके 4 अरब डॉलर जुटाए हैं। ये किसी भी भारतीय कंपनी द्वारा अब तक का सबसे बड़ा एफसीबी रहा। रिलायंस, जो कि मार्केट कैपिटल के हिसाब से देश की सबसे बड़ी कंपनी है, के एफसीबी इश्यू को तीन गुना से ज्यादा सब्स्क्राइब किया गया। ये मेगा इश्यू कंपनी के लिए सबसे बड़ी डेब्ट कैपिटल मार्केट ट्रांजेक्शन रही। कंपनियां अकसर किसी न किसी बिजनेस जरूरत के लिए डिबेंचर या बॉन्ड से पैसे जुटाती रहती हैं। रिलायंस का यह इश्यू भी ऐसा ही है।

 

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तीन किस्तों में जुटाए पैसे

तीन किस्तों में जुटाए पैसे

रिलायंस ने 4 अरब डॉलर अमेरिकी डॉलर बॉन्ड में जुटाए हैं। ये बॉन्ड तीन किस्तों में जारी किए गए। इनमें 10 वर्षों के लिए 1.5 अरब डॉलर 2.875 फीसदी पर, 1.75 अरब डॉलर के बॉन्ड 30 वर्षों के लिए 3.625 फीसदी पर और 75 करोड़ डॉलर के बॉन्ड 40 वर्ष की अवधि के लिए 3.750 फीसदी रेट पर जारी किए गए हैं। इस पैसे का उपयोग मुख्य रूप से रिलायंस मौजूदा डेब्ट को रीफाइनेंस के लिए करेगी। इसका एक हिस्सा 1.5 अरब डॉलर के कर्ज की रीफाइनेंसिंग में उपयोग किया जाएगा जो फरवरी में मैच्योर होने वाला है।

ये है बॉन्ड्स की डिटेल
 

ये है बॉन्ड्स की डिटेल

नोट्स (बॉन्ड) को प्रतिस्पर्धी रूप से यूएस ट्रेजरी बेंचमार्क से अधिक 120 बेसिस पॉइंट्स (100 बेसिस पॉइंट्स = 1 फीसदी), 160 बेसिस पॉइंट्स और 170 बेसिस पॉइंट्स पर प्राइस किया गया है। रिलायंस ने कहा कि नोट्स को एशिया, यूरोप और अमेरिका में 200 से अधिक खातों से ऑर्डर मिले। नोट्स हाई क्वालिटी वाले निश्चित आय खातों में डिस्ट्रिब्यूट किए गए।

किस कैटेगरी को कितने फीसदी नोट्स

किस कैटेगरी को कितने फीसदी नोट्स

69 फीसदी नोट्स फंड मैनेजरों को, 24 फीसदी बीमा कंपनियों को, 5 फीसदी बैंकों को और 2 फीसदी पब्लिक इंस्टिट्यूशंस को जारी किए गए। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने बॉन्ड को 'बीएए2' रेटिंग दी थी जबकि एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने इसे 'बीबीबी+' दी। दोनों एजेंसियों ने बॉन्ड्स पर 'स्टेबल' आउटलुक रखा। इन पर ब्याज अर्ध-वार्षिक यानी छमाही हिसाब से दिया जाएगा।

किन कंपनियों ने लिए बॉन्ड्स

किन कंपनियों ने लिए बॉन्ड्स

रिलायंस ने बॉन्ड्स को सब्सक्राइब करने वाले निवेशकों के नाम का खुलासा नहीं किया। लेकिन मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार हांगकांग स्थित बीएफएएम अपॉर्चुनिटीज फंड, चाइना लाइफ इंश्योरेंस, मिजुहो बैंक, फिडेलिटी और सिंगापुर स्थित यूओबी एसेट मैनेजमेंट ने निवेश किया है। बीओएफए सिक्योरिटीज, सिटीग्रुप और एचएसबीसी इस इश्यू के संयुक्त ग्लोबल को-ऑर्डिनेटर रहे। बीओएफए सिक्योरिटीज, सिटीग्रुप, एचएसबीसी, बार्कलेज, जेपी मॉर्गन और एमयूएफजी ने इश्यू के लिए बुकरनर के रूप में काम किया। एएनजेड, बीएनपी पारिबा, क्रेडिट एग्रीकोल सीआईबी, डीबीएस बैंक लिमिटेड, मिजुहो सिक्योरिटीज, एसएमबीसी निक्को, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और एसबीआई लंदन ब्रांच जॉइंट पैसिव बुकरनर रहे।

हो गयी डेब्ट फ्री

हो गयी डेब्ट फ्री

देश के सबसे बड़े राइट्स इश्यू और अपने बिजनेस में हिस्सेदारी बिक्री डील्स से दो महीनों में 168,818 करोड़ रुपये जुटाने के बाद, रिलायंस इंडस्ट्रीज जून 2020 में कर्ज से मुक्त हो गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी बॉन्ड के माध्यम से फंड जुटाने से रिलायंस की कॉस्ट ऑफ फंड और भी कम हो जाएगी और रीपेमेंट अवधि लंबी हो जाएगी। बता दें कि रिलायंस जियो भी बॉन्ड इश्यू लाने पर विचार कर रही है।

English summary

Reliance needed 4 billion dollar even take money from foreigners know why

Reliance has raised USD 4 billion in bonds. These bonds were issued in three tranches.
Story first published: Thursday, January 6, 2022, 18:29 [IST]
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